शांति सैनिक कुलदीप नैयर
अमन के अनथक योद्धा-कुलदीप नैयर !
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मैंने अपने बचपन से ही उनका नाम सुना था । उनके पिता श्री गुरबख्श सिंह हमारे शहर पानीपत में अपने बड़े पुत्र डा0 राम सिंह नैयर जो कि सिविल अस्पताल में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम करते थे , के घर जो हमारे ही पड़ोस में था रहते थे । हमारे परिवार के पड़ोस के इस परिवार से बहुत ही रिश्ते थे । इस वजह से उनके घर हमारा खूब आना -जाना था । डा आर एस नैयर के दोनों पुत्र मेरे भी मित्र रहे । इसलिये जब भी डॉ कुलदीप नैयर अपने पिता और भाई से मिलने आते तो हम उन्हें दूर से देखते ,पर कभी बातचीत नही हुई । बड़े हुए तो दीदी निर्मला देशपांडे जी के दिल्ली स्थित आवास में व कई बार उनके द्वारा आयोजित कार्यक्रमो में उनके दर्शन करने का अवसर मिला । ऐसे मौकों के मैं भी लाभ उठा कर उनसे मैं उनके पिता और भाई का जिक्र करता हुआ नही चुकता । वे हर बार बहुत ही आतुर भाव से अपने परिवार के बारे में सुनते व प्रसन्नता व्यक्त करते ।
राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा एवम मेरी मातृवत मोहिनी गिरि जी का लगभग दो माह पूर्व सन्देश प्राप्त हुआ कि जनता के स्तर भारत -पाक सम्बन्धो का काम जो निर्मला दीदी के समय मे उत्कर्ष रूप से था वर्तमान हालात में वह स्थिल है उसे आगे बढ़ाया जाए ,इसलिये दीदी के सभी पुराने साथियो से वे मीटिंग करना चाहती है । मुझे तो जैसे इसी अवसर की इंतजार थी । हमने स्व0 दीदी के सभी साथियो की लिस्ट बनाई और उन्हें निमन्त्रित किया । आग़ाज़ ए दोस्ती के युवा साथी देविका और रवि नितेश इसमे मेरे सहयोगी बने और इस तरह से सभी दोस्तों की एक मीटिंग गिल्ड ऑफ सर्विस के कार्यालय में हुई । जिसमें चर्चा के बाद हम सब इस नतीजे पर थे कि 14-15 अगस्त को अटारी -वाघा बॉर्डर पर अमन दोस्ती के लिये मोमबत्ती जला कर जो काम डॉ कुलदीप नैयर ,निखिल चक्रवर्ती , निर्मला देशपांडे करते रहे उसमे सहयोगी बना जाए । सभी साथी इससे सहमत थे इसे करने को तैयार थे । हमारी आपा सईदा हमीद के मशवरे पर मैं ,रविनितेश और विजेंद्र मान इसकी सूचना देने डॉ कुलदीप नैयर के घर गए । हमने जब उन्हें अपनी मीटिंग की पूरी जानकारी देते हुए अपने निश्चय को बताया तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना न था । उन्होंने कहा कि किसी भी तरह से न घबराना ,वे होम मिनिस्टर को पत्र लिख कर भारत - पाकिस्तान सीमा पर हमारे जाने और अमन दोस्ती का पैगाम देने की मंजूरी ले देंगे । हम भी न केवल आश्वस्त थे अपितु संतुष्ट भी थे उनके आशीर्वाद व भरोसे को पाकर ।
14-15 अगस्त को बॉर्डर पर जाने की हमने तैयारी शुरू की । पर यह क्या हमने तो 25-30 लोग सोचे थे पर लिस्ट तो बढ़ते -२ सौ के आस पास पहुँच गयी । पहले वैन ,फिर मिनी बस और अब फुल बस की सवारियां होने लगी । मैंने सोचा कि शायद ये अमृतसर -अटारी देखने की सवारियां तो नही पर बॉर्डर पर उनका उत्साह और मीडिया से उनके सवालों के जवाब सुन कर मैंने अपनी गलती का अहसास किया कि 'ये सभी तो अमन के सिपाही है जिन पर किसी भी प्रकार का यकीन किया जा सकता है।'
सभी तैयारियां करके हम फिर डॉ मोहिनी व सईदा आपा के साथ डॉ कुलदीप नैयर के घर गए और उन्हें अपनी तैयारियों व कार्यक्रम के बारे में बताया जिसे सुन कर उनकी खुशी का कोई ठिकाना नही रहा । हमने उनसे प्रार्थना की की वे यात्रियों की विदाई के लिये 12 अगस्त को होने वाले एक समारोह में आशीर्वाद देने के लिये आये जिसे उन्होंने सहज ही स्वीकार कर लिया । कुछ देर से ही पर वे गांधी दर्शन, दिल्ली में समारोह में आये और कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भी काफी देर बैठे रहे । एक -२ यात्री का परिचय लेकर उन्होंने एक बैज लगा कर उसे सम्मानित किया । उनकी इस आत्मीयता को पाकर हर कोई स्वयम को धन्य व गौरवशाली महसूस कर रहा था । आखिरकार यात्रा दिल्ली से प्रारम्भ हुई और 15 स्थानों पर रुक कर अपना सन्देश देती हुई अमृतसर पहुची । तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार श्री कुलदीप नैयर और दीदी निर्मला देशपांडे के विश्वस्त साथियो सईदा हमीद, सतनाम सिंह माणक और रमेश यादव की आगुवाई में हम सभी लोग बॉर्डर पर पहुचे और कुलदीप नैयर जी को परम्परा को जारी रखते हुए हमने वहाँ मोमबत्ती जला कर अमन -दोस्ती के गीत गाये और संदेश दिया । सईदा आपा ने बताया कि कुलदीप नैयर जी को जब इस बात का बता चला तो वे बेहद प्रसन्न हुए ।
उनकी मृत्यु की जानकारी पाकर मोहिनी गिरि जी उनके परिवार को अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिये आज जब वे उनके घर गयी तो उनकी पुत्रवधु उन्हें बता रही थी कि पिछले तीन दिन से अपने परिवार में , वे लगातार अमन दोस्ती यात्रा की सफलता के बारे में बता रहे थे । उन्हें इत्मीनान था कि 20 वर्ष पूर्व उनके द्वारा प्रारम्भ अमन दोस्ती की यात्रा अब बदस्तूर चलती रहेगी ।
कुलदीप नैयर जी आप निश्चिंत रह कर अपने अंतिम सफर को कीजिये ,हम वायदा करते है आपकी विरासत को कायम रखेंगे और अमन की इस यात्रा को रुकने नही देंगे ।
अलविदा शांति के सिपाही ।
*कुलदीप नैयर तेरे सपनो को ,
मंज़िल तक पहुचाएंगे*
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