श्री आई डी स्वामी को विनम्र श्रद्धांजलि
*स्वामी जी नही मिले* !
पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री
आई डी स्वामी जी की पत्नी का देहांत अभी चंद दिनों पहले करनाल में उनके निवास स्थान पर हो गया था जिसकी सूचना मुझे भी सोशल मीडिया के माध्यम से मिली थी । आज मैं उनके घर अफसोस के लिये उनके घर मे ज्योहीं ही दाखिल हुआ तो मैने स्वामी जी से मिलने के लिये जानकारी चाही तो एक सज्जन बोले कि उनका तो देहांत हो गया है । मैने भौचक्के हो कर कहा कि उनकी नही उनकी पत्नी का निधन हुआ है पर उन्होंने रुआँसे होकर बताया कि आज दोपहर बाद 3 बजे उनका भी देहांत हो गया । मैं भी गमगीन होकर घर के उस कमरे में दाखिल हुआ जिसमें उनके परिवार सहित अन्य सदस्य बैठे थे ।मुझे बहुत अफसोस रहा कि जिनसे मैं मिलने आया था वह यात्री तो सदा सदा के लिये चला गया था ।
इस बार भी स्वामी जी ने वही किया जैसा वे पहले भी करते थे । उनके गृह राज्यमंत्री रहते जब भी किसी भी काम के सिलसिले में मिलने के लिये उन्हें फोन करते तो कुशल क्षेम पूछ कर कहते कि क्या किसी भी काम के लिये तुम्हे भी मिलने की जरूरत है ,फोन पर ही बता दो । मेरे काम सदा सामाजिक ही रहते । उन्हें मैं संकोच से काम बताता और कुछ रोज बाद उनका ही फोन आता कि काम हो गया है । वैसे जब भी किसी कार्यक्रम अथवा समारोह में मिलते तो स्नेह से मिलते व घर परिवार का हाल चाल पूछते ।
स्वामी जी ज़िला अम्बाला के बब्याल के मूल निवासी थे । प्रशासनिक अधिकारी के नाते करनाल में ही सेवारत रहे और यहीं उपयुक्त पद पर रहते हुए पदमुक्त रहे । वे एक विचारशील बुद्धिजीवी थे । गांधी-नेहरु व कांग्रेस की विचारधारा को मानने वाले । हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के विचार विभाग का गठन हुआ तो वे इसके अध्यक्ष बने और मैं संयोजक । उनके नेतृत्व में हमने अनेक सांगठनिक कार्य किये ।
उनके बड़े पुत्र दिवंगत श्री सुर्य स्वामी जी आर एस एस के शीर्ष प्रचारक थे । उनसे भी हमारी कई बार उनके घर पर ही मुलाकात हुई । हम एक दूसरे की विचारधारा को जानते थे फिर भी वैचारिक संवाद करते कि शायद हम किसी को अपने अनुरूप बना ले ,जो सदा नामुकिन रहा । वैचारिक मतभेद के बावजूद वे एक अच्छे सच्चे इंसान थे । दुर्भाग्यवश उनका निधन युवावस्था में ही हो गया । ऐसा मानना रहा कि करनाल लोकसभा क्षेत्र से वे ही भारतीय जनता पार्टी के संभावित प्रत्याशी होते । परन्तु समय को कुछ और ही बदा था । पुत्र के निधन के बाद पार्टी ने पिता आई डी स्वामी जी को अपना उमीदवार बनाया और वे दो बार सांसद चुने गए और श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में मंत्री बने ।
स्वामी जी हर किसी के सुख-दुख में शामिल होते । मेरी सुपुत्री के विवाह समारोह में वे अपनी अस्वस्थता के बावजूद शामिल हुए और लगभग एक पारिवारिक बुज़ुर्ग की तरह लगभग एक घण्टा तक रुके रहे ।इसी अवसर पर उन्हें मैने मशवरा दिया कि वे अपने जीवन के अनुभवों को वृतांत रूप में लिखें ।
यही मेरी उनसे आखरी मुलाकात थी और आज अपनी सभी स्मृतियों को संजो कर उनसे मिलने गया था पर यह क्या वे आज भी नही मिले ।
राजनीति के इस अजात शत्रु को विनम्र श्रद्धांजलि ।
राम मोहन राय
करनाल/ 15.12.2019
पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री
आई डी स्वामी जी की पत्नी का देहांत अभी चंद दिनों पहले करनाल में उनके निवास स्थान पर हो गया था जिसकी सूचना मुझे भी सोशल मीडिया के माध्यम से मिली थी । आज मैं उनके घर अफसोस के लिये उनके घर मे ज्योहीं ही दाखिल हुआ तो मैने स्वामी जी से मिलने के लिये जानकारी चाही तो एक सज्जन बोले कि उनका तो देहांत हो गया है । मैने भौचक्के हो कर कहा कि उनकी नही उनकी पत्नी का निधन हुआ है पर उन्होंने रुआँसे होकर बताया कि आज दोपहर बाद 3 बजे उनका भी देहांत हो गया । मैं भी गमगीन होकर घर के उस कमरे में दाखिल हुआ जिसमें उनके परिवार सहित अन्य सदस्य बैठे थे ।मुझे बहुत अफसोस रहा कि जिनसे मैं मिलने आया था वह यात्री तो सदा सदा के लिये चला गया था ।
इस बार भी स्वामी जी ने वही किया जैसा वे पहले भी करते थे । उनके गृह राज्यमंत्री रहते जब भी किसी भी काम के सिलसिले में मिलने के लिये उन्हें फोन करते तो कुशल क्षेम पूछ कर कहते कि क्या किसी भी काम के लिये तुम्हे भी मिलने की जरूरत है ,फोन पर ही बता दो । मेरे काम सदा सामाजिक ही रहते । उन्हें मैं संकोच से काम बताता और कुछ रोज बाद उनका ही फोन आता कि काम हो गया है । वैसे जब भी किसी कार्यक्रम अथवा समारोह में मिलते तो स्नेह से मिलते व घर परिवार का हाल चाल पूछते ।
स्वामी जी ज़िला अम्बाला के बब्याल के मूल निवासी थे । प्रशासनिक अधिकारी के नाते करनाल में ही सेवारत रहे और यहीं उपयुक्त पद पर रहते हुए पदमुक्त रहे । वे एक विचारशील बुद्धिजीवी थे । गांधी-नेहरु व कांग्रेस की विचारधारा को मानने वाले । हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के विचार विभाग का गठन हुआ तो वे इसके अध्यक्ष बने और मैं संयोजक । उनके नेतृत्व में हमने अनेक सांगठनिक कार्य किये ।
उनके बड़े पुत्र दिवंगत श्री सुर्य स्वामी जी आर एस एस के शीर्ष प्रचारक थे । उनसे भी हमारी कई बार उनके घर पर ही मुलाकात हुई । हम एक दूसरे की विचारधारा को जानते थे फिर भी वैचारिक संवाद करते कि शायद हम किसी को अपने अनुरूप बना ले ,जो सदा नामुकिन रहा । वैचारिक मतभेद के बावजूद वे एक अच्छे सच्चे इंसान थे । दुर्भाग्यवश उनका निधन युवावस्था में ही हो गया । ऐसा मानना रहा कि करनाल लोकसभा क्षेत्र से वे ही भारतीय जनता पार्टी के संभावित प्रत्याशी होते । परन्तु समय को कुछ और ही बदा था । पुत्र के निधन के बाद पार्टी ने पिता आई डी स्वामी जी को अपना उमीदवार बनाया और वे दो बार सांसद चुने गए और श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में मंत्री बने ।
स्वामी जी हर किसी के सुख-दुख में शामिल होते । मेरी सुपुत्री के विवाह समारोह में वे अपनी अस्वस्थता के बावजूद शामिल हुए और लगभग एक पारिवारिक बुज़ुर्ग की तरह लगभग एक घण्टा तक रुके रहे ।इसी अवसर पर उन्हें मैने मशवरा दिया कि वे अपने जीवन के अनुभवों को वृतांत रूप में लिखें ।
यही मेरी उनसे आखरी मुलाकात थी और आज अपनी सभी स्मृतियों को संजो कर उनसे मिलने गया था पर यह क्या वे आज भी नही मिले ।
राजनीति के इस अजात शत्रु को विनम्र श्रद्धांजलि ।
राम मोहन राय
करनाल/ 15.12.2019
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