विश्व आर्य समाज
*विश्व आर्य समाज*
(Nityanootan Broadcast Service)
आज का दिन आर्य समाज के इतिहास में संक्रमण का युग रहा ,जब पूरे देश के गणमान्य कार्यकर्ता प्रसिद्ध आर्य सन्यासी ,मानवाधिकार कार्यकर्ता तथा वैदिक विचारक स्वामी अग्निवेश जी के आह्वान पर जंतर मंतर रोड स्थित केरल भवन में एकत्रित हुए तथा उन्होंने प्रसिद्ध पत्रकार व मनीषी डॉ वेद प्रताप वैदिक की अध्यक्षता में पूरे दिन चली संगोष्ठी में यह निश्चय किया कि वे विश्व आर्य समाज का निर्माण करेंगे तथा एक नई विश्व व्यवस्था के निर्माण के लिये कार्य करेंगे ।
संगोष्ठी की खूबसूरती इसमे रही कि इसमें भारत के हर हिस्से से वे प्रतिनिधि थे जो आर्य समाज के आंदोलन को इसके संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के विचार दर्शन के अनुकूल इसे आगे ले जाना चाहते थे ।
स्वामी अग्निवेश ने अपने मुख्य वक्तव्य में अपने संघर्षमय जीवन का सजीव चित्रण करते हुए वर्तमान स्थिति में विश्व आर्य समाज की प्रासंगिकता विषय पर अपने विचार रखे ,ततपश्चात स्वामी वेदात्मवेश (महाराष्ट्र), आर्य कुमार (ओड़िसा), निर्मल कुमार शर्मा, मनोहर मानव(बिहार), श्रीमती पद्मिनी कुमार, श्री प्रेम, श्री पवन आर्य, राम मोहन राय, सुश्री प्रवेश आर्य , श्री हवा सिंह(सभी हरियाणा), श्री कमल आर्य (उज्जैन), श्री सुभाष निम्बालकर(नागपुर), श्री सप्तर्षि गिरी( अमेरिका), श्री अरुण आर्य(पटना), सिख विद्वान स0 दया सिंह, श्री याग्निक जी, श्री मनु सिंह व श्री घनश्याम मुरारी ने अपने विचार प्रकट किए ।
बैठक में निम्नलिखित प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया और निश्चय किया गया कि इसे सिद्धांत रूप में आधार मान कर स्थान-२ पर विश्व आर्य समाज की स्थापना की जाए ।प्रस्ताव
आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानन्द से प्रेरणा लेकर उनके वैज्ञानिक वेदभाष्य के मार्गदर्शन में तथा आर्य समाज के 10 नियमों को मानवतावाद एवं समतावाद का घोषणा पत्र मानकर हम सभी एकत्रित आर्यसमाज से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ता संकल्प लेते हैं कि-
1. आर्यसमाज में वैचारिक स्तर पर और सांगठनिक स्तर पर जो संकीर्ण साम्प्रदायिक घृणा और हिंसा की काली ताकतों ने घुसपैठ की है उनको हम पूरी ताकत के साथ संगठित होकर बाहर निकालेंगे और भारत एवं पूरे विश्व में सामप्रदायिक घृणा और हिंसा के विचार के खिलाफ संदेश को नवजागरण का संवाहक बनाएंगे।
2. वैदिक एकेश्वरवाद के अनुरूप अन्य सभी धार्मिक समाजों में जो-जो प्रेरक विचार एवं महापुरूषों के जीवन प्रसंग हैं उन सबको जोड़कर आर्य समाज को एक वैश्विक आर्य समाज का रूप देंगे तथा मानवमात्र में सत्य, प्रेम, करूणा और न्याय की आध्यात्मिक ऊर्जा उद्दीप्त करके असत्य, घृणा, हिंसा की ताकतों से जूझने का संकल्प जगाऐंगे।
3. विश्व आर्य समाज को संस्थावाद, ईंट-चुना गारे वाली आर्यसमाज के मंदिरवाद से मुक्त करके एक-एक व्यक्ति को आर्य समाज के दस नियमों में दीक्षित कर मानवीय सदस्य बनाने का अभियान चलाऐंगे।
4. आर्य समाज ऐसे सभी संविधान - विरोधी कानूनों, रूढ़ियों और प्रथाओं का खुलकर विरोध करेगा, जिनके कारण देश में साम्प्रदायिक और जातीय भेदभाव फैलता है। संकीर्ण साम्प्रदायिकता और जातिवाद का विरोध करने में आर्य समाज अग्रणी भूमिका निभाएगा। उसके आंदोलन अहिंसक और अनुशासित होंगे ।
यथा वर्तमान में रू.
