पानीपत की गलियां-18.(पानीपत की यात्रा: एसडी कॉलेज रोड से अमर भवन चौक तक)

पानीपत की गलियां-18.
(पानीपत की यात्रा: एसडी कॉलेज रोड से अमर भवन चौक तक)

आज हम अपनी पानीपत शहर की यात्रा की शुरुआत एसडी कॉलेज रोड से कर रहे हैं, जो शहर के दिल में बसी एक ऐतिहासिक और व्यावसायिक रूप से जीवंत सड़क है। यह यात्रा हमें अमर भवन चौक तक ले जाएगी, जहां शिक्षा, उद्योग, व्यापार और सामाजिक सरोकारों की यादें एक साथ समाहित हो जाती हैं। चलिए, इस छोटी लेकिन यादगार यात्रा को विस्तार से जीते हैं। इस यात्रा के सहयात्री बने श्री पवन कुमार सैनी, एडवोकेट. 

एसडी कॉलेज: पानीपत की शैक्षणिक धरोहर
यात्रा की शुरुआत होती है सनातन धर्म (एसडी) कॉलेज से, जो पानीपत का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है। यह कॉलेज शहर की आर्य समाजी परंपरा का प्रतीक है, लेकिन इसकी स्थापना आर्य कॉलेज के बाद हुई। कॉलेज की नींव रखने में प्रमुख भूमिका निभाई श्री जयनारायण गोयला ने, जो पानीपत के एक मशहूर उद्योगपति और लोकप्रिय नेता थे। उन्होंने सनातन धर्म एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की और शहरवासियों से सहयोग जुटाकर इस कॉलेज को साकार किया। इस कॉलेज का उद्धाटन स्वामी गीता नंद महाराज के सानिध्य में चौधरी बंसी लाल (तत्कालीन मुख्यमंत्री)ने किया था. यह कॉलेज में कॉलेज टीचर और छात्र आंदोलन का भी सूत्रधार रहा. 

इससे पहले भी सनातन धर्म सोसाइटी शहर में कई संस्थान चला रही थी, जैसे:
- एसडी बॉयज स्कूल
- एसडी गर्ल्स स्कूल
- एसडी मॉडर्न स्कूल
कॉलेज की उतरी दीवार के सामने ही दक्षिणी मुहाने ऐस डी विद्या मंदिर (जूनियर विंग) का गेट है और इन सभी संस्थानों ने पानीपत की शिक्षा को मजबूत आधार प्रदान किया। एसडी कॉलेज ने भी अनेक महान प्रधानाचार्यों को जन्म दिया, जिन्होंने शिक्षा जगत को नई दिशा दिखाई। इनमें सबसे प्रमुख नाम है डॉ अमृत लाल गुप्ता ,प्रिंसिपल सुखदेव जी का। वे तो इस कॉलेज के ही पर्याय बन गए थे कॉलेज  एसडी (सुखदेव ) जुड़ा हुआ है।  जब कि यह तो सनातन धर्म  कॉलेज था. यह कॉलेज न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि शहर की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का हिस्सा भी। यह संस्थान शिक्षा के साथ-साथ कला और साहित्य का भी केंद्र बना. कॉलेज की पत्रिका "कलश" जिसका संपादन प्रसिद्ध साहित्यकार और लोक वार्ताकार डॉ राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी जो इसी में प्रोफेसर थे, ने पानीपत के इतिहास, संस्कृति और अध्यात्म को अपनी लेखनी से इसमें उकेरा इसके अतिरिक्त डॉ  आर के मल्होत्रा (प्रोफेसर अंग्रेजी) ने उर्दू की अपनी गज़लों, शायरी और लेखों से हाली के इस शहर को नई ऊँचाइयाँ दी और वर्तमान में डॉ अनुपम अरोड़ा बतौर प्रिन्सिपल इस ख्याति को बरकरार रखे हुए हैं. 
   रास्ते की रौनक: व्यापार और उत्पादों का मेला
कॉलेज की उत्तरी दीवार के किनारे-किनारे चलते हुए हम अमर भवन चौक की ओर बढ़ते हैं। यह रोड पानीपत के व्यावसायिक हृदय की तरह धड़कता है। रास्ते में दोनों तरफ बड़े-बड़े शोरूम हैं, जहां शहर की प्रसिद्धि के प्रतीक उत्पाद बिकते हैं:
- कंबल और गर्म कपड़े – सर्दियों की शान।
बैग्स, शीट्स और बेडशीट्स – घरेलू उपयोग की बेहतरीन क्वालिटी।
- घरेलू सजावट का सामान (होम डेकोरेशन आइटम्स) – रंग-बिरंगे डिजाइन और स्थानीय कारीगरी।
- पानीपत के स्थानीय उत्पाद – हैंडलूम और टेक्सटाइल की विविधता।
- अन्य शहरों के आयातित सामान – विविधता का खजाना।
इसी सड़क पर पंजाब नैशनल बैंक की पुरानी शाखा हैं एक समय था कि यहाँ  खेत थे और रहट चलता था ।  यहाँ एक बार दश हरा भी मनाया गया था

