हाली पानीपती की 108 वीं यौमे वफ़ात

 हाली पानीपती ट्रस्ट की ओर से विश्वविख्यात शायर एवं समाज सुधारक मौलाना ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली की 107 वीं  पुण्यतिथि के अवसर पर  हाली अपना स्कूल में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर अपने विचार प्रकट करते हुए एडवोकेट तथा सामाजिक -राजनीतिक विचारक राम मोहन राय ने कहा कि हाली पानीपती एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने न केवल तत्कालीन अपितु वर्तमान सन्दर्भों की समस्याओं के बारे में अपनी कविताओं एवम गजलों के माध्यम से सन्देश दिया। वे वर्तमान की बात करते थे। इसलिए उन्होंने अपना तख्खलुस हाली अर्थात वर्तमान रखा। उर्दू शायरी में उन्होंने श्रृंगार , प्रेम और प्रेमकथाओं को न कहकर मजदूर, किसान एवम आमजन की बात की। हिंदी साहित्य में समालोचक के रूप में जिस तरह से भारतेंदु हरिश्चंद्र का नाम है, उसी रूप में उर्दू अदब में हाली की ख्याति है। महिलाओं के उत्थान एवम सशक्तिकरण में उनका नाम महात्मा ज्योतिबा फूले, सावित्रीबाई फूले, नारायण स्वामी, राजा राम मोहन राय, महर्षि दयानन्द सरस्वती एवम ईश्र्वर चन्द्र विद्यासागर की श्रंखला में है। लगभग 150 वर्ष पूर्व उन्होंने महिलाओं की शिक्षा एवं सशक्तिकरण के लिए न केवल गजलों के माध्यम से बल्कि अनेकों शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से एक क्रांतिकारी सन्देश दिया। वे एक उत्कृष्ट राष्ट्रप्रेमी थे, लेकिन उनका प्रेम अन्धर्राष्ट्रवादी नहीं था।  वे अन्धर्राष्ट्रवाद के विरोध में थे एवं उदार विचारों के समर्थक थे। वर्तमान समय मे जब पूरा माहौल धार्मिक संकीर्णता एवम असहिष्णुता की गिरफ्त में है, ऐसे समय में हाली का जीवन, विचारधारा एवम दर्शन सर्वाधिक प्रासंगिक है। इस अवसर पर हाली की विभिन्न गजलों का पाठ किया गया । कार्यक्रम में  भगत सिंह से दोस्ती मंच के संयोजक दीपक कथूरिया, जनवादी महिला समिति की जिला सचिव पायल , माता सीता रानी सेवा संस्था से सुनीता आनन्द, अखिल भारतीय खेत मजदूर  के जिला अध्यक्ष राजेन्द्र ,एन. डी. एस. वैकल्पिक शिक्षा की संयोजिका पूजा सैनी, शालिनी व  नूपूर आदि ने भी अपने विचार रखे ।


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