आग़ाज़ ए दोस्ती अमन यात्रा

 आगाज़- ए- दोस्ती की पहल पर देश भर के प्रमुख शांति संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में अमन- दोस्ती यात्रा विषय पर एक संगोष्ठी  का आयोजन जूम एप पर किया गया।स्मरण रहे कि गत वर्षों में 13- 15 अगस्त तक  ऐसा कार्यक्रम दिल्ली से अमृतसर वाघा सीमा पर जाकर भारत और पाकिस्तान की जनता के बीच शांति एवं मैत्री की कामना करते हुए मोमबत्तियां जलाकर किया जाता था। परंतु इस वर्ष कोरोना की वजह से यह संभव नहीं हुआ तो इस पद्धति का प्रयोग किया गया। 

                कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए गांधी ग्लोबल फैमिली/ निर्मला देशपांडे संस्थान/ एसोसिएशन ऑफ एशिया के संयोजक श्री राम मोहन राय ने आग़ाज़- ए - दोस्ती के इस कार्यक्रम का परिचय दिया और बताया कि यह संगठन किस तरह दोनों देशों के युवाओं के बीच वार्षिक अमन कैलेंडर सांझा अमन चौपाल एवं संगोष्ठियों

 के माध्यम से विचारों का आदान प्रदान करता है। अमन दोस्ती यात्रा का शुभारंभ यद्यपि 1985 में  विख्यात पत्रकार एवं राजनीतिज्ञ श्री कुलदीप नैय्यर एवं उनके साथियों ने किया था, जो इसे 2015 तक यथावत चलाते रहे। अपनी मृत्यु वर्ष 2018 में उन्होंने ऐसी यात्रा चलाने का दायित्व अपने समविचार संगठनों को दिया। जिसमें आगाज़ -ए- दोस्ती भी एक  था और अब वह दायित्व को भलीभांति निभा रहा है। स्वर्गीय निर्मला देशपांडे तथा उनके साथियों ने जीवन पर्यंत भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच सद्भावना का काम किया। उन्होंने अपने सहयोगियों डॉ. मोहिनी गिरी, डॉ. सईदा हमीद, श्री सतपाल ग्रोवर, श्री रमेश चंद्र शर्मा और श्री रमेश यादव( सभी भारत), श्रीमती आसमां जहांगीर, डॉ. जकी हसन, श्री वी एम कुट्टी, डॉ. मुब्बाशिर हसन एवं करामत अली (सभी पाकिस्तान) के सहयोग से इस काम को निरंतर जारी रखने का प्रयास किया।    

         कार्यक्रम का संचालन  लाहौर ( पाकिस्तान) की श्रीमती आतिक रज़ा ने किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में एक कार्यक्रम के प्रयोजन को विस्तार से  रखा। 

        गिफ्ट यूनिवर्सिटी गुजरांवाला( पाकिस्तान )के छात्र अब्दुल्ला ने बाबा नज़्मी का एक कलाम पेश करते हुए कहा कि,' मस्जिद मेरी तू क्यों ढावें, मैं क्यों तोड़ू मंदिर को।'

           आज समय की यही मांग है कि हम एक दूसरे की आवाज बने तथा द्विराष्ट्र के सिद्धांत पर आधारित भारत व पाकिस्तान के बीच नफरतों के पहाड़ को खत्म कर मोहब्बत और अमन का दीप जलाएं ।

        विश्व विख्यात क्रांतिकारी शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की सुपुत्री सलीमा हाशमी ने अपने पिता की एक नज़्म पढ़कर अपना संदेश दिया-

"तुम्हीं कहो क्या करना है

जब दुःख की नदिया में हमने

जीवन की नाव डाली थी

था कितना कस-बल बाहों में

लोहू में कितनी लाली थी

"