यह इलाका  जी टी रोड के पास का सबसे बड़ा बिजनेस सेंटर है। यहां हर तरह का सामान मिलता है – चाहे वह पानीपत की मशहूर टेक्सटाइल इंडस्ट्री का हो या बाहर से आया हुआ। दुकानों की चमक-दमक, ग्राहकों की भीड़ और दुकानदारों की आवाजें मिलकर एक जीवंत बाजार का माहौल बनाती हैं। यह सड़क न केवल खरीदारी का केंद्र है, बल्कि पानीपत की आर्थिक ताकत का प्रदर्शन भी।
   इससे आगे ही गुरु रविदास मन्दिर और धर्मशाला है जहां प्राय: आयोजन होते रहते है. और यहीं है रविदास मोहल्ला. 

रविदास मोहल्ला: संघर्ष और सत्याग्रह की गाथा:
आगे बढ़ते हुए हम रविदास मोहल्ला में प्रवेश करते हैं। यह छोटा-सा मोहल्ला पानीपत की सामाजिक इतिहास की गवाही देता है। इसकी खासियत यह है कि यहां के निवासियों ने देश की स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधार आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। 

सन् 1948 में आर्य समाज द्वारा शुरू किए गए हैदराबाद सत्याग्रह में इस मोहल्ले के अनेक हरिजन भाइयों ने हिस्सा लिया। यह सत्याग्रह हैदराबाद रियासत के विलय और सामाजिक समानता के लिए था। मोहल्ले के एक प्रमुख नेता थे श्री लक्ष्मण दास पूनिया जी:
- वे म्युनिसिपल कमिश्नर रहे।
- कांग्रेस के नेता थे।
- बाद में बाबू जगजीवन राम की पार्टी में शामिल हुए।
- उन्होंने अपना पूरा जीवन संघर्ष और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित किया।
- वे मेरे पिता जी के बहुत अच्छे मित्र भी थे।

यह मोहल्ला दलित समुदाय की साहस और एकता की मिसाल है। छोटी-सी गलियां, पुराने घर और लोगों की सादगी भरी जिंदगी यहां की पहचान हैं।

अमर भवन चौक: यात्रा का समापन:
इसी छोटी सड़क को पार करते हुए हम अमर भवन चौक  में पहुंच जाते हैं। यह कभी जनसंघ और बाद में कांग्रेस में शामिल हुए अमर चंद लखीना की  पीली बिल्डिंग  के नाम पर था. अमर चंद लखीना और सरदार तेजा सिंह की राजनीतिक लड़ाई जग ज़ाहिर थी यह पहले अलग अलग दलों में थे पर बाद में एक ही पार्टी में रहे. 
 यह चौक शहर का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है, जहां से कई रास्ते निकलते हैं। लेकिन इस पूरी गली का महत्व सिर्फ भौगोलिक नहीं है। यह गली पानीपत की शैक्षणिक, औद्योगिक, व्यवसायिक और सामाजिक सरोकारों से परिपूर्ण है:
- शिक्षा: एसडी कॉलेज और स्कूलों की विरासत।
- उद्योग: टेक्सटाइल और होम फर्निशिंग का हब।
- व्यापार: शोरूम और बाजार की रौनक।
- सामाजिक सरोकार: सत्याग्रह, संघर्ष और समुदाय की एकता।

इस गली को पार करना मतलब पानीपत की यादों को अपने अंदर समेटना है। हर कदम पर इतिहास सांस लेता है, हर दुकान पर शहर की मेहनत चमकती है, और हर चेहरे पर पानीपत की आत्मा झलकती है।

यह छोटी-सी यात्रा हमें सिखाती है कि पानीपत सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक जीवंत विरासत है – जहां अतीत और वर्तमान एक साथ चलते हैं। अगली यात्रा में मिलते हैं शहर के किसी और कोने में!
Ram Mohan Rai, 
Advocate. 
Panipat/10.11.2025
( आपके सुझाव और टिप्पणियां इस अपूर्ण लेख को पूर्णता प्रदान कर सकती है अतः सुझाव प्रार्थनीय है)

Comments

Popular posts from this blog

Gandhi Global Family program on Mahatma Gandhi martyrdom day in Panipat

Global Youth Festival, 4th day ,Panipat/05.10.2025. Sant Nirankari Mission/National Youth Project/Gandhi Global Family

पानीपत की बहादुर बेटी सैयदा- जो ना थकी और ना झुकी :