मुंबई के मध्य में शांति का द्वीप: एक अविस्मरणीय यात्रा
मुंबई के मध्य में शांति का द्वीप: एक अविस्मरणीय यात्रा
मुंबई, वह नगरी जो कभी सोती नहीं, जहाँ चकाचौंध और भागदौड़ जीवन का पर्याय है, जहाँ प्रत्येक क्षण गति और ऊर्जा से भरा है। इस महानगर की चमक और निरंतर गतिशीलता के बीच, प्रिय कुतूब किदवई बहन ने एक ऐसी जगह का उल्लेख किया जो इस शोर-शराबे से परे, शांति और अध्यात्म का आश्रय है। उनके शब्दों में, यह स्थान समुद्र के मध्य एक छोटे से द्वीप पर स्थित एक पगोडा है, जो आत्मा को सुकून और मन को शांति प्रदान करता है। उनके इस वर्णन ने मेरे हृदय में उत्सुकता जगा दी, और हमने इस स्थान की सैर करने का निश्चय किया।
हमारी यात्रा की योजना बनाते समय यह तय हुआ कि हम दोपहर 12:30 बजे बोरीवली रेलवे स्टेशन पर मिलेंगे। मैं और मेरी पत्नी, जो कांदिवली ईस्ट में निवास करते हैं, तथा कुतूब किदवई बहन, जो जोगेश्वरी वेस्ट से थीं, सभी ने समय पर स्टेशन पर उपस्थिति दर्ज की। वह क्षण, जब हम तीनों एकत्र हुए, उत्साह और प्रत्याशा से भरा था। हमने तुरंत एक ऑटोरिक्शा लिया और समुद्र तट की ओर प्रस्थान किया, जहाँ से उस पवित्र द्वीप तक पहुँचने का मार्ग था। ऑटोरिक्शा की यात्रा अपने आप में एक छोटा सा रोमांच थी, क्योंकि मुंबई की सड़कों पर ट्रैफिक और हलचल ने हमें इस नगरी की जीवंतता का एक और दर्शन कराया।
समुद्र तट पर पहुँचते ही हवा में नमकीन सुगंध और लहरों की सौम्य ध्वनि ने हमें स्वागत किया। वहाँ से हम नौका द्वारा उस छोटे से द्वीप की ओर बढ़े, जहाँ वह पगोडा स्थित था। जैसे ही हमारी नौका समुद्र की लहरों को चीरती हुई आगे बढ़ी, मन में एक अजीब सी शांति का संचार होने लगा। चारों ओर नीला जलराशि और उसमें झिलमिलाता सूर्य का प्रतिबिंब एक अलौकिक दृश्य प्रस्तुत कर रहा था।
जब हम द्वीप पर उतरे, तो वहाँ का दृश्य वास्तव में कुतूब किदवई बहन के वर्णन के अनुरूप था। यह पगोडा, जिसे ग्लोबल विपश्यना पगोडा (Global Vipassana Pagoda) के नाम से जाना जाता है, न केवल स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट नमूना था, बल्कि एक आध्यात्मिक केंद्र भी था, जो हर आगंतुक को शांति और आत्म-चिंतन की ओर ले जाता था। इसकी सुनहरी छत, जो सूर्य की किरणों में चमक रही थी, और विशाल ध्यान-कक्ष, जहाँ सैकड़ों लोग एक साथ मौन में बैठकर ध्यान कर सकते थे, ने हमें अभिभूत कर दिया।
हमने वहाँ लगभग चार घंटे बिताए, और प्रत्येक क्षण को पूर्ण रूप से जिया। पगोडा के परिसर में टहलते हुए, हमने वहाँ की प्रत्येक दर्शनीयता को गहराई से देखा। बुद्ध की शिक्षाओं और विपश्यना ध्यान की विधि को समर्पित यह स्थान अपने आप में एक विश्वविद्यालय था, जहाँ मनुष्य अपने भीतर की यात्रा शुरू कर सकता था। परिसर में स्थित छोटा सा संग्रहालय हमें बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाओं की गहनता से परिचित कराता था। वहाँ की शांति ऐसी थी कि मुंबई की भागदौड़ और शोर मानो एक क्षण में विलुप्त हो गया।
हमने ध्यान-कक्ष में कुछ समय बिताया, जहाँ मौन और शांति ने हमारे मन को एक अनूठी गहराई प्रदान की। यह अनुभव ऐसा था, मानो समय ठहर गया हो और हम अपने अंतरतम से संवाद कर रहे हों। पगोडा के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य, समुद्र की लहरों की निरंतर ध्वनि और वहाँ की शुद्ध हवा ने इस अनुभव को और भी समृद्ध किया।
जब हम वापस लौटने के लिए तैयार हुए, तो हमारे मन में एक संतुष्टि और शांति थी, जो शायद ही शहर के अन्य किसी स्थान पर मिल सकती थी। कुतूब किदवई बहन का कथन सत्य सिद्ध हुआ था। यह पगोडा वास्तव में मुंबई के हृदय में शांति का एक द्वीप था, जहाँ आत्मा को विश्राम और मन को स्पष्टता मिलती थी।
इस यात्रा ने हमें न केवल एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया, बल्कि यह भी सिखाया कि जीवन की आपाधापी में भी, यदि हम चाहें, तो शांति और अध्यात्म के लिए समय और स्थान निकाल सकते हैं। मैं इस अनुभव को अपने हृदय में संजोए रखूँगा और इसे अन्य लोगों के साथ साझा करने का प्रयास करूँगा, ताकि वे भी इस पवित्र स्थान की शांति का अनुभव कर सकें।
Ram Mohan Rai.
Global Vipassana Pagoda.
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