        प्रसिद्ध बैरिस्टर नया दौर पाकिस्तान के पत्रकार एवं टीवी वार्ताकार रजा रूमी ने कहा कि वर्तमान हालात में अमन शांति की बहुत ज्यादा जरूरत है। सन 2020 जैसे हालात कभी भी नहीं बने जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध ही समाप्त है। यह समय बड़ा चुनौतीपूर्ण है। ऐसे समय में युवकों की पहल ही रास्ता दिखा सकती है। उन्होंने कहा कि देश आसमां जहांगीर,निर्मला देशपांडे तथा कुलदीप नैयर को स्मरण करता हैं कि उन्होंने अपने बेमिसाल प्रयासों से लोगों को जोड़ने का प्रयास किया। हमारे सामने यूरोप का उदाहरण है जो बरसों तक लड़े , जिनकी वजह से दो विश्वयुद्ध भी हुए ।परंतु जब वे शांति ,प्रेम एवं दोस्ताना माहौल में रह सकते हैं ,तो हम क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि ताली एक हाथ से नहीं बजती, ताली दोनों हाथों से बजती है। आज का सवाल यह नहीं है कि दोषी कौन है? जबकि सवाल है कि दोनों देशों के बीच दोस्ती का माहौल क्यों नहीं है? उन्होंने अपनी बात का समापन साहिर लुधियानवी की नज़्म से किया-

" जंग तो खुद ही एक मसला है,

 जंग मसलों का जवाब क्या होगी?"

         युध्द एवं शांति विषय पर ख्याति प्राप्त प्रोफेसर स्वाति पराशर  ने कहा कि हमारे संबंध इसीलिए ही अच्छे नहीं होने चाहिए कि हमारी साझी संस्कृति, विरासत एवं संघर्ष है। पर क्या ये नहीं होते तो क्या अपने पड़ोसी के साथ दोस्ती नहीं होती। यूरोप के देश हमें सबक दे रहे हैं कि वे अनेक युद्धों में लिप्त रहे। उनकी न तो साझी विरासत है न हीं कोई भाषा व संस्कृति । परंतु आज वे भी शांतिपूर्वक रह रहे हैं। अपनी बात का समापन उन्होने प्रसिद्ध हिंदी कवि श्री गोपाल प्रसाद नीरज की इन पंक्तियों से किया- 

" अब तो मजहब ऐसा भी चलाया जाए "

       गिफ्ट यूनिवर्सिटी की छात्र वकार ने एक बहुत ही भावपूर्ण गीत की प्रस्तुति दी। 

        संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध बुद्धिजीवी एवं चिंतक शहीद- ए - आजम भगत सिंह के भांजे प्रोफेसर जगमोहन सिंह ने 15 अगस्त के दिन का स्मरण करते हुए कहा कि आज के दिन ही उनके नाना सरदार अजीत सिंह 40 वर्षों बाद भारत लौटे थे। भारत की स्वतंत्रता के लिए गदर पार्टी तथा क्रांतिकारी आंदोलन के युवाओं ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी। उन्होंने कहा कि अमन- दोस्ती की यात्रा में शामिल होने का उनका सुखद अनुभव रहा और वे मानते हैं कि रात को जलती वे मोमबत्तियां कल की सुबह का आगाज है। शहीद भगत सिंह और उनके साथी आजादी का अर्थ गरीबी और समानता का अंत मानते थे और उस राह पर चलना दोनों देशों के नवयुवकों की जिम्मेदारी है। 

         पाकिस्तान की प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता श्रीमती आसमां जहांगीर की सुपुत्री मोनजे जहांगीर ने कहा जिस तरह से प्रकृति हमें सबक दे रही है, उसे सीमाओं के हर बंदी को समाप्त कर दिया है अगर हम अब भी नहीं सम्भलें तो भविष्य हमें माफ नहीं करेगा। हम मानते हैं कि जब तक दक्षिण एशिया में लोकतंत्र की स्थापना नहीं होगी तब तक न तो मानवाधिकार की रक्षा हो सकती है न हीं अमन की स्थापना। इसलिए आज जरूरत है जनता के स्तर पर एशियाई देशों को एकजुट किया जाए। 

