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Showing posts from September, 2021

स्वतंत्रता के अमृतमहोत्सव पर शहीद भगत सिंह का 114 वां जन्मदिन समारोह

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  गांधी ग्लोबल फैमिली के अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ वर्ष में शहीद भगत सिंह के 114 वें जन्मदिन पर इप्टा द्वारा मसूरी (उत्तराखंड) में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया । इस समारोह में गांधी ग्लोबल फैमिली द्वारा राजघाट, दिल्ली से देश के विभिन्न प्रान्तों के 42 प्रतिनिधियों के दल ने भी भाग लाया ।     अपने उदबोधन में श्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि शहीद भगत सिंह की बेशक विचारधारा व आज़ादी को प्राप्त करने का ढंग बेशक अलग था परन्तु वे भविष्य का भारत कैसा होगा इस बारे में पूरी तरह प्रतिबद्ध थे । उनके सभी साथी 20-24 वर्ष के थे परन्तु उनकी सैद्धांतिक प्रतिबद्धता असंदिग्ध थी । उन्होंने भारतीय इतिहास के संघर्षों के स्वर्णिम पन्नो को भी रखा व सन 1857 में आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर के संघर्ष व ऐतिहासिक बलिदान करते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना महात्मा गांधीप का आगमन ,असहयोग आंदोलन ,चोरा-चोरी कांड , राम प्रशाद बिस्मिल , अशफाक उल्ला , राजेन्द्र लाहिरी व ठाकुर रोशन सिंह के अमर बलिदान तथा भगत सिंह तथा उनके साथियों के शहादत के इतिहास की

अशोक चौधरी को जन्मदिन मुबारक

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 अशोक चौधरी दादा का आज जन्मदिन है । यह दिन हर व्यक्ति के लिए विशेष होता है इनके लिए भी । परन्तु उनके लिए तो हर दिन ही विशेष है । हर दिन खुद व दुसरो को जगाने का दिन ।      दादा का जन्म बेशक बंगाल में हुआ परन्तु उन्होंने अपना कार्यक्षेत्र सहारनपुर (उत्तरप्रदेश) को बनाया और वह भी उन वनवासियों ,दलितों एवम कमजोर लोगों के बीच जिनके लिए सूर्योदय व अस्त का अर्थ अंधेरे में ही जीना था ।    उनसे मेरा परिचय सहारनपुर में एल एल बी की पढ़ाई के दौरान हुआ था । राजनीतिक रूप से बेशक हमारी धारा नरम थी परन्तु हमारे-उनके नायक तो एक ही थे । पढ़ाई के बाद हम अपनी घर-गृहस्थी से समय निकाल कर ही वैचारिक काम करते थे । दादा ने भी गृहस्थी बनाई परन्तु एक ऐसी महिला के साथ जो उनसे भी अधिक प्रखर, ऊर्जावान व संघर्षशील थी । उनके व उनकी पत्नी भारती ने भी सद्गृहस्थ का पालन करते हुए बच्चे पैदा किये पर उनकी संख्या 2-3 न होकर हज़ारों-हज़ार वे वन्य मजदूर है जो अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत है ।  हर व्यक्ति की काम करने की आयु सीमा भी होती है । पर यह बात यहाँ उलट साबित हुई । ज्यों ज्यों उम्र बढ़ती गयी दादा के काम करने की ऊर्जा बढ़ती गय

