Our visit to Mumbai University/02.08.2025
आज का दिन मेरे और मेरी पत्नी कृष्णा कांता के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव लेकर आया। हम मुंबई विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां कुछ छात्रों ने हमें आमंत्रित किया था। उनका आग्रह था कि हम विश्वविद्यालय में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विद्यार्थियों से मिलें और महात्मा गांधी तथा गांधी ग्लोबल फैमिली के विचारों पर चर्चा करें। इस यात्रा ने न केवल हमें शैक्षणिक उत्कृष्टता का दर्शन कराया, बल्कि क्रांतिकारी हस्तियों के नाम पर बने हॉस्टलों के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा भी प्रदान की।
विश्वविद्यालय की स्थापना और इसका ऐतिहासिक महत्व:
मुंबई विश्वविद्यालय की स्थापना 18 जुलाई 1857 को हुई थी, जब भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार को बॉम्बे एसोसिएशन द्वारा सर चार्ल्स वुड की याचिका प्रस्तुत की गई थी। यह विश्वविद्यालय यूनाइटेड किंगडम के लंदन विश्वविद्यालय के मॉडल पर स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य भारत में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना था। यह भारत के पहले तीन विश्वविद्यालयों में से एक है और आज दुनिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में शुमार है। 1953 के बॉम्बे विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत इसके कार्यों का पुनर्गठन हुआ और 1996 में इसका नाम "मुंबई विश्वविद्यालय" रखा गया।
मुंबई विश्वविद्यालय अपने परिसरों और संबद्ध कॉलेजों में 5.49 लाख से अधिक छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है। 2013 तक इसके 711 संबद्ध कॉलेज थे, जो अब बढ़कर 885 हो चुके हैं। शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में 1.64 लाख छात्रों ने स्नातक की उपाधि प्राप्त की। लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने वाली नीतियों के कारण लड़के और लड़कियों की संख्या में संतुलन देखा जाता है, हालांकि सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। विश्वविद्यालय में भारत के विभिन्न प्रांतों और बांग्लादेश, नेपाल, अफ्रीकी देशों जैसे अंतरराष्ट्रीय समुदायों से आए छात्रों की उपस्थिति इसे एक वैश्विक मंच बनाती है।
मुंबई विश्वविद्यालय का अंतरराष्ट्रीय महत्व इसके 405 शैक्षणिक कार्यक्रमों, अनुसंधान केंद्रों और वैश्विक सहयोगों में निहित है। यह 183 स्नातक, 143 स्नातकोत्तर, और 79 डॉक्टरेट स्तर के पाठ्यक्रम प्रदान करता है। परमाणु ऊर्जा विभाग के साथ मिलकर स्थापित "सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन बेसिक साइंसेज" विज्ञान और अनुसंधान में इसकी उत्कृष्टता को दर्शाता है। हिंदी विभाग से पढ़कर निकले छात्र विश्वविद्यालयों, समाचार चैनलों, सरकारी विभागों, बैंकों, और सिनेमा-थिएटर में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। विदेशी शिक्षा संस्थानों में भी इसके छात्र अध्यापन कर रहे हैं, जो इसकी वैश्विक पहुंच को रेखांकित करता है।
हमारी यात्रा के दौरान, विद्यार्थियों ने हमें विश्वविद्यालय के प्रमुख संकायों का भ्रमण कराया। मुंबई विश्वविद्यालय में 56 शिक्षण विभाग हैं, जो निम्नलिखित संकायों में विभाजित हैं:
1. कला संकाय: हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, इतिहास, दर्शनशास्त्र, और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में उत्कृष्टता। हिंदी विभाग ने अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन किया है।
2. विज्ञान संकाय: भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, और गणित में अनुसंधान और शिक्षण।
3. वाणिज्य संकाय: वाणिज्य, प्रबंधन, और अर्थशास्त्र में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम।
4. चिकित्सा संकाय: 1845 में स्थापित ग्रांट मेडिकल कॉलेज से शुरू, चिकित्सा शिक्षा में अग्रणी।
