नफरत और संकीर्णता एक ही सिक्के के दो पहलू है


 मैं तो यहां पानीपत में आर्य शिक्षण संस्थानों का मैनेजर रहा हूँ । मैं वहाँ हाली, भगतसिंह और अम्बेडकर की बात करता । आर्य स्कूल में कुल 2000 विद्यार्थी थे जिसमें से लगभग 89 मुस्लिम थे । एक दिन वे मेरे पास आए और बोले कि मैनेजर साहब हमारे स्कूल में ईद की छुट्टी नहीं होती । मैंने यह सुन कर कहा की छुट्टी ही क्यों इस बार तो रोजा इफ्तारी भी आपको स्कूल में कराएंगे। रोजा इफ्तारी हुई, मुझे यह नहीं पता था कि इसके बाद नमाज भी अता की जाती है।  नमाज स्कूल के पिछले आहाते में पढ़ाई गई। इत्तेफाक से वहां अखबारों के नुमाइंदे पहुंच गए, उन्होंने फोटो खींची और अगले दिन अखबारों की सुर्खियां थी कि आर्य स्कूल पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया है। इसी इल्ज़ाम में मुझे हटा दिया गया। बाद में मुझे कहा गया कि मैं माफी मांगू । मैंने कहा कि मैं न तो माफी मांगूगा और ना ही अपनी कोई कमजोरी जाहिर करूंगा । आप जो चाहे कर ले ।

     नफरत और संकीर्णता एक ही सिक्के के दो पहलू है । जो यहां भी है और वहाँ भी । 

राम-रहीम तो एक ही है फिर उनके मानने वालों में तफरका क्यों?

राम मोहन राय

30.12.2021


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