निर्मला देशपाण्डे संस्थान में ईश्वर भाई पटेल जयन्ती

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 पद्मश्री ईश्वर भाई पटेल की 88वीं जयंती पर निर्मला देशपांडे संस्थान में आयोजित  एक कार्यक्रम में उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए गांधी ग्लोबल फैमिली/ हाली पानीपती ट्रस्ट के महासचिव श्री राम मोहन राय ने कहा कि ईश्वर भाई पटेल ने देशभर में दो लाख से अधिक शौचालयों का निर्माण किया ,जिसके लिए उन्हें टॉयलेट मैन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है। ईश्वर भाई पटेल ने 12 साल की उम्र में गांधी जी के  सेवादल के साथ  स्वेच्छा से काम करना शुरू कर दिया था ।उन्होंने मानव अपशिष्ट इकट्ठा करने वाले हाथ से मैला ढोने वालों के समुदाय के आसपास की वर्जनाओं को देखा। ईश्वर भाई एक दर्दनाक घटना से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने भारत में स्वच्छता की स्थिति में सुधार लाने और भारत में अभी भी प्रचलित अस्पृश्यता की वर्जना को खत्म करने के लिए अपना जीवन  समर्पित करने का फैसला किया।      उन्होंने अपने जीवन के 60 वर्ष स्वच्छता के माध्यम से सेवा के लिए समर्पित किए । उनका मानना था कि लोगों के प्रति गहरी करुणा से समाधान निकलेगा। 1969 में ईश्वर भाई पटेल ने गांधी साबरमती आश्रम में हरिजन सेवक संघ के सफाई विद्यालय( स्वच्छता संस्थान) क

निर्मला देशपांडे संस्थान में स्वामी अग्निवेश को श्रद्धांजलि

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 प्रसिद्ध मानवाधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश जी की प्रथम पुण्यतिथि निर्मला देशपांडे संस्थान स्थित हाली अपना स्कूल में भावपूर्ण ढंग से मनाई गई। इस अवसर पर गांधी ग्लोबल फैमिली/ हाली पानीपती ट्रस्ट के महासचिव श्री राम मोहन राय ने कहा कि स्वामी अग्निवेश जी का संपूर्ण जीवन दलित, शोषित, महिला एवं कमजोर वर्गों को समर्पित था। अपने विचारों के प्रचार- प्रसार के लिए उन्होंने आर्य समाज को माध्यम बनाया और उसके प्रचार के साथ-साथ मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए काम किया। उनका जन्म 21 सितंबर 1939 को वर्तमान तेलांगना के श्रीकाकुलम में हुआ। उन्होंने कोलकाता यूनिवर्सिटी से न केवल  शिक्षा प्राप्त की अपितु वहीं उसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर भी कार्य किया। आर्य समाज ने उन को प्रभावित किया और वे हरियाणा में आए और  सक्रिय राजनीति में भाग लिया । वे चौधरी देवीलाल मंत्रिमंडल में हरियाणा के शिक्षा मंत्री पद पर रहे। फरीदाबाद में जब भट्ठा मजदूरों पर उनकी ही सरकार ने गोलाबारी की तब वे त्यागपत्र देकर भट्ठा मजदूरों के आंदोलन के साथ जुड़ गए। उन्होंने  बंधुआ मुक्ति मोर्चा की स्थापना की ,जिसके वे

माता सीता रानी सेवा संस्था द्वारा शिक्षक दिवस

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  माता सीता रानी सेवा संस्था द्वारा निर्मला देशपांडे संस्थान स्थित हाली अपना स्कूल में 'शिक्षक दिवस पखवाड़े' पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता व महिला नेत्री श्रीमती अरुणा सैनी ने कहा कि भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने  जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में 40 वर्ष तक भारत के भविष्य को बेहतर बनाने में लगाए। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने शिक्षकों के बारे में सोचा और हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। यह दिन शिक्षकों के प्रति आभार व सम्मान प्रकट करने का दिन है ।शिक्षक हमारे जीवन की नींव होते हैं। वही हमारे मार्गदर्शक भी होते हैं। शिक्षक दिवस के सही महत्व को समझने के लिए हमें अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए। उनकी हर बात को ध्यान से सुनना और समझना चाहिए ।अगर हम अपने क्रोध व ईर्ष्या को त्याग कर अपने अंदर संयम के बीज बोएं तो निश्चित ही हमारा व्यवहार हमें बहुत ऊंचाइयों तक