पानीपत की गलियां-14 (Salarjung to Ansar Chowk)
पानीपत की गलियों का सफ़र: सलारजंग गेट से अंसार चौक तक
आज हम पानीपत की उन संकरी, जीवंत गलियों में कदम रखते हैं, जो शहर की आत्मा को जीवंत बनाती हैं। हमारा सफ़र शुरू होता है ऐतिहासिक सलारजंग गेट से, जो कभी शहर की प्रवेश द्वार की तरह था। गेट के ठीक बाहर से ही बाज़ार की रौनक शुरू हो जाती है। जैसे ही हम अंदर कदम रखते हैं, बाईं ओर फलों की रेहड़ियाँ और छोटी-छोटी दुकानें नज़र आती हैं। ताज़े सेब, केले, अमरूद और मौसमी फलों की महक हवा में घुली रहती है। इन दुकानों के साथ ही एक सड़क बाईं ओर मुड़ती है, जो न्यू सुखदेव नगर की ओर जाती है। यह सड़क थोड़ी घुमावदार है और अंत में जी.टी. रोड पर स्थित पुराने बस स्टैंड के पास जाकर मिलती है।
इसी सड़क के रास्ते में दो महत्वपूर्ण गलियाँ निकलती हैं:
1. पहली गली – यह संकरी गली सीधे हकीम वालों की गली में पहुँचाती है, जिसे अब सेंट्रल बैंक वाली गली भी कहा जाता है। यह गली पुराने ज़माने की याद दिलाती है, जहाँ हकीम और वैद्य अपने इलाज के लिए मशहूर थे।
2. दूसरी गली – यह बिना किसी मोड़ के सीधे हकीम वालों के घरों (जो अब अधिकांशतः मौजूद नहीं हैं) के बीच से गुज़रकर कचहरी बाज़ार में मिल जाती है।
लेकिन हमारा मुख्य मार्ग तो सलारजंग गेट से सीधा अंसार चौक की ओर है। कुछ कदम आगे बढ़ते ही रास्ता दो हिस्सों में बँट जाता है:
- बाईं ओर – चकरी (ज्ञान हलवाई की मशहूर दुकान) की ओर, जहाँ गर्म-गर्म जलेबी और समोसे की खुशबू पूरे मोहल्ले में फैली रहती थी।
- दाईं ओर – सीधे अंसार चौक की ओर।
गलियाँ और उनके किस्से:
आगे चलते हुए एक गली बाईं ओर निकलती है, जो बाद में सेंट्रल बैंक वाली सड़क में मिल जाती है। इस गली के दोनों सिरों पर कभी लकड़ी के भारी-भरकम दरवाज़े लगे होते थे, जो रात को बंद कर दिए जाते थे। अब वे दरवाज़े गायब हैं, लेकिन उनकी यादें बाकी हैं।
इस गली के ठीक सामने खादी भंडार की दुकान है, जहाँ से दो और गलियाँ निकलती हैं:
- एक गली – शिंगला मार्केट की ओर।
- दूसरी गली – चढ़ाई चढ़कर अंसार बाज़ार में मिल जाती है।
इसी मुख्य सड़क पर आगे बढ़ते हुए हमें स्वतंत्रता सेनानी श्री चमन लाल आहूजा का मकान मिलता है। आहूजा जी को आज भी अपनी सादगी और गरिमा के लिए जाना जाता है। वे निहायत शरीफ, पूर्णतः गांधीवादी और पंडित माधो राम शर्मा (पूर्व सांसद) के विश्वसनीय सहयोगी थे।
राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रबल पक्षधर श्री चमन लाल आहूजा का योगदान:
- 1967: कांग्रेस टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, थोड़े वोटों से असफल रहे।
- 1984: सिख विरोधी दंगों के समय श्रीमती सुभद्रा जोशी और पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा के साथ मिलकर साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए काम किया।
- पानीपत को जिला बनाने में अहम भूमिका: कॉमरेड रघुवीर सिंह, श्री फतेहचंद विज, श्री महेश दत्त शर्मा के साथ पानीपत जिला बचाओ संघर्ष समिति का नेतृत्व किया।
- मैंने बचपन में भारतीय बाल सभा की स्थापना उनसे और स्वामी आनंद रंक बंधु की प्रेरणा से की थी.
उनके मकान के साथ ही एक और गली निकलती है, जो फिर से हकीम वालों के घरों के पास से गुज़रती है।
बाज़ार की रौनक:
अब हम बाज़ार के उस हिस्से में हैं जहाँ हर तरफ दुकानें हैं:
- लेडीज सूट, साड़ी, दुपट्टे की चमकदार दुकानें।
- अचार-मुरब्बे की दुकानें, जहाँ नींबू का अचार, गाजर का मुरब्बा और आम का चटनी सूंघते ही मुँह में पानी आ जाता है।
- दाईं ओर एक बंद गली मुड़ती है। यहाँ पहले श्री नंद लाल विज की आटे की चक्की थी। इस गली में मेरा खूब आना-जाना था क्योंकि मेरे प्रिय मित्र पीताम्बर श्याम विज सुपुत्र श्री हरिचंद विज (Harison वाले)का मकान यहीं था।
अंसार चौक की दहलीज़:
इस भीड़-भाड़ वाले बाज़ार को पार करते हुए, जहाँ दो आदमी भी कंधे से कंधा मिलाकर नहीं चल सकते, हम अंत में अंसार चौक में दाखिल होते हैं। यहाँ की रौनक, यह शोर, यह भीड़ – यही पानीपत की असली पहचान है।
जिसने अंसार चौक की यह सैर नहीं की, उसने पानीपत को देखा ही नहीं।
यह सफ़र सिर्फ़ गलियों का नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति, दोस्ती और संघर्ष की यादों का है। हर मोड़ पर एक कहानी, हर दुकान पर एक किस्सा। पानीपत की ये गलियाँ सिर्फ़ रास्ते नहीं, जीती-जागती किताबें हैं।
Ram Mohan Rai,
Panipat/06.11.2025.
Mobile number:9354926281
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