5. कानून संकाय: कॉर्नेलिया सोराबजी, भारत की पहली महिला वकील, इसकी छात्रा थीं।
6. प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग: तकनीकी शिक्षा में नवाचार।
7. अन्य संकाय: मंदिर प्रबंधन जैसे डिप्लोमा और दुर व मुक्त अध्ययन संस्था।
मुंबई विश्वविद्यालय के हॉस्टल परिसर में कई हॉस्टल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों और महापुरुषों के नाम पर हैं, जो छात्रों को उनकी वीरता और बलिदान से प्रेरित करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख हॉस्टल निम्नलिखित हैं:
- सावित्रीबाई फुले हॉस्टल: सामाजिक सुधारक और भारत की पहली महिला शिक्षिका के नाम पर, विशेष रूप से महिला छात्राओं के लिए। यह लैंगिक समावेशिता का प्रतीक है।
- महात्मा गांधी हॉस्टल: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर, जो अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों को प्रतिबिंबित करता है।
- पंडित जवाहरलाल नेहरू हॉस्टल: भारत के पहले प्रधानमंत्री के नाम पर, जो शिक्षा और प्रगति के समर्थक थे।
- शहीद भगत सिंह हॉस्टल: स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के नाम पर, जिन्होंने युवा पीढ़ी को क्रांतिकारी उत्साह और देशभक्ति की प्रेरणा दी। यह हॉस्टल विशेष रूप से पुरुष छात्रों के लिए है और विश्वविद्यालय के कालिना परिसर में स्थित है। यह छात्रों के बीच देशभक्ति और बलिदान की भावना को प्रज्वलित करता है।
- उधम सिंह हॉस्टल: जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने वाले क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह के नाम पर। यह हॉस्टल छात्रों को उनके साहस और दृढ़ संकल्प की याद दिलाता है।
- चंद्रशेखर आजाद हॉस्टल: क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के नाम पर, जो अपनी निडरता और स्वतंत्रता के लिए बलिदान के लिए प्रसिद्ध हैं।
हमारी यात्रा कालिना परिसर से शुरू हुई, जहां विक्टोरियन वास्तुकला और हरे-भरे वातावरण ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया। विद्यार्थियों ने हमें राजाबाई टावर, विशाल पुस्तकालय, और विभिन्न संकाय भवनों का भ्रमण कराया। पुस्तकालय में लाखों पुस्तकें और दुर्लभ पांडुलिपियां देखकर हम अभिभूत हुए। हॉस्टल परिसर में शहीद भगत सिंह, उधम सिंह, और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के नाम पर बने हॉस्टलों ने हमें स्वतंत्रता संग्राम की गौरव गाथा से जोड़ा।
हमने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ महात्मा गांधी और गांधी ग्लोबल फैमिली के विचारों पर चर्चा की। भारत के विभिन्न प्रांतों—महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, —और बांग्लादेश, नेपाल, लाओस अफ्रीकी देशों से आए छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। गांधी जी के अहिंसा, स्वराज, और सामुदायिक एकता के सिद्धांतों ने सभी को प्रेरित किया। क्रांतिकारी हॉस्टलों के नामों ने चर्चा में एक नया उत्साह जोड़ा, क्योंकि ये नाम युवाओं में देशभक्ति और बलिदान की भावना को जागृत करते हैं।
हमने विश्वविद्यालय के दो मॉडल कॉलेजों और रत्नागिरी व ठाणे उपकेंद्रों के बारे में भी जाना, जो ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार में योगदान दे रहे हैं।
यह यात्रा शैक्षणिक, सांस्कृतिक, और वैचारिक दृष्टि से समृद्ध थी। मुंबई विश्वविद्यालय का विशाल परिसर, इसका ऐतिहासिक महत्व, और क्रांतिकारियों के नाम पर बने हॉस्टल हमें स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाते हैं। गांधी जी के विचारों को वैश्विक मंच पर साझा करना और युवा पीढ़ी के साथ संवाद करना इस यात्रा का सबसे प्रेरणादायक हिस्सा रहा। हम मुंबई विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के आभारी हैं, जिन्होंने हमें इस अविस्मरणीय यात्रा का हिस्सा बनाया।
Ram Mohan Rai,
Mumbai University, Mumbai.
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