दिया जलाएं, पर सवाल भी जरूर पूछें

*Inner Voice*

(Nityanootan Broadcast Setvice)
        श्री नरेन्द्र मोदी हमारे इस विशाल देश जिसमे 130 करोड़ देशवासी निवास करते है ,उसके प्रधानमंत्री है । इसलिये हम उनकी हर बात पर न केवल यकीन करेंगे बल्कि अक्षरशः पालन भी करेंगे । कोई कितना भी उकसाये कि कई दिया  जलाएंगे और कईयों की जलेगी । इसके बावजूद भी हम घर मे आज रात 9 बजे घर की सभी बत्तियों को बंद करके 9 मिनट को मोमबत्ती, दिया ,टॉर्च अथवा मोबाइल फोन की लाइट जरूर ऑन करेंगे ।
      पर इसके साथ-२ हम अपने सवाल करने के अधिकार का भी पालन करेंगे और उनसे पूछेंगे कि इस रात को 9 बजे 9 मिनट तक बत्ती जलाने का वैज्ञानिक आधार क्या है ?
      प्रधानमंत्री जी ने संविधान की शपथ लेकर कार्य भार सम्भाला है । अपनी शपथ में उन्होंने कहा था *मैं, अमुक, ईश्वर की शपथ लेता हूं / सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं... राज्य के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार कार्य करूंगा*. ’
 इसलिये उन पर हम बिल्कुल यकीन करते है कि उन्होंने आज रात का आह्वान संविधान अनुसार ही दिया होगा । इसे देते हुए उन्होंने भारतीय संविधान में  वर्णित राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्तों जिसके अनुच्छेद 44 में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि राज्य साम्प्रदायिकता ,कट्टरतावाद एवम अंधविश्वास पर रोक लगाने का कार्य करे, इसका भी पालन किया होगा ।
      इसी संविधान से हमे भी इस सार्वभौम , धर्मनिरपेक्ष ,लोकतांत्रिक व समाजवादी राष्ट्र का नागरिक बनने का सौभाग्यपूर्ण नागरिक बनने का अधिकार मिला है और यह संविधान ही हमें मौलिक अधिकार देकर हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है । उसी अधिकार का प्रयोग करते हुए हम न्यायोचित प्रश्न पूछ सकते है । *उसी अधिकार से हमारा प्रश्न है कि कोरोना के इलाज के लिये क्या हमारे देश मे सभी उपकरण ,व्यवस्थाएं एवम स्टाफ  का इंतज़ाम है*? *क्या हमारे देश मे जिन लोगों का लॉक डाउन होने पर काम-धंधा छूट गया और वे भूख के मुहाने पर खड़े है उनका पेट भरने तथा बेरोजगारी भत्ता देने की स्थिति है* ? *डॉक्टर्स ,नर्सिंग स्टाफ ,सफाई कर्मचारियों व अन्य सहयोगी जन को उनकी सुरक्षा उपकरण ,वर्दी आदि की व्यवस्था है*? ऐसे अनेक मौलिक प्रश्न है जिनके जवाब मिलने बहुत जरूरी है । मेरे एक मित्र ने मुझे एक गणित भेजा कि प्रधानमंत्री जी की इस  दीप प्रज्वलित करने के आह्वान का आधार यह है :
   
