Visit of Kanheri Caves ,Sanjay Gandhi National Park, Mumbai/01.08.2025
आज की शाम मुंबई के संजय गांधी नेशनल पार्क की यात्रा के साथ एक अनमोल अनुभव लेकर आई। शहर की भागदौड़ से दूर, हरे-भरे जंगल और शांति की गोद में यह यात्रा एक ताज़ा हवा के झोंके की तरह थी। दोपहर बाद करीब चार बजे मैं और मेरी पत्नी पार्क के मुख्य द्वार पर पहुंचा। ठंडी हवा और पक्षियों की चहचहाहट ने स्वागत किया।
पार्क का मुख्य आकर्षण कांजुरमार्ग गुफाएं, जिन्हें स्थानीय रूप से 'कान्हेरी गुफाएं' कहते हैं, मेरी सूची में सबसे ऊपर थीं। इन गुफाओं तक पहुंचने के लिए पार्क के घने जंगल से होकर एक छोटी ट्रेकिंग करनी पड़ी। सुविधाजनक बस सेवा भी उपलब्ध है रास्ते में ऊंचे-ऊंचे पेड़, रंग-बिरंगे फूल और कभी-कभार दिखने वाले छोटे जानवरों ने मन मोह लिया। खासकर बन्दरों और उनकी उन्नत प्रजाति के काले मुहँ और लम्बी पूंछ के बन्दरों ने .एक स्थान पर तो वे एक दीवार पर एक लाइन में दीवार की पिछली तरफ पूंछ लटकाये बैठे थे. हम डरे भी क्योंकि वृंदावन का हमारा दूसरा ही अनुभव था पर ये सिर्फ खाने की चीजों पर ही झपटते थे न किसी अन्य वस्तु पर.
कान्हेरी गुफाएं दूसरी से सातवीं शताब्दी के बीच की हैं और बौद्ध धर्म से गहराई से जुड़ी हैं। ये गुफाएं बेसाल्ट पत्थरों को काटकर बनाई गई हैं, जो उस समय की वास्तुकला और कारीगरी का जीवंत प्रमाण हैं। कुल 109 गुफाएं हैं, जिनमें छोटे-बड़े विहार (बौद्ध मठ) और चैत्य (प्रार्थना कक्ष) शामिल हैं। गुफा नंबर 3 में विशाल बुद्ध प्रतिमा देखकर मैं स्तब्ध रह गया। एक ही शिला से तराशी गई यह प्रतिमा शांति और करुणा का प्रतीक है। गुफाओं की दीवारों पर बनी नक्काशी और बौद्ध कथाएं समय को पीछे ले जाती हैं, जैसे कोई प्राचीन कहानी चुपके से फुसफुसा रही हो।
पार्क का इतिहास भी कम रोचक नहीं। संजय गांधी नेशनल पार्क, जिसे पहले बोरीवली नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता था, 1969 में स्थापित हुआ। इसका नाम बाद में संजय गांधी के सम्मान में रखा गया। लगभग 87 वर्ग किलोमीटर में फैला यह पार्क मुंबई के फेफड़ों के रूप में जाना जाता है। यहां की जैव-विविधता भी आश्चर्यजनक है, जिसमें तेंदुए, हिरण, और 250 से अधिक पक्षी प्रजातियां शामिल हैं। कान्हेरी गुफाएं इस पार्क का सांस्कृतिक रत्न हैं, जो कभी बौद्ध भिक्षुओं का प्रमुख केंद्र हुआ करती थीं।
गुफाओं के बाद, हमने पार्क के अंदर बहते एक छोटे से झरने के पास कुछ समय बिताया। पानी की कल-कल और आसपास की हरियाली ने मन को शांति दी। वहां बैठकर हमने बुद्ध की शिक्षाओं और प्रकृति की सादगी के बीच एक अनोखा तालमेल महसूस किया। बाद में एक छोटे से कैंटीन में स्थानीय वड़ा-पाव और चाय का आनंद लिया, जो इस यात्रा का एक मज़ेदार हिस्सा रहा।
वापसी के समय सूरज ढल रहा था, और पार्क की शांति ने मुझे शहर की हलचल में लौटने से पहले एक अनमोल सुकून दिया। यह यात्रा न केवल आंखों के लिए एक दृश्य थी, बल्कि आत्मा के लिए भी एक तीर्थयात्रा थी। अगर आप मुंबई में हैं, तो संजय गांधी नेशनल पार्क और उसकी कान्हेरी गुफाओं की सैर अवश्य करें। यह एक ऐसी जगह है, जहां इतिहास, प्रकृति और शांति एक साथ सांस लेते हैं।
Ram Mohan Rai,
Kandiwali, Mumbai.
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