सांझी विरासत के अमर बलिदानी
19 दिसम्बर, आज का दिन अमर शहीद *प0 राम प्रशाद बिस्मिल व अशफ़ाक़ुल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह* का बलिदान दिवस है । आज ही के दिन सन 1927 में अंग्रेज़ी क्रूर शासन ने उन्हें फांसी दी थी । इन दोनों में गजब की दोस्ती थी । मित्रता न केवल विचारों की अपितु भावनाओं की भी । एक कट्टर आर्य समाजी तथा दूसरा वतन परस्त सच्चा मुसलमान पर इसके बावजूद भी उनकी धार्मिक भावनाएं कभी आड़े नही आई । एक यज्ञ- हवन को अपनी आस्था से जोड़ता रहा दूसरा पांचो वक्त का पक्का नमाज़ी । पर क्या अद्भुत मेल था दोनों मिल कर आर्य समाज ,शाहजहांपुर में कई बार रुकते ।
फांसी से पहले भी जहां राम प्रसाद बिस्मिल ने ईश्वर स्तुति के प्रार्थना मंत्रों का पाठ किया वहीं अशफ़ाक़ ने कुरान की पवित्र आयतें पढ़ कर कुरान शरीफ की प्रति को एक बस्ते में गले में लटका कर फांसी के फंदे को चूमा ।
वर्तमान सन्दर्भ में जब राष्ट्रीय एकता व सर्वधर्म समभाव के मूल्यों के सामने सबसे विकट चुनौतियां है । धर्म, जाति , क्षेत्र व भाषा के नाम पर चारो तरफ विघटन का माहौल है ,ऐसे समय मे इनकी दोस्ती व बलिदान हम सबके लिये प्रेरणा का स्रोत है ।
साम्प्रदयिक सद्भाव व राष्ट्रीय एकता के महान विभूतियों को आज उनके स्मरण दिवस पर
हार्दिक नमन ।
राम मोहन राय
फांसी से पहले भी जहां राम प्रसाद बिस्मिल ने ईश्वर स्तुति के प्रार्थना मंत्रों का पाठ किया वहीं अशफ़ाक़ ने कुरान की पवित्र आयतें पढ़ कर कुरान शरीफ की प्रति को एक बस्ते में गले में लटका कर फांसी के फंदे को चूमा ।
वर्तमान सन्दर्भ में जब राष्ट्रीय एकता व सर्वधर्म समभाव के मूल्यों के सामने सबसे विकट चुनौतियां है । धर्म, जाति , क्षेत्र व भाषा के नाम पर चारो तरफ विघटन का माहौल है ,ऐसे समय मे इनकी दोस्ती व बलिदान हम सबके लिये प्रेरणा का स्रोत है ।
साम्प्रदयिक सद्भाव व राष्ट्रीय एकता के महान विभूतियों को आज उनके स्मरण दिवस पर
हार्दिक नमन ।
राम मोहन राय
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