म्यांमार की स्थिति
♀ नित्यनूतन वार्ता के 363 वें सत्र में म्यांमार की वर्तमान स्थिति और भारत से सम्बन्ध विषय पर मणिपुर की मानवाधिकार सिविल सोसाइटी के प्रमुख कार्यकर्ता व विषय मर्मज्ञ श्री बबलू लोईटोंगबम ने विचार रखे । उन्होंने म्यांमार के राजनैतिक ,सामाजिक व भूगौलिक इतिहास की जानकारी देते हुए कहा कि दूसरे महायुद्ध के दौरान 30,000 जापानी सैनिकों ने अपने जीवन की बाज़ी लगाई थी । भारत और म्यांमार की सीमा 1,500 किलोमीटर की सरहद है । अंग्रेज़ी दासता से मुक्ति के बाद म्यांमार ने एक स्वतंत्र संघ बनाने का निश्चय किया था जिसकी प्रक्रिया में वह अनेक उतार चढ़ाव के बावजूद आज तक प्रयासरत है। इस दौरान सत्ता में ज्यादा समय सैनिक जुंटा रही है जिसने शासन के नाम पर मानवाधिकार तथा नागरिक अधिकारों का दमन ही किया है । सन 1988 में विद्यार्थियों के विशाल आंदोलन के बाद लगभग 20 हजार लोग शरणार्थी के रूप में भारत आये ।
●उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि गैरकानूनी घुसपैठियों तथा शरणार्थियों में अंतर को समझना होगा । घुसपैठिये रोजगार की तलाश में घुसते है जबकि शरणार्थि अपने देश मे राजनैतिक उत्पीड़न के शिकार हो कर किसी भी देश मे आते है । उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ व भारत सरकार दोनों का शरणार्थियों के आवेदन का कार्यालय दिल्ली में है जबकि पीड़ित लोग मणिपुर तथा मिज़ोरम के रास्ते भारत आते है । ऐसी स्थिति में उनके लिए दिल्ली तक पहुचना मुश्किल होता है और उन्हें उन्ही राज्यो में अपमानजनक जीवन बिताने को मजबूर होना पड़ता है । भारत सरकार भी इन लोगो के प्रति दयालु नही है इसके विपरीत स्थानीय लोग तथा नागरिक समाज के लोग अपने स्तर पर धन व सामग्री जुटा कर उनकी मदद करते है । वसुधैव कुटुम्बकम के वैश्विक उदघोष को मानने वाला समाज आज म्यामांर के शरणागत लोगो की पीड़ा से अनभिज्ञ है ।
◆एक प्रश्न के उत्तर में उनका कहना था कि चीन ने म्यांमार में काफी बड़ा निवेश किया है । इसके विपरीत वहाँ की जनता इसे दमनकारी सैन्य शासन का ही अपरोक्ष समर्थन मानती है । भारत के कुछ व्यवसायी भी वहाँ अपनी पूंजी लगाने के इच्छुक है जो नागरिक स्वतंत्रता की मांग कर रही जनता की अवहेलना कर सैनिक जून्टा से बात कर रहे है ।
■वर्तमान भारत सरकार का रवैया रखाइन प्रान्त से बांग्लादेश के रास्ते आने वाले रोहिंग्या तथा चिन प्रान्त से मणिपुर व मिज़ोरम प्रान्त के रास्ते आने वाले शरणार्थियों के प्रति एक सा ही है जबकि इनमें अंतर करना बेहद आवश्यक है और यही अंतर विस्थापित तथा शरणार्थी में विभेद करता है ।
★उनका मानना है कि भारत तथा म्यांमार के ऐतिहासिक सम्बन्धो के मद्देनजर भारत सरकार को इस समस्या के हल के लिए पहल करनी चाहिए । यह मानवता का प्रश्न है जिसके लिए हमारे देश के नागरिक समाज को भी अपनी मुखर आवाज से सरकार पर दवाब बनाये जाने की जरूरत है ।
♂वार्ता में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि वे देशभर के अन्य सभी नागरिक संगठनों के सहयोग से इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाएगी ।
*वार्ता का संचालन युवा शान्तिकर्मी रवि नितेश तथा संजय राय ने किया* ।
वार्ता में ओरव शर्मा , मोहम्मद अजहरुद्दीन शेख , अरुण कहरबा तथा वरिष्ठ गांधीवादी श्री सुज्ञान मोदी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये । राममोहन राय ने वार्ता में उपस्थित सभी जन का स्वागत किया जबकि श्री एस पी सिंह ने आभार व्यक्त किया ।💐
राम मोहन राय
(नित्यनूतन वार्ता)
18.07.2021
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