परमार्थ निकेतन का आनंद

 


*परमार्थ निकेतन आश्रम में आनंद ही आनंद*

       बचपन से ही जब- २ हरिद्वार- ऋषिकेश आता तो यह अभिलाषा सदा रहती की कभी ऐसा सौभाग्य प्राप्त हो कि जब परमार्थ निकेतन आश्रम में रुका जाए और अब आयु के इस पूर्वार्द्ध में आदरणीय सुब्बाराव जी की प्रेरणा से एवं परम पूज्य स्वामी चिदानंद महाराज मुनि जी की कृपा से यहां 3 दिन रुकने का अवसर मिला । मौका था, परम श्रद्धेय स्वर्गीय डॉ0 एस एन सुब्बाराव जी की अंतिम भस्मी को विसर्जित करने का । मैं ऐसा अनुभव करता हूं इस दौरान नई चेतना एवं स्फूर्ति का जागरण हुआ । जीवन भर प्रदर्शन किए है परंतु यहां आकर स्वदर्शन करने की भी अभिलाषा जागृत हुई । यहां का वातावरण ही इतना मनोरम एवं आकर्षक है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी भाव से आए चाहे पर्यटन की दृष्टि से, चाहे आनंद की दृष्टि से अथवा रुकने की दृष्टि से वह यहां के आध्यात्मिक वातावरण से अछूता नहीं रह सकता । यहां की दिनचर्या ही ऐसा बना देती है कि हर कोई  परिवर्तित महसूस करता है, फिर चाहे वह कितना भी नास्तिक हो अथवा गैर धार्मिक ।

       

 सूर्योदय से पूर्व की अमृतवेला में 4:00 बजे से ही ऋषिकेश के चारों तरफ मंदिरों के घंटे -घड़ियाल आपको उठने के लिए प्रेरित करते है । शैय्या त्यागने के पश्चात सोने का मन करें ऐसा तो संभव है ही नहीं और यही अवसर प्रदान करती है कि हम भी कुछ एकांत में बैठकर मनन- चिंतन करें। मैं नहीं जानता हूं कि ऐसे भावों को क्या कहते हैं परंतु ऐसे भाव यहां तो पैदा होते ही है। प्रातः 6:00 बजे योग कक्षा में यदि आप शामिल हो रहे हैं तो यह आपके आनंद को कई गुना बढ़ा देगी और फिर 8:30 बजे से यज्ञ का शुभारंभ है जिसमें सैकड़ों ऋषि कुमार सस्वर वेद वाणी का पाठ करते हैं और आप भी उस हवन कुंड में अपनी आहुतियां अर्पित कर प्रभु का आह्वान करते हैं । और ऐसे समय में यदि मुनि जी का सानिध्य मिल जाए तो वह और ज्यादा उत्साह प्रदान करता है।

    यज्ञ से प्राप्त ऊर्जा पूरे दिन भर स्फूर्ति प्रदान करती है । फिर आप भ्रमन करें, स्वाध्याय करें, अध्यात्मिक चर्चा करें अथवा देवालयों में जाकर दर्शन करें यह तो आप पर ही निर्भर है।  वैसे आश्रम -मंदिर में संपूर्ण विश्व की पुण्य आत्माओं के दर्शन उनके प्राकृतिक रूप में होते हैं ।

 सांयकालीन गंगा आरती में जहां प्रत्येक का धर्मिक भाव जागृत होता है वहीं स्वामी जी महाराज एवं मां सरस्वती जी के पावन प्रवचनों से चित्त- मन एकाग्र होकर आत्मिक शांति को प्राप्त होता है। मुझे भी दो दिन यहां आरती दर्शन करने का अवसर मिला । उस घाट पर सैकड़ों लोग जमा थे, हो सकता है उनमें वे लोग भी हो जो अपनी नववर्ष की छुट्टियां मनाने के लिए एकत्रित हुए हो परंतु जो वहां उद्गार प्रकट किए हैं वह किसी को भी अछूता नहीं छोड़ेंगे। Holidays नहीं Holy days स्पेलिंग में सिर्फ "आई"का फर्क है । छुट्टियां नहीं अपने पवित्र दिन मनाओ ऐसे भाव जब किसी भी व्यक्ति में आए हैं तो आप समझिए कि वह आध्यात्म की तरफ मुड़ने के लिए तत्पर हुआ है और यही तो है आपके आगमन की एक अनुपम उपलब्धि  ।

      आश्रम में भोजन की भी उत्तम व्यवस्था है हर व्यक्ति अपनी इच्छा , स्वाद और क्षमता के अनुसार यह प्राप्त कर सकता है। यहां कोई भेद नहीं है ऊंच-नीच का ना किसी भी प्रकार की अस्पृश्यता का । यहां आने पर कोई भी तो आपसे नहीं पूछेगा कि आप किस धर्म के हैं, अथवा किस जाति के हैं अथवा किस प्रांत से है। मेरा यह सौभाग्य रहा कि हमारे सात सदस्यीय दल में एक मुस्लिम थे, एक ईसाई मत से थे तथा एक अन्य साथी बौद्ध धर्मावलंबी  थे । वे सभी अपनी उपासना पद्धति के अनुसार आचरण भी कर रहे थे परंतु साथ-३ साथ जब यहां सर्व धर्म समभाव का वातावरण देखते तो वह उसमें भी घुलमिल जाते । यही तो है आनंद । वेद में कहा है "एकं सद् विप्र बहुधा वदंति" । वह तो एक ही है उसके नाम अनेक । ऐसा ही स्पष्ट भाव हमें यहां दृष्टिगोचर हुआ। आप इन भावों से आह्लादित होकर जब अपने घर वापस लौटते हैं तो बहुत दिनों तक है यह आनंद आपकी मन, बुद्धि ,शरीर व आत्मा में स्वयं को उड़ेलता है  और यही तो है परमार्थ निकेतन आश्रम का आकर्षण ।

   हम परम पूज्य स्वामी चिदानंद जी महाराज के अत्यंत आभारी कि उन्होंने अपना सानिध्य देखकर हमें कृतार्थ किया। हमारी उत्तम से उत्तम व्यवस्था की और सबसे आनंददायक रहा उनसे संवाद, आशीर्वचन एवम सानिध्य  का प्राप्त कर  उनसे आत्मीयता प्राप्त करना । संभव है ऐसा उस प्रत्येक व्यक्ति के साथ होता हो जो यहां आता है परंतु हर व्यक्ति स्वयं को मुझ जैसा ही इस तरह से पुरस्कृत महसूस करता हो ।

राम मोहन राय

पटियाला(पंजाब)

02.01.2022













Comments

Popular posts from this blog

Gandhi Global Family program on Mahatma Gandhi martyrdom day in Panipat

Aaghaz e Dosti yatra - 2024

पानीपत की बहादुर बेटी सैयदा- जो ना थकी और ना झुकी :