लोककथा- राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी

लोककथा
लोककथाओं के संबंध में जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था >>>>>>>>>>>>>>>>>>>
मैंने कभी-कभी इस बात पर अचरज किया है कि ये आदमी और औरतें , जिन्होंने ऐसे सजीव सपनों और कल्पनाओं को रूप दिया है ,कैसे रहे होंगे और विचार तथा कल्पनाओं की किस सोने की खान में से खोद कर उन्होंने ऐसी चीजों को निकाला होगा !<<<<<<<<<
जवाहरलाल नेहरू

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