भाई जी सुब्बाराव ज़िंदाबाद ।

सुब्बाराव जी ज़िंदाबाद
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*Nityanootan Broadcast Service*

 *बेंगलुरु (कर्नाटक) में पिछले एक माह से स्वास्थ्य लाभ कर रहे प्रसिद्ध गाँधीवादी , स्वतन्त्रता सैनानी तथा राष्ट्रीय युवा परियोजना के संस्थापक निदेशक 92 वें वर्षीय डॉ एस एन सुब्बाराव जी* की मिज़ाजपुर्सी के लिये सपत्नीक यहां आने का मौका मिला । हमें जानकर बेहद प्रसन्नता व सकून का अनुभव हुआ कि शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने के बावजूद भी वे मानसिक तौर पर पूर्णतः ठीक है । देश-विदेश में रहने वाले लोगों की उनके प्रति शुभकामनाएं एवम  दुआएं और उनकी खुद की इच्छा शक्ति उन्हें शीघ्र मुक्कमल तौर पर ठीक कर ,24 फरवरी ,2020 को जयपुर (राजस्थान) में होने वाले शिविर में दर्शन लाभ का सौभाग्य देगी ।
     
भाई जी देशभर में चल रहे हालात से काफी चिंतित है और वे चाहते है कि देश भर में राष्ट्रीय एकता व अखण्डता तथा साम्प्रदायिक सद्भाव के लिये  नागरिक आंदोलन चलाया जाए ताकि राष्ट्रीय आज़ादी की विरासत और संस्कृति की रक्षा की जा सके । उनका मानना है कि भारत माता की जय करने मात्र से ही हम राष्ट्रवादी होने का परिचय नही दे सकते जबतक प्रत्येक भारतीय की जीवन दशा को सुधारने की हमारी कोई नीति या नियत न हो । उनकी विशेष चिंता कश्मीर -कश्मीरियों -कश्मीरियत को लेकर रही । कश्मीरी जनता को जिस तरह से लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किया गया है और वह मुनाफे की मंडी बनाई जा रही है उसकी सरहाना नही की जा सकती । कानून जनता की भावनाओं के अनुरूप हो तथा उनकी सहमति ही उसे स्वीकार्यता देती है ,इसके विपरीत किन्ही दमन अथवा पाबन्दियों से उन्हें आयद करना हमें कमजोर ही करेगा । वे चाहते है कि देशभर के सेंकडो देशभक्त स्वाभिमानी लोग वहां जाए तथा उनके घावों पर मलहम लगाने का काम करे ।
     
भाई जी अन्य चिंताओं में बड़ी चिंता नागरिकता पर बने नए कानूनों पर है । उनका स्पष्ट मानना है कि साम्प्रदायिक आधार पर कोई भी कानून बनाना तथा संशोधन करना भारतीयता को तोड़ने जैसा है और इसका विरोध करना हर भारतीय को शांतिपूर्ण -अहिंसक ढंग से करना चाहिये । हमारे देश की स्वतंत्रता के लिये सभी धर्मों, क्षेत्रों एवम वर्गों ने समान रूप से भाग लिया । हमारा उद्देश्य धर्म विशेष के आधार पर राज्य न बना कर सर्व धर्म एकता का देश बनाना था । जिन्होंने धर्म के नाम पर देश बनाया ,वे भाषा के सवाल पर टूट गए । सूडान का भी उदाहरण हमारे सामने है । वे मानते है *जो तोड़गे ,वे टूटेंगे* ।  हमारे देश के सीमावर्ती राज्यो में अलगाव के आंदोलन चिंताजनक है । इस देश मे तीन राज्य ईसाई बाहुल्य है ,एक2  मुस्लिम ,सिख,व बौद्ध । फिर कैसे हम इस देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की हम सोच भी सकते है । ऐसा करना हमे विखंडन की तरह ले जाएगा । हम पाकिस्तान नही बनना चाहेंगे जो भाषा के नाम पर अलग बांग्लादेश बना कर नस्ली भेदभाव के कारण और भी टूटन की तरफ बढ़ रहा है । और न ही हम नेपाल बन सकते जो हिन्दू राष्ट्रवाद को छोड़ कर सर्वधर्म समभाव व लोकतंत्र की तरफ आ रहा है ।
          उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की इस काम के लिये प्रशंसा की कि वे भारत के एक प्रदेश के 60 युवाओं को किसी अन्य प्रदेश में भेजने के आदान प्रदान कार्यक्रम करना चाहते है । पर उनका मानना है कि ऐसा करने से तो कुल दो प्रदेशो में ही एकता बनेगी । भारत तो विविधता का देश है । इसके लिये जरूरी है सब भारतीय युवा पूरे देश के युवाओं के साथ मिल-जुल कर एक दूसरे की भाषा संस्कृति को सीखें और ऐसा तभी होगा जब उनके द्वारा लगाए गए शिविरों के समरूप राष्ट्रीय युवा शिविर लगाए जाएं तथा *भारत की सन्तान* विचार को प्रदर्शित किया जाए । वे दुखी है कि ऐसे एकता शिविरों के आयोजन के लिये उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा । प्रधानमंत्री जी ने उस पत्र को अपनी संस्तुति के साथ सम्बंधित मंत्रालय को भेजा और सम्बंधित मंत्री ने अपनी सिफारिश के साथ नीति आयोग को भेजा और नीति आयोग ने अपनी टिप्पणी  की किसी भी एन जी ओ को ऐसे काम के लिये मदद नही की जा सकती ,के साथ पत्र पर किसी भी कार्यवाही करने से इनकार कर दिया । भाई जी सवाल है कि क्या यह किसी एन जी ओ का प्रोजेक्ट था?  यह तो राष्ट्र निर्माण को योजना है जिसके माध्यम से एक बड़ी राष्ट्रीय भावना का संचार होगा । पर नौकरशाही तथा सत्ता का घृणित तालमेल ऐसे किसी भी काम को करना नही चाहती । इसके बावजूद भी भाई जी निराश नही है और उन्होंने  देशभर के अपने मित्रों को पत्र लिख कर उन्हें सहयोग देने की अपील की है ।
     
भाई जी 24 फरवरी से 1 मार्च तक जयपुर में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय एकता शिविर में भाग लेने जा रहे है । उनका स्वास्थ्य उनकी सहायता करे ऐसी हम कामना करते है । अपनी 92 वर्ष की इस अवस्था में उन्होंने अपने जीवन मे इतना काम किया है जितना कोई पुरुषार्थी व्यक्ति अनेक जन्मों में करता है । हम उनके दृघ आयु की कामना करते है । वेद में कहा है *कुरुवननहेव कर्माणि जीजी वीछेतस्मा अर्थात संसार मे सत्कर्म करते हुए सौ वर्ष तक जीने की कामना करें* ।
राम मोहन राय
बेंगलुरु,
19.02.2020

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