        कार्यक्रम में नितिन मिटटू  एडवोकेट (लुधियाना) ने कहा कि भारत और पाकिस्तान की जनता के अनुभव यह है कि वे  दोस्ती और शांति को समर्पित हैं। नफरत और  युद्ध उनकी नहीं राजनेताओं की भाषा है। अपने वक्तव्य के समापन में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता " हम जंग नही होने देंगे " का पाठ किया ।

          पाकिस्तान की प्रसिद्ध शांतिकर्मी एवं कलाकार शीमा किरमानी ने अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रकट करते हुए ऐसे कार्यक्रमों के प्रति अपने समर्थन एवं एकजुटता का इजहार किया और कहा कि दोनों देशों के युवाओं की पहलकदमी ही सरकारों को मजबूर करेगी कि बातचीत के जरिए समस्याओं को सुलझाया जाए। 

           कार्यक्रम में उपस्थित सब लोगों ने मोमबत्तियां जलाकर साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ी गई लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अमन- दोस्ती की बात की।   

        कार्यक्रम के अंत में आगाज़- ए- दोस्ती  की संयोजिका देविका मित्तल ने आभार प्रकट करते हुए कहा कि जिस तरह के भारत और पाकिस्तान को बनाया जा रहा है वह महात्मा गांधी और कायदे आजम जिया के सपनों का देश नहीं है। आज जरूरत है नफरत मिटाई जाए ताकि लोग नजदीक आ सके और अपने भावों की अभिव्यक्ति को यथार्थ रूप दें । 

           कार्यक्रम में भारत, पाकिस्तान ,अमेरिका तथा अन्य देशों के लगभग 97 लोगों ने भाग लिया। खुशी की बात यह भी रही कि इस गोष्ठी में दोनों देशों की सांझी संस्कृति व विरासत के प्रतीक  हिंदुस्तान के अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर, प्रसिद्ध शायर व समाज सुधारक मौलाना ख़्वाजा अल्ताफ़ हुसैन हाली , शहीद ए आज़म स0 भगतसिंह ,इंकलाबी शायर फैज़ अहमद फ़ैज़ , शांतिकर्मी दीदी निर्मला देशपांडे, मानवाधिकार कार्यकर्ता आसमा जहांगीर के परिवार के सदस्यों ने भी भाग लेकर चार चांद लगाए ।

       पूरे कार्यक्रम को सौलीफाई की निदेशिका स्मृति राज ने  कोऑर्डिनेट किया ।   

       कार्यक्रम की सफलता में सैटरडे फ्री स्कूल (अमेरिका ) तहरीक ए निसवां( पाकिस्तान), यूनाइटेड रेलीजिनस इनिशिएटिव,हरिजन सेवक संघ ,गांधी ग्लोबल फैमिली, राष्ट्रीय सेवा परियोजना , निर्मला देशपांडे संस्थान, देस हरियाणा , वीमेन इनिशिएटिव फ़ॉर पीस इन साउथ एशिया , हाली पानीपती ट्रस्ट, सत्यम शिवम सुंदरम ,एसोसिएशन ऑफ पीपल्स ऑफ एशिया , हरिजन सेवक संघ, खुदाई खिदमतगार हिन्द , महिला चेतना केंद्र , हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति , थिएटर आर्ट ग्रुप, जतन नाट्य मंच , इप्टा मसूरी एवम भारत परिवार का प्रशंसनीय सहयोग रहा ।

(Nitynootan Varta Group)

17.08.2020

Comments

  1. सलाम ए दोस्ती

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  2. सलाम ए दोस्ती

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  3. सलाम ए दोस्ती

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  4. मौत के सौदागर दोनों तरफ़ है। राजनीति की बिसात पर लाशों का खेल चल रहा है। पर
    भारत और पाकिस्तान के नागरिक अमन की बयार चलायेंगे।

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