सभी देशभक्त नागरिकों से अपील
*Inner Voice*
(Nityanootan Broadcast Service)
*सभी देशभक्त नागरिकों को एकजुट होने की जरूरत*
सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट में नोवे संशोधन एवम प्रस्तावित एन आर सी के विरोध में न केवल भारत अपितु पूरे विश्व मे व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं । इन मे हर तबके व सम्प्रदायों के लोग है । इतना ही नही जापान के प्रधानमंत्री ने अपनी भारत यात्रा को स्थगित किया है , मलेशिया के प्रधानमंत्री ने भारत की धर्मनिरपेक्ष संरचना पर ही न केवल सवाल उठाए है वहीं अल्पसंख्यक वर्गों की सुरक्षा पर भी चिंता व्यक्त की है । बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने तो यहाँ तक कह दिया कि भारत मे यदि कोई भी उनके देश का नागरिक अवैध रूप से रह रहा है तो वे उसे वापिस लेने को तैयार है । संयुक्तराष्ट्र संघ ने भी इस पर चिंता व्यक्त की है । अमेरिका, कनाडा,इंग्लैंड ,जर्मनी ,फ्रांस सहित अनेक देशों में वहाँ बसे भारतीय इसके विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे है । विदेशों में रह रहे भारतवंशी चिंतित है कि उनका देश किस रास्ते पर निकल पड़ा है । इन देशों में उनकी अर्जित प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची है । बाहर रह रहे भारतीय उन तक पहुंच रही खबरों से इतने परेशान है कि वे अपने रिश्तेदारों व मित्रो को लगातार देश के बिगड़ते हालात पर पूछ रहे है कि वे सुरक्षित तो है?
यहां देश में भी जगह -२ प्रदर्शन ,धरने व मोर्चे निकाले जा रहे है । देशभर के विश्विद्यालयों में तो विरोध की बयार ही बह रही है । कुछ लोगों का कहना है कि विरोध सिर्फ मुसलमान ही कर रहे है जो बिल्कुल सच नही है । पर यदि सिर्फ वो भी विरोध कर रहे है तो क्या उन्हें भारत के नागरिक के नाते अपनी बात कहने का हक नही है ? जबकि सच्चाई तो यह है कि इन विरोध प्रदर्शनों में गैर मुस्लिम की तादाद ज्यादा है । यहाँ यह तर्क बेहद गैर वाजिब है कि यह संशोधन सिर्फ पाकिस्तान ,बांग्लादेश व अफ़ग़ानिस्तान में गैर मुस्लिमों को सहायता देने के लिये बनाया गया है ,जबकि संशोधन से पहले भी नागरिकता कानून में ऐसे प्रवधान मौजूद थे कि सरकार किसी को भी नागरिकता दे सकती थी परन्तु गैर मुस्लिम को सन्दर्भित कर इसे इरादतन साम्प्रदायिक व विवादित बनाया गया है । और अभी दूसरी ओर एन आर सी की भी तैयारी है । बाहरी तौर पर यह सुखद लग सकता है कि इसका तो पता लगना ही चाहिये कि इस देश मे गैर कानूनी रह रहा है ? पर यह ऐसी बेफिजूल कवायद ही होगी जैसे नोटबन्दी के समय मे कालेधन को वापिस लाने का जुमला । दूसरा इसका अभी तौर - तरीका भी तय नही है । सुनने में आया है कि प्रत्येक को स्वयं को रजिस्टर करवाने के लिये कुल 13 शर्ते पूरी करनी होगी।न केवल समूचे रूप से मुसलमान अपितु असम, बंगाल एवम उत्तर पूर्व के
सभी प्रदेशो में रह रहे सभी लोग इसके विरोध में उठ खड़े हुए है जिससे यह तर्क खुद ही समाप्त हो जाता है कि मुस्लिम ही इसका विरोध कर रहे है । न केवल भारत बल्कि दुनियां भर के भारतीय छात्रों ने जिस सिद्दत से इसका विरोध किया है वह तो एक प्रेरणादायी है ही ।
भारत का विभाजन धर्म के आधार पर न होकर पाकिस्तान का निर्माण धर्म के आधार पर था ,जबकि भारत का निर्माण राष्ट्रीय आज़ादी के मूल्यों लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता के आधार पर हुआ था । पाकिस्तान का क्या हश्र हो रहा है वह हम देख रहे है । धर्म के आधार पर बना पाकिस्तान भाषा का प्रश्न उठते ही टूट गया और बांग्लादेश के नाम से एक नया देश बना, इसके विपरीत भारत ने हर क्षेत्र में विकास व प्रगति के आयाम छुए । अब क्या हम पाकिस्तान की राह पर चलना चाहते है ?