भारत सरकार द्वारा लाए गए संविधान विरोधी कानून (CAA, NRC, NPR) को लोगों पर थोपने की और हिंसा भड़काने की जो नापाक कोशिश है उसका हम अहिंसक तरीके से विरोध करेंगे तथा असहयोग आंदोलन का अभियान चलाएंगे ।
5. विश्व आर्यसमाज द्वारा धार्मिक पाखण्ड एवं अंधविश्वास के विरूद्ध संघर्षरत कार्यकर्ताओं की शहादत का सम्मान करते हुए प्रतिवर्ष हम उन्हें विशेष सम्मान समारोह के माध्यम से आर्थिक अनुदान द्वारा अपने श्रद्धासुमन भेंट करेंगे।
6. समाज के अंतिम व्यक्ति के निर्मम शोषण और गुलामी की प्रथा के विरूद्ध सामाजिक सप्तक्रांति के माध्यम से भारतीय संविधान एवं संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार के घोषणा पत्र के अनुरूप घोषित 17 (Sustainable Development Goals) मुद्दों को लागू करने के दिशा में धरती का संविधान और विश्व सरकार केे गठन की तरफ कदम बढ़ाएंगे तथा इसकी शुरूआत दक्षिण एशिया के देशों में यूरोपीयन यूनियन जैसी संघीय एकता का मंत्र फूंककर आतंकवाद, हथियारवाद और संकीर्ण राष्ट्रवाद से मुक्ति दिलाएंगे।
7. भारतीय संविधान से संबन्धित आधारभूत ईकाई ग्राम सभा को राजधर्म के आधार पर खड़ा करके देश और दुनियां में व्याप्त भ्रष्ट राजनीति को चुनौती देते हुए विश्व आर्यसमाज द्वारा वसुधैव कुटुम्बकम का शंखनाद करेेंगे ।
संगोष्ठी में यह भी पारित किया गया कि ऋषि दयानन्द द्वारा आर्य समाज की स्थापना नव संवत्सर को की गई थी जो इस बार 25 मार्च को आ रहा है । उस दिन एक बड़ा कार्यक्रम दिल्ली में किया जाए जिसमे देशभर से अग्रगण्य साथी इकठ्ठे होकर भविष्य की कार्य योजना को सरंजाम दे ।
राम मोहन राय
दिल्ली / 01.03.2020
(Nityanootan Broadcast Service)
आज का दिन आर्य समाज के इतिहास में संक्रमण का युग रहा ,जब पूरे देश के गणमान्य कार्यकर्ता प्रसिद्ध आर्य सन्यासी ,मानवाधिकार कार्यकर्ता तथा वैदिक विचारक स्वामी अग्निवेश जी के आह्वान पर जंतर मंतर रोड स्थित केरल भवन में एकत्रित हुए तथा उन्होंने प्रसिद्ध पत्रकार व मनीषी डॉ वेद प्रताप वैदिक की अध्यक्षता में पूरे दिन चली संगोष्ठी में यह निश्चय किया कि वे विश्व आर्य समाज का निर्माण करेंगे तथा एक नई विश्व व्यवस्था के निर्माण के लिये कार्य करेंगे ।
संगोष्ठी की खूबसूरती इसमे रही कि इसमें भारत के हर हिस्से से वे प्रतिनिधि थे जो आर्य समाज के आंदोलन को इसके संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के विचार दर्शन के अनुकूल इसे आगे ले जाना चाहते थे ।
स्वामी अग्निवेश ने अपने मुख्य वक्तव्य में अपने संघर्षमय जीवन का सजीव चित्रण करते हुए वर्तमान स्थिति में विश्व आर्य समाज की प्रासंगिकता विषय पर अपने विचार रखे ,ततपश्चात स्वामी वेदात्मवेश (महाराष्ट्र), आर्य कुमार (ओड़िसा), निर्मल कुमार शर्मा, मनोहर मानव(बिहार), श्रीमती पद्मिनी कुमार, श्री प्रेम, श्री पवन आर्य, राम मोहन राय, सुश्री प्रवेश आर्य , श्री हवा सिंह(सभी हरियाणा), श्री कमल आर्य (उज्जैन), श्री सुभाष निम्बालकर(नागपुर), श्री सप्तर्षि गिरी( अमेरिका), श्री अरुण आर्य(पटना), सिख विद्वान स0 दया सिंह, श्री याग्निक जी, श्री मनु सिंह व श्री घनश्याम मुरारी ने अपने विचार प्रकट किए ।
बैठक में निम्नलिखित प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया और निश्चय किया गया कि इसे सिद्धांत रूप में आधार मान कर स्थान-२ पर विश्व आर्य समाज की स्थापना की जाए ।प्रस्ताव
आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानन्द से प्रेरणा लेकर उनके वैज्ञानिक वेदभाष्य के मार्गदर्शन में तथा आर्य समाज के 10 नियमों को मानवतावाद एवं समतावाद का घोषणा पत्र मानकर हम सभी एकत्रित आर्यसमाज से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ता संकल्प लेते हैं कि-
1. आर्यसमाज में वैचारिक स्तर पर और सांगठनिक स्तर पर जो संकीर्ण साम्प्रदायिक घृणा और हिंसा की काली ताकतों ने घुसपैठ की है उनको हम पूरी ताकत के साथ संगठित होकर बाहर निकालेंगे और भारत एवं पूरे विश्व में सामप्रदायिक घृणा और हिंसा के विचार के खिलाफ संदेश को नवजागरण का संवाहक बनाएंगे।
2. वैदिक एकेश्वरवाद के अनुरूप अन्य सभी धार्मिक समाजों में जो-जो प्रेरक विचार एवं महापुरूषों के जीवन प्रसंग हैं उन सबको जोड़कर आर्य समाज को एक वैश्विक आर्य समाज का रूप देंगे तथा मानवमात्र में सत्य, प्रेम, करूणा और न्याय की आध्यात्मिक ऊर्जा उद्दीप्त करके असत्य, घृणा, हिंसा की ताकतों से जूझने का संकल्प जगाऐंगे।
3. विश्व आर्य समाज को संस्थावाद, ईंट-चुना गारे वाली आर्यसमाज के मंदिरवाद से मुक्त करके एक-एक व्यक्ति को आर्य समाज के दस नियमों में दीक्षित कर मानवीय सदस्य बनाने का अभियान चलाऐंगे।
4. आर्य समाज ऐसे सभी संविधान - विरोधी कानूनों, रूढ़ियों और प्रथाओं का खुलकर विरोध करेगा, जिनके कारण देश में साम्प्रदायिक और जातीय भेदभाव फैलता है। संकीर्ण साम्प्रदायिकता और जातिवाद का विरोध करने में आर्य समाज अग्रणी भूमिका निभाएगा। उसके आंदोलन अहिंसक और अनुशासित होंगे ।
यथा वर्तमान में रू.
भारत सरकार द्वारा लाए गए संविधान विरोधी कानून (CAA, NRC, NPR) को लोगों पर थोपने की और हिंसा भड़काने की जो नापाक कोशिश है उसका हम अहिंसक तरीके से विरोध करेंगे तथा असहयोग आंदोलन का अभियान चलाएंगे ।
5. विश्व आर्यसमाज द्वारा धार्मिक पाखण्ड एवं अंधविश्वास के विरूद्ध संघर्षरत कार्यकर्ताओं की शहादत का सम्मान करते हुए प्रतिवर्ष हम उन्हें विशेष सम्मान समारोह के माध्यम से आर्थिक अनुदान द्वारा अपने श्रद्धासुमन भेंट करेंगे।
6. समाज के अंतिम व्यक्ति के निर्मम शोषण और गुलामी की प्रथा के विरूद्ध सामाजिक सप्तक्रांति के माध्यम से भारतीय संविधान एवं संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार के घोषणा पत्र के अनुरूप घोषित 17 (Sustainable Development Goals) मुद्दों को लागू करने के दिशा में धरती का संविधान और विश्व सरकार केे गठन की तरफ कदम बढ़ाएंगे तथा इसकी शुरूआत दक्षिण एशिया के देशों में यूरोपीयन यूनियन जैसी संघीय एकता का मंत्र फूंककर आतंकवाद, हथियारवाद और संकीर्ण राष्ट्रवाद से मुक्ति दिलाएंगे।
7. भारतीय संविधान से संबन्धित आधारभूत ईकाई ग्राम सभा को राजधर्म के आधार पर खड़ा करके देश और दुनियां में व्याप्त भ्रष्ट राजनीति को चुनौती देते हुए विश्व आर्यसमाज द्वारा वसुधैव कुटुम्बकम का शंखनाद करेेंगे ।
संगोष्ठी में यह भी पारित किया गया कि ऋषि दयानन्द द्वारा आर्य समाज की स्थापना नव संवत्सर को की गई थी जो इस बार 25 मार्च को आ रहा है । उस दिन एक बड़ा कार्यक्रम दिल्ली में किया जाए जिसमे देशभर से अग्रगण्य साथी इकठ्ठे होकर भविष्य की कार्य योजना को सरंजाम दे ।
राम मोहन राय
दिल्ली / 01.03.2020





Saptshree Giri raised a chronic but savere issue of poisoning the confused lives of poor by venomous RSS. Hence it Need be taken on priority.
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