आंख के बदले आंख

हैदराबाद में डॉ रेड्डी की निंदनीय शारीरिक शोषण व निर्मम हत्या के चारो आरोपियों को कल सजा देते हुए  एनकाउंटर के नाम पर मौत के घाट उतार दिया गया । डॉ रेड्डी वीभत्स कांड के बाद पूरा नागरिक समाज उन्हें फांसी देने की मांग कर रहा था ,पर यह फांसी किन्ही समूह अथवा पुलिस के द्वारा न होकर कानून सम्मत था । इस बारे में दो राय नही कि कानूनी प्रक्रिया बहुत लंबी ,थकाऊ व उबाऊ है परंतु इसके इलावा कोई चारा भी नही है । अरब व पाकिस्तान में इस्लामिक शरीअत कानून के नाम पर यह सब कुछ हो चुका है पर हल नही निकल पाया ।
        पिछले दिनों गुड़गांव के राय इंटरनेशनल स्कूल में एक विद्यार्थी के यौन शोषण व हत्या का मामला हम सभी ने सुना था जिसमे एक स्कूल चौकीदार को आरोपी बनाया गया । उसे पुलिस ने प्रताड़ित भी किया गया परन्तु बाद में वह बेकसूर साबित हुआ और आरोपी स्कूल का एक विद्यार्थी ही पाया ।
      यह हमारी कानूनी प्रक्रिया की ही नाकामयाबी है कि लोगों का उससे विश्वास कम हो रहा है ।
 महात्मा गांधी के शब्दों में " यदि आंख के बदले आंख ली जाएगी तो यह पूरी दुनियां ही अंधी हो जाएगी।"
राम मोहन राय
06.12.2019

Comments

  1. आज प्रातःकाल समाचारों के माध्यम से इस घटना की जानकारी मिली, पुलिस मुठभेड़ पर सवाल उठते रहे है पर वहां उपस्थित जन समुदाय की प्रतिक्रिया अलग कहानी बयां कर रही थी। पुलिस वालों के पैर छूना, उन पर फूलों की बारिश करना शायद यह सब जनता की देश के सामान्य नागरिक के मनोभावना व्यक्त कर रही थी। न्याय भी वही है जो जनता की इच्छा के अनुरूप हो । विधान और संविधान देश की जनता के लिए है न कि जनता के मनोभावना के विरुद्ध।
    जैसा कि अपेक्षित है 'कागज़ी शेर' अपना काम शुरू कर चुके होंगे। वह जनता की भावना नही बल्कि अपने स्वयं के एजेंडे पर काम करते दिखेंगे पर आज देश की जनता पुलिस की इस कार्यवाही को सम्मान देते हुए पुलिस को सर आंखों पर बैठाये है इसमें कोई संशय नही है।

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