सिटीजन एक्ट में पारित संशोधन तथा प्रस्तावित एन आर सी ने देश की साख को गिराने का काम किया है । देश ,भावुकता तथा किसी सनक में नही चलाया जा सकता । न ही किसी पार्टी ,संगठन एवम विचारधारा से यह चलेगा, यह चलेगा भारत के संविधान से जिसमे लोकतंत्र ,समाजवाद तथा धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को आधार माना गया है । वर्तमान सरकार को इसे समझने के जरूरत है ।
आज देश की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है । किसी की भी हठधर्मिता पूरे देश के ढांचे को खराब कर सकती है ।
ऐसे हालात में देश मे रह रहे सभी देशभक्त , सर्वधर्म समभाव तथा शांतिप्रिय नागरिकों से अपील है कि वे एकजुट होकर इस राष्ट्र को बचाने के लिये अपनी सामूहिक इच्छा शक्ति को जागृत करे ।
*राष्ट्रहित ही सर्वोपरि है तथा इसकी सुरक्षा में ही अपनी सुरक्षा है* ।
राम मोहन राय
दिल्ली/ 22.12.2019
(Nityanootan Broadcast Service)
*सभी देशभक्त नागरिकों को एकजुट होने की जरूरत*
सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट में नोवे संशोधन एवम प्रस्तावित एन आर सी के विरोध में न केवल भारत अपितु पूरे विश्व मे व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं । इन मे हर तबके व सम्प्रदायों के लोग है । इतना ही नही जापान के प्रधानमंत्री ने अपनी भारत यात्रा को स्थगित किया है , मलेशिया के प्रधानमंत्री ने भारत की धर्मनिरपेक्ष संरचना पर ही न केवल सवाल उठाए है वहीं अल्पसंख्यक वर्गों की सुरक्षा पर भी चिंता व्यक्त की है । बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने तो यहाँ तक कह दिया कि भारत मे यदि कोई भी उनके देश का नागरिक अवैध रूप से रह रहा है तो वे उसे वापिस लेने को तैयार है । संयुक्तराष्ट्र संघ ने भी इस पर चिंता व्यक्त की है । अमेरिका, कनाडा,इंग्लैंड ,जर्मनी ,फ्रांस सहित अनेक देशों में वहाँ बसे भारतीय इसके विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे है । विदेशों में रह रहे भारतवंशी चिंतित है कि उनका देश किस रास्ते पर निकल पड़ा है । इन देशों में उनकी अर्जित प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंची है । बाहर रह रहे भारतीय उन तक पहुंच रही खबरों से इतने परेशान है कि वे अपने रिश्तेदारों व मित्रो को लगातार देश के बिगड़ते हालात पर पूछ रहे है कि वे सुरक्षित तो है?
