Interview: With Bahadur Singh, Who Abandoned Violence to Embrace the Path of Non-Violence/13.08.2025

□साक्षात्कार: बहादुर सिंह के साथ, जिन्होंने हिंसा छोड़कर अपनाया अहिंसा का मार्ग

●स्थान: जौरा, मध्यप्रदेश, महात्मा गांधी सेवा आश्रम*  
तारीख: 13 अगस्त, 2025

■प्रश्न: बहादुर सिंह जी, आपकी जिंदगी में एक समय ऐसा था जब आप दस्यु जीवन जी रहे थे। उस जीवन से निकलकर आज आप इस आश्रम में सेवा कर रहे हैं। यह बदलाव कैसे आया?

●बहादुर सिंह: यह सब भाई जी सुब्बाराव जी की प्रेरणा और उनके अथक प्रयासों का नतीजा है। 14 अप्रैल, 1972 का वह दिन मेरे जीवन का सबसे बड़ा मोड़ था। उस दिन भाई जी हमारे बीच आए थे। हम, जो उस समय हिंसा और बगावत के रास्ते पर थे, उनके सामने नतमस्तक हो गए। भाई जी ने बड़े प्यार से, "मैं आया हूं दरबार तुम्हारे" भजन गाया। उस भजन ने हमारे दिलों को पिघला दिया। उनकी आवाज में एक ऐसी सादगी और सच्चाई थी कि हमें लगा, यह इंसान हमारा भला चाहता है। फिर,  मोहर सिंह और तहसीलदार सिंह जी के साथ हम 657 बागियों ने मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी, संत विनोबाजी और लोकनायक जय प्रकाश नारायण के सहयोग से आत्मसमर्पण किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने भी इस प्रक्रिया को समर्थन दिया। यह भाई जी की ही तपस्या थी कि हमारा जीवन बदल गया।

■प्रश्न: भाई जी सुब्बाराव का आपके ऊपर इतना गहरा प्रभाव कैसे पड़ा?

●बहादुर सिंह: भाई जी कोई साधारण इंसान नहीं थे। वे एक संत थे, जिनके लिए हर इंसान बराबर था। वे हमें दस्यु नहीं, बल्कि इंसान समझकर मिले। उनकी बातों में, उनके व्यवहार में एक गजब की शक्ति थी। वे हमें समझाते थे कि हिंसा से कुछ हासिल नहीं होगा। उन्होंने हमें अहिंसा का रास्ता दिखाया। उनके साथ बिताए पल आज भी मेरे मन में बसे हैं। मैं उन्हें देव तुल्य मानता हूं। अगर भाई जी न होते, तो शायद मैं आज भी उसी हिंसा के रास्ते पर भटक रहा होता।

■प्रश्न: आपने भाई जी से आश्रम में रहने का वायदा किया था। यह वायदा आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है?

●बहादुर सिंह: यह वायदा मेरे लिए जीवन का आधार है। मैंने भाई जी से कहा था कि मैं इस आश्रम की सेवा में रहूंगा, और मैं इसे पूरी तरह निभा रहा हूं। मेरा परिवार है, पत्नी और बच्चे हैं, लेकिन मैंने तय किया कि मैं आश्रम में ही रहकर भाई जी के दिखाए रास्ते पर चलूंगा। यह आश्रम मेरे लिए मंदिर है, जहां मैं सेवा के जरिए अपने पुराने कर्मों का प्रायश्चित करता हूं। भाई जी का जीवन सिद्धांत—सादगी, सेवा और अहिंसा—आज भी मुझे प्रेरित करता है।

■प्रश्न: आपने कहा कि दस्यु समस्या कानून-व्यवस्था का सवाल नहीं, बल्कि दबंगों के अन्याय का जवाब थी। आप इसे कैसे देखते हैं?

●बहादुर सिंह: बिल्कुल, दस्यु जीवन का रास्ता हमने अपनी मर्जी से नहीं चुना था। वह दबंगों के अन्याय और शोषण का जवाब था। गांवों में गरीबों, कमजोरों पर जुल्म होते थे, और हम उसका प्रतिकार करने के लिए उठ खड़े हुए। लेकिन भाई जी ने हमें समझाया कि हिंसा से हिंसा ही जन्म लेती है। आज भी समाज में अन्याय मौजूद है, लेकिन अब मैं अहिंसा के रास्ते पर हूं। हम अब शांति और सेवा के जरिए अन्याय का मुकाबला करते हैं। भाई जी ने हमें सिखाया कि असली ताकत हथियार में नहीं, बल्कि सच्चाई और इंसानियत में है।

■प्रश्न: आज के समाज के लिए भाई जी का संदेश कितना प्रासंगिक है?

●बहादुर सिंह: भाई जी का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना तब था। उनका जीवन सिखाता है कि इंसान चाहे कितना भी भटक जाए, सही मार्गदर्शन मिले तो वह बदल सकता है। आज समाज में हिंसा, अन्याय और भेदभाव बढ़ रहा है। ऐसे में भाई जी का अहिंसा, प्रेम और सेवा का संदेश एक दीपक की तरह है। अगर हम उनके सिद्धांतों को अपनाएं, तो समाज में शांति और समरसता लाई जा सकती है। मैं तो यही कहूंगा कि भाई जी जैसे लोग आज भी हमारे बीच होने चाहिए।

■प्रश्न: आप भविष्य में इस आश्रम और अपने जीवन को कैसे देखते हैं?

●बहादुर सिंह: मैं आश्रम में ही रहूंगा, यही मेरा घर है। भाई जी के सिद्धांतों को जीवित रखना मेरा मकसद है। मैं चाहता हूं कि आने वाली पीढ़ियां भी उनके जीवन से प्रेरणा लें। यह आश्रम सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक विचार है—सेवा, अहिंसा और इंसानियत का विचार। मैं इसे और लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं, ताकि समाज में सकारात्मक बदलाव आए।

■प्रश्न: अंत में, आप युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे?

●बहादुर सिंह: मैं युवाओं से कहना चाहूंगा कि हिंसा और गुस्से से कुछ हासिल नहीं होता। अगर आपको लगता है कि समाज में कुछ गलत है, तो उसे बदलने के लिए अहिंसा और प्रेम का रास्ता चुनें। भाई जी जैसे महापुरुषों की जीवनी पढ़ें, उनके विचारों को समझें। अगर आप सच्चाई और सेवा के रास्ते पर चलेंगे, तो आप न सिर्फ अपना, बल्कि दूसरों का जीवन भी बदल सकते हैं।
   यह साक्षात्कार बहादुर सिंह जैसे व्यक्ति की प्रेरणादायी यात्रा को दर्शाता है, जो हिंसा के रास्ते से निकलकर अहिंसा और सेवा के मार्ग पर चल पड़ा। भाई जी सुब्बाराव का प्रभाव न केवल उनके जीवन में, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा है।
राम मोहन राय, 
जितेन्द्र ब्रह्मभट्ट.
महात्मा गांधी सेवा आश्रम, 
Jaura, Morena, MadhyaPrdesh. 
13.08.2025

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