*मोदी जी का 5 अप्रैल को 9 बजे, 9 मिनट तक दीपक वाला भाषण...
तारीख 5 ही क्यों चुनी ?
रविवार ही क्यों चुना ?
9 बजे का वक्त ही क्यों चुना ?
9 मिनट का समय ही क्यों चुना ?
जब पूरा लॉकडाउन ही है तो शनिवार, शुक्रवार या सोमवार कोई भी चुनते क्या फर्क पड़ता ?
जिनको #अंकशास्त्र की थोड़ी भी जानकारी होगी, उनको पता होगा कि #5_अंक_बुध का होता है.. यह #बीमारी_गले_फेफड़े में ही ज्यादा फैलती है, मुख गले फेफड़े का कारक भी बुध ही होता है..
रविवार सूर्य का होता है।
दीपक या प्रकाश भी सूर्य का ही प्रतीक है
9 अंक होता है मंगल.. #
रात या अंधकार होता है शनि का...
अब रविवार 5 अप्रैल को, जोकि पूर्णिमा के नजदीक है, मतलब चन्द्र  भी मजबूत... सभी प्रकाश बंद करके, रात के 9 बजे, 9 मिनट तक टॉर्च दीपक फ़्लैश लाइट आदि से प्रकाश करना है।
चौघड़िया #अमृत रहेगी, होरा भी उस वक्त सूर्य का होगा.... शनि के काल में सूर्य को जगाने के प्रयास के तौर पर देखा जा सकता है.. 9-9 करके सूर्य के साथ मंगल को भी जागृत करने का प्रयास,
मतलब शनि राहु रूपी अंधकार (महामारी) को  उसी के शासनकाल में में बुध सूर्य चन्द्र और मंगल मिलकर हराने का संकल्प लेंगे।
बुध इस संवत्स्वर 2077 के राजा व चन्द्र मंत्री हैं*।
       एक अन्य मित्र ने मोमबत्ती जलाने की प्रक्रिया को मुझे समझाते हुए यह पोस्ट भेजी ।
*एक मोमबत्ती 2 kcal गर्मी देती है,एक मोबाइल फ़्लैश 0.5 kcal गर्मी,एक तिल के तेल का दिया 3 kcal गर्मी देता है।मान लीजिए130 करोड़ में से 70 करोड़ लोगों ने भी इस आदेश का पालन किया और उसमें 35 करोड़ मोमबत्ती,20 करोड़ फ़्लैश और15 करोड़ दिए जलाए गए तो 125 करोड़ kcal गर्मी उत्पन्न होगी।Corona Naam Ka दरिंदा तो 10kcal गर्मी में ही मर जाता है।इसलिए 5 अप्रैल को सारे विषाणु मर सकते हैं अगर हम मिल कर इस अभियान को सफल बनाएं।5 अप्रैल को दीपावली समझ कर दिए अवश्य जलाएं।* -
   
मैं समझता हूं कि प्रधानमंत्री जी का आधार उपरोक्त दोनों बाते न होकर कोई न कोई वैज्ञानिक तर्क पर आधारित होगी । मेरे एक अन्य मित्र ने एक पूरा लेख ही सकारात्मक ऊर्जा पर ही लिख भेजा ।
     हमारे अनेक मित्रो का दुराग्रह है कि जिरह न करो ,यह आस्था का विषय है । इस पर विश्वाश करो। सब अच्छा हो जाएगा । पर क्या ऐसा ही वे तब्लीगी नही।कहते कि यकीन करें कि उनका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता क्योंकि अल्लाह उनके साथ है । क्या अल्लाह या भगवान अलग-२ है ? यदि नही तो आस्था पर प्रश्नचिन्ह लगा कर हमें इसका वैज्ञानिक जरूर जानना होगा। प्रधानमंत्री जी के आदेश-निर्देश का पालन करते हुए हम अपनी एकजुटता अवश्य प्रकट करेंगे पर सवाल पूछने का अपना अधिकार नही छोड़ेंगे । हमारे ऐसे सवालों को देख कर हमारे कुछ मित्र पूछते है कि आप क्योंकि सेक्युलर है इसलिये आप तो यूँ ही बोलते है । भाइयो और बहनों , जो भी इस देश का नागरिक है वह सेक्युलर ही हो सकता है ,इसके विपरीत कम्युनल नही ।

राम मोहन राय,
पानीपत,
05.04.2020

Comments

Popular posts from this blog

Justice Vijender Jain, as I know

Aaghaz e Dosti yatra - 2024

मुजीब, गांधी और टैगोर पर हमले किस के निशाने पर