A fortunate father of a brave daughter
*नताशा नरवाल से बात कर उन्हें उनके पिता डॉ महावीर नरवाल के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की । यह अवसर उनके फूफा श्री एस पी सिंह ने जुटाया था ।इस तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी वह हौसले में थी तथा उल्टे मुझसे ही हमारे परिवार में सबकी खैरियत के बारे में जानकारी लेनी लगी । बातचीत करते हुए मैंने पाया कि मेरे पास शब्द कम थे और जो थे भी उन्हें इज़हार करना बहुत मुश्किल था* ।
*हरियाणा में ज्ञान विज्ञान आंदोलन के अग्रणी नेता महावीर नरवाल मेरे बहुत अच्छे मित्र व साथी थे । उनसे सबसे पहली मुलाकात हिसार कृषि यूनिवर्सिटी में उनके निवास पर हुई थी जब सन 2008 में, मैं व मेरा साथी दीपक भगतसिंह से दोस्ती अभियान के तहत हिसार पहुंचे तथा हमें आपके घर मे ठहरने का मौका मिला । तभी लम्बी बातचीत हुई व अंतरंगता भी* ।
*विगत माह आर्य समाज के एक कार्यक्रम में रोहतक के गांव टिटौली जाने का मौका मिला । दीपक ने रास्ते मे खेतों के बीच एक फोटो ली और फिर रोहतक की लोकेशन डाल कर उसे फेसबुक पर लगाया । उसे देखते ही डॉ नरवाल का फोन आया "रोहतक में कहाँ हो भाई , हमारे घर भी मिल कर जाओ*" ।
*उसके बाद भी यदाकदा वे मोबाइल पर बात करते रहते थे । नताशा का नाम आते ही उनका स्वर बदल जाता था और वह एक भावुक पिता का न होकर एक गौरवशाली पिता का होता था* ।
*पिछले एक वर्ष में अपने मित्रों एवम पारिवारिक कम से कम 10 सदस्यों को खोया है । मैं अपने अनुभव से कह सकता हूँ कि डॉ शंकरलाल ,स्वामी अग्निवेश , नवाब शुएब खान और डॉ महावीर नरवाल जैसे लोगों को बनने व बनाने में कुदरत की खूब मेहनत लगती है पर ये लोग ऐसे चले जायेंगे और वे भी ऐसे आधे-अधूरे काम छोड़ कर तो अत्यंत पीड़ा होती है* । तब एक ही प्रार्थना लब पर आती है :
ये अंधेरा घना छा रहा,
तेरा इन्सान घबरा रहा
हो रहा बेख़बर, कुछ ना आता नज़र,
सुख का सूरज छिपा जा रहा
है तेरी रोशनी में वो दम,
तू अमावस को कर दे पूनम
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकी हँसते हुये निकले दम
ऐ मालिक तेरे बंदे हम........
😢😢😢
राम मोहन राय,
पानीपत/14.05.2021
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