Ghulam Nabi Azad
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गांधी ग्लोबल फैमिली के अध्यक्ष , पूर्व केंद्रीय मंत्री एवम जम्मू -कश्मीर के मुख्यमंत्री जनाब ग़ुलाम नबी आजाद से पिछले कई वर्षों से ईद मिलन पर उनके दौलतखाने पर जाकर मुबारक देने का अवसर मिलता है जिसे इस बार भी जारी रखा गया । GGF के उपाध्यक्ष पदमश्री श्री एस पी वर्मा के प्रयासों से एक मीटिंग जम्मू -कश्मीर हाउस ,कौटिल्य मार्ग ,दिल्ली में रखी गयी ताकि सभी लोग वहां इकठ्ठे हो और वहाँ से मिल कर आज़ाद साहब के निवास पर जाए । जे एंड के हाउस में मीटिंग सर्व श्री स्वामी अग्निवेश , लक्ष्मी दास , रमेश चंद शर्मा ,रजनीश कुमार के अध्यक्षमण्डल की अध्यक्षता में शुरू हुई जिसमे अशोक कपूर , संजय राय , मोहम्मद शोएब ,प्रवेश त्यागी , शाम लाल भगत आदि ने विचार व्यक्त किये वही दो बच्चों आयान व ज़ेबा ने "जय जगत ' गीत गाकर माहौल को खुशनुमा कर दिया । सभी ने परस्पर ईद मुबारक दी और फिर सब गाड़ियों के एक काफिले में साउथ एवेन्यू लेन में स्थित आज़ाद साहब के घर की तरफ रवाना हुए । घर पर उन्हें ईद मुबारक करने के लिये पहले से ही काफी लोग मौजूद थे । आज़ाद साहब के लिये यह ईद विशेष महत्व रखती है । वे इसी रमज़ान के दौरान "उमरा" ( मक्का मदीना की धार्मिक यात्रा , जो हज नही कही जाती ) करके लौटे है । इसलिये उनसे मिलने व गले मिलने की मुराद हर अकीदतमंद की होती है ।
उनके घर के लॉन में हम सब एक गोल घेरा बना कर खड़े हो गए ताकि जब वे आये तो सभी से मिल सके । सभी के हाथ मे कुछ न कुछ भेंट के लिये था ,कुछ के पास फूल तो कईयों के पास मिठाई । पर मेरे पास तो मेरे शहर पानीपत के मालिक हज़रत बू अली शाह कलन्दर की दरगाह की एक चादर ही थी और वह भी मैंने अपने बेटे उत्कर्ष के गुड़गांव स्थित घर से आज़ाद साहब को भेंट के लिये ली थी । आज़ाद साहब ज्यो ही आये श्री वर्मा जी ने उन्हें जहां तिब्बती स्कार्फ भेंट किया वहीँ मैने अपने हाथ मे पकड़ी दरगाह की चादर उनके गले मे पहनाई । पर यह क्या चमत्कार हो गया , उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया और फिर बहुत ही सहजता से गले ऐसे लगा लिया जैसे दो बिछड़े भाई मुद्दत के बाद मिले हो । कहाँ उनका स्थान और कहाँ मैं । कद भी तो नही कहाँ वे 6फ़ीट 2 इंच के और कहाँ 5फ़ीट 4 इंच का मैं ,झुक कर उन्होंने खुद को मेरे बराबर किया और ईद मुबारक कबूल की । जब वर्मा जी ने उन्हें बताया कि हम अभी हाल ही में नोआखाली ( बांगलादेश) गांधी तीर्थ यात्रा कर के आये है तो वे बेहद खुश हुए । शायद अल्लाह के घर से लौटे तीर्थयात्री की अल्लाह के बन्दे बापू के तीर्थयात्री को यही शाबाशी हो ।
आज़ाद साहब ने कोई भी सियासी मसला पर हमसे कोई बात नही की । सभी बातें तो "बा बापू 150" की तैयारियो के सिलसिले में थी जिसे वे एक बेमिसाल ढंग से मनाने की योजना पर बात कर रहे थे । उनका मानना था कि गांधी ग्लोबल फैमिली को गैर राजनीतिक स्तर पर सभी गांधी सेवको ,मित्रो और विचारकों को इकठ्ठा करने का काम करना चाहिये ताकि एक उम्दा कार्य योजना बना कर आगे बढ़ा जा सके । गांधी विचार उनकी जिह्वा पर अनेक भावों से व्यक्त हो रहा था और हो भी क्यो नही उन्होंने इस विचार को प्रसिद्ध गांधी विचारक डॉ सी ए मेनन , जम्मू के बजाज व दीदी निर्मला देशपांडे से एक युवा विद्यार्थी के रूप में ग्रहण किया था ।
हम भी यह समझते है कि "बा बापू 150" वर्ष में सभी एकजुट हो कर काम करे । चुनौती बड़ी है और हमारे साधन व संख्या कम । पर इंदिरा गांधी जी द्वारा सफलता के इस मंत्र को याद रखें :-
"एक ही जादू,
दूर दृष्टि ,
पक्का इरादा,
कड़ी मेहनत ,
अनुशासन" ।
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राम मोहन राय
(Nityanootan broadcast service)
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