पानीपत की गालियां- 20. (जी टी रोड से श्री गीता मंदिर)

पानीपत की  गालियां- 20 
(जी टी रोड से श्री गीता मंदिर) 
पानीपत की गलियों में एक यादों भरी यात्रा पर निकले हम, जीटी रोड से गीता मंदिर रोड में दाखिल हुए। हमारा गंतव्य था श्री गीता मंदिर—वह पवित्र स्थल जिसकी स्थापना, आधारशिला रखने के क्षण, अनेक धार्मिक कार्यक्रमों और आयोजनों में मैं न केवल भागीदार रहा हूँ, बल्कि उसका एक प्रमुख साक्षी भी हूँ।

साल था 1963-64 का, जब स्वामी गीता नंद जी महाराज पहली बार पानीपत पधारे। लम्बे, छरहरे और बेहद आकर्षक नौजवान थे वे। उनका पहला आगमन हमारे घर के ठीक पास वाली परम हंस कुटिया में हुआ। देखते ही देखते उनकी लोकप्रियता आसमान छूने लगी। हर घर में उनके शिष्य बनने की होड़ सी मच गई। ऐसा प्रतीत होता था मानो 2500 वर्ष बाद स्वयं गौतम बुद्ध पुनः पानीपत में अवतरित हो गए हों। अनेक युवा-युवतियाँ उनके शिष्य बने, और उनमें से कई तो भिक्षु-भिक्षुणी बनकर सन्यास का मार्ग अपनाने लगे।

अंततः वर्ष 1964 में उन्होंने जीटी रोड पर रेलवे स्टेशन के पास इस मंदिर की नींव रखी। उस समय मंदिर के आगे रेलवे कॉलोनी थी और उसके बाद तो खेत ही खेत फैले हुए थे। आज हम उसी मंदिर रोड पर जीटी रोड से दाखिल हुए हैं। लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है। यह सड़क नवल सिनेमा से महज सौ कदम आगे चलते ही पूर्व दिशा की ओर मुड़ती है। हम भी आज उसी सड़क पर चल रहे हैं। अब खेतों की जगह अनेक शोरूम सज चुके हैं। कुछ परम्परागत कंबल और चादरों के तो ज्यादातर हार्डवेयर के। अब यहाँ अच्छी-खासी मार्केट बन चुकी है।

सड़क पर कुछ आगे बढ़ते ही दाहिनी ओर एक गली मुड़ती है, जो मेरे मित्र आकाश गर्ग के घर से गुजरते हुए सीपीआई (एम) के दफ्तर—शिव वर्मा स्मारक—पर जाकर फिर पूर्व की ओर मुड़ जाती है। इस स्थान पर मजदूर आंदोलन और अन्य सामाजिक गतिविधियों की मीटिंग्स आयोजित होती रहती हैं, जिनमें से अनेक में मुझे निमंत्रित होकर शामिल होने का सुअवसर मिलता है।

इसी गली के लगभग सामने बाईं ओर एक और गली मुड़ती है, जो संभवतः बंद है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि इसके बाहर ट्रांसफॉर्मर के पास गंदगी का बेहद घिनौना आलम है। बदबूदार ढेर सड़क किनारे फैले हैं, जिसकी सुधार की ओर किसी का ध्यान नहीं। जबकि सैकड़ों लोग रोजाना यहाँ से गुजरते हैं।

सामने की बंद गली में एक छोटी मार्केट है और उसी में शुरू में ही मेरे अजीज मित्र पवन कुमार सैनी, एडवोकेट का घर है। वह एक अत्यंत क्रियाशील और ईमानदार वकील हैं। मेरा उनके यहाँ अक्सर आना-जाना होता है।

इसी सड़क पर आगे बढ़ने पर श्री गीता मंदिर आता है। इसके पूर्व की ओर छोटे गेट का रास्ता दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर जाता है, जो प्रह्लाद कॉलोनी को पार करते हुए असंध रोड पर जाकर मिलता है। श्री गीता मंदिर के ठीक सामने गीता मंदिर प्राइमरी स्कूल और धर्मशाला स्थित है। इसके आगे चलकर एक गली उत्तर की ओर प्रह्लाद कॉलोनी की तरफ जाती है, जहाँ हमारा भी एक  मकान था, जिसे हमने सन् 1975 में बेच दिया था।

उसके आगे फिर एक सड़क है जो रेलवे रोड और असंध रोड को जोड़ती है। इसी सड़क पर पानीपत रंगमंच के एक बेहतरीन कलाकार श्री मदान की दुकान हुआ करती थी। हम कभी-कभी वहाँ जाते और उनके प्रभावशाली संवाद सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते। अब उनका पुत्र अनिल मदान म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन का सदस्य है।

गीता कॉलोनी रेलवे स्टेशन से सटी हुई बस्ती है, जहाँ हर पल रेल की ‘छुक-छुक’ की आवाज और भीड़भाड़ का माहौल देखने-सुनने को मिलता है।
Ram Mohan Rai, Advocate. 
Panipat/13.11.2025

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