सबको सन्मति दे भगवान
सबको सन्मति दे भगवान!
💐💐💐💐
(Nityanootan Broadcast Service)
सोशल मीडिया एवम अन्य समाचारों से खबरें आ रही है कि दिल्ली में साम्प्रदायिक हालात ठीक नही है तथा दंगे होने की स्थिति है । कुछ कह रहे है हिन्दू भारी पड़ेंगे और कुछ मुस्लिमों को । यह भी समाचार है कि नागरिकता कानून के पक्ष -विपक्ष के लोगों का झगड़ा है जो उन्माद का रूप ले रहा है ।
एक शांति सैनिक होने के नाते मेरा कोई बहुत ज्यादा अनुभव तो नही है ,परन्तु मैने 1982 से 1984 तक के सिख विरोधी माहौल व दंगो को न केवल देखा है अपितु शांति के लिये काम भी किया है । उस समय के दंगों में न तो हिन्दू दंगाई थे और न ही सिख । हां उन्माद जरूर तैयार किया गया था जिसे असमाजिक तत्वों ,लुटेरों तथा शरारती लोगों ने अंजाम दिया । ये तत्व किस धर्म के थे इसकी न तो आज तक किसी ने कोई खोज खबर की और न ही उन्हें पकड़ कर सजा दिलवाई गयी । नेता जरूर गिरफ्त में आये और वे आज भी लम्बी और सुस्त कानूनी प्रक्रिया के कारण बाहर मौज मस्ती कर रहे है । इस बारे में दो राय नही की इन दंगाइयों को पूरी तरह से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था ।
बहुत ही शर्म की बात है कि राजनेता अपनी सस्ती लोकप्रियता तथा खुनस निकालने के लिये भड़काऊ भाषण बाजी एवम बयान देते है और उनके द्वारा फैलाए हिंसात्मक गन्दगी से वातावरण गन्दा होता है और यह यहां दिल्ली में भी हुआ है । कानून व्यवस्था की जिम्मेवारी सरकार की है और ऐसे ही किन्ही सड़को को खुलवाने की भी । सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपने बेहतर प्रशंसनीय प्रयास कर रहा है । फिर कुछ लोग कानून व्यवस्था को सुधारने की जिम्मेवारी अपने हाथ मे क्यों लेना चाहते है ,ऐसे लोगों को तुरंत रोकना चाहिए ।
अमेरिका के राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा ,भारत -अमेरिकी सम्बन्धो में नए कीर्तिमान स्थापित करेगी, जिसकी हम सब को अपेक्षा है । प्रधानमंत्री जी ने बहुत मेहनत से ऐसा माहौल बनाया है । इस क्रम में साम्प्रदायिक दंगे हमारी छवि को निश्चित रूप से नुकसान पहुचायेगी ।
अफसोस आज न तो महात्मा गांधी है और न उन सरीखा ,जो चल पड़े इस आग को बुझाने के लिये । आज हम सब को उस मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेनी होगी ।
*सियासत को लहू पीने की लत है*,
*वरना शहर में सब खैरियत है* ।
राम मोहन राय
दिल्ली /25.02.2020
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(Nityanootan Broadcast Service)
सोशल मीडिया एवम अन्य समाचारों से खबरें आ रही है कि दिल्ली में साम्प्रदायिक हालात ठीक नही है तथा दंगे होने की स्थिति है । कुछ कह रहे है हिन्दू भारी पड़ेंगे और कुछ मुस्लिमों को । यह भी समाचार है कि नागरिकता कानून के पक्ष -विपक्ष के लोगों का झगड़ा है जो उन्माद का रूप ले रहा है ।
एक शांति सैनिक होने के नाते मेरा कोई बहुत ज्यादा अनुभव तो नही है ,परन्तु मैने 1982 से 1984 तक के सिख विरोधी माहौल व दंगो को न केवल देखा है अपितु शांति के लिये काम भी किया है । उस समय के दंगों में न तो हिन्दू दंगाई थे और न ही सिख । हां उन्माद जरूर तैयार किया गया था जिसे असमाजिक तत्वों ,लुटेरों तथा शरारती लोगों ने अंजाम दिया । ये तत्व किस धर्म के थे इसकी न तो आज तक किसी ने कोई खोज खबर की और न ही उन्हें पकड़ कर सजा दिलवाई गयी । नेता जरूर गिरफ्त में आये और वे आज भी लम्बी और सुस्त कानूनी प्रक्रिया के कारण बाहर मौज मस्ती कर रहे है । इस बारे में दो राय नही की इन दंगाइयों को पूरी तरह से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था ।
बहुत ही शर्म की बात है कि राजनेता अपनी सस्ती लोकप्रियता तथा खुनस निकालने के लिये भड़काऊ भाषण बाजी एवम बयान देते है और उनके द्वारा फैलाए हिंसात्मक गन्दगी से वातावरण गन्दा होता है और यह यहां दिल्ली में भी हुआ है । कानून व्यवस्था की जिम्मेवारी सरकार की है और ऐसे ही किन्ही सड़को को खुलवाने की भी । सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपने बेहतर प्रशंसनीय प्रयास कर रहा है । फिर कुछ लोग कानून व्यवस्था को सुधारने की जिम्मेवारी अपने हाथ मे क्यों लेना चाहते है ,ऐसे लोगों को तुरंत रोकना चाहिए ।
अमेरिका के राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा ,भारत -अमेरिकी सम्बन्धो में नए कीर्तिमान स्थापित करेगी, जिसकी हम सब को अपेक्षा है । प्रधानमंत्री जी ने बहुत मेहनत से ऐसा माहौल बनाया है । इस क्रम में साम्प्रदायिक दंगे हमारी छवि को निश्चित रूप से नुकसान पहुचायेगी ।
अफसोस आज न तो महात्मा गांधी है और न उन सरीखा ,जो चल पड़े इस आग को बुझाने के लिये । आज हम सब को उस मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेनी होगी ।
*सियासत को लहू पीने की लत है*,
*वरना शहर में सब खैरियत है* ।
राम मोहन राय
दिल्ली /25.02.2020
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