यहां देश में भी जगह -२ प्रदर्शन ,धरने व मोर्चे निकाले जा रहे है । देशभर के विश्विद्यालयों में तो विरोध की बयार ही बह रही है । कुछ लोगों का कहना है कि विरोध सिर्फ मुसलमान ही कर रहे है जो बिल्कुल सच नही है । पर यदि सिर्फ वो भी विरोध कर रहे है तो क्या उन्हें भारत के नागरिक के नाते अपनी बात कहने का हक नही है ? जबकि सच्चाई तो यह है कि इन विरोध प्रदर्शनों में गैर मुस्लिम की तादाद ज्यादा है । यहाँ यह तर्क बेहद गैर वाजिब है कि यह संशोधन सिर्फ पाकिस्तान ,बांग्लादेश व अफ़ग़ानिस्तान में गैर मुस्लिमों को सहायता देने के लिये बनाया गया है ,जबकि संशोधन से पहले भी नागरिकता कानून में ऐसे प्रवधान मौजूद थे कि सरकार किसी को भी नागरिकता दे सकती थी परन्तु गैर मुस्लिम को सन्दर्भित कर इसे इरादतन साम्प्रदायिक व विवादित बनाया गया है । और अभी दूसरी ओर एन आर सी की भी तैयारी है । बाहरी तौर पर यह सुखद लग सकता है कि इसका तो पता लगना ही चाहिये कि इस देश मे गैर कानूनी रह रहा है ? पर यह ऐसी बेफिजूल कवायद ही होगी जैसे नोटबन्दी के समय मे कालेधन को वापिस लाने का जुमला । दूसरा इसका अभी तौर - तरीका भी तय नही है । सुनने में आया है कि प्रत्येक को स्वयं को रजिस्टर करवाने के लिये कुल 13 शर्ते पूरी करनी होगी।न केवल समूचे रूप से मुसलमान अपितु असम, बंगाल एवम उत्तर पूर्व के
सभी प्रदेशो में रह रहे सभी लोग इसके विरोध में उठ खड़े हुए है जिससे यह तर्क खुद ही समाप्त हो जाता है कि मुस्लिम ही इसका विरोध कर रहे है । न केवल भारत बल्कि दुनियां भर के भारतीय छात्रों ने जिस सिद्दत से इसका विरोध किया है वह तो एक प्रेरणादायी है ही ।
भारत का विभाजन धर्म के आधार पर न होकर पाकिस्तान का निर्माण धर्म के आधार पर था ,जबकि भारत का निर्माण राष्ट्रीय आज़ादी के मूल्यों लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता के आधार पर हुआ था । पाकिस्तान का क्या हश्र हो रहा है वह हम देख रहे है । धर्म के आधार पर बना पाकिस्तान भाषा का प्रश्न उठते ही टूट गया और बांग्लादेश के नाम से एक नया देश बना, इसके विपरीत भारत ने हर क्षेत्र में विकास व प्रगति के आयाम छुए । अब क्या हम पाकिस्तान की राह पर चलना चाहते है ?
सिटीजन एक्ट में पारित संशोधन तथा प्रस्तावित एन आर सी ने देश की साख को गिराने का काम किया है । देश ,भावुकता तथा किसी सनक में नही चलाया जा सकता । न ही किसी पार्टी ,संगठन एवम विचारधारा से यह चलेगा, यह चलेगा भारत के संविधान से जिसमे लोकतंत्र ,समाजवाद तथा धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को आधार माना गया है । वर्तमान सरकार को इसे समझने के जरूरत है ।
आज देश की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है । किसी की भी हठधर्मिता पूरे देश के ढांचे को खराब कर सकती है ।
ऐसे हालात में देश मे रह रहे सभी देशभक्त , सर्वधर्म समभाव तथा शांतिप्रिय नागरिकों से अपील है कि वे एकजुट होकर इस राष्ट्र को बचाने के लिये अपनी सामूहिक इच्छा शक्ति को जागृत करे ।
*राष्ट्रहित ही सर्वोपरि है तथा इसकी सुरक्षा में ही अपनी सुरक्षा है* ।
राम मोहन राय
दिल्ली/ 22.12.2019
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