Dwarka
ईश्वर सर्वव्यापक,
सर्वज्ञ एवं जगत नियन्ता है, उसी की उपासना करनी योग्य है. वह इस पूरे ब्रह्मांड के कण-कण में व्याप्त है। परंतु यहां इस नगर में वे द्वारिकाधीश है अर्थात राजाओं के राजा है।
यहां के दो महान दृष्टांत है। एक सुदामा का जो अति दरिद्र थे और अपनी दरिद्रता को समाप्त करने के लिए धन एवं संपन्नता को प्राप्त करने के लिए अपने मित्र भगवान कृष्ण के पास आए थे। यहाँ आने पर उनकी दरिद्रता समाप्त हुई।
दूसरा मेवाड़ की महारानी, जो सभी ऐश्वर्य एवं संपन्नता से परिपूर्ण थी। भक्त मीरा तमाम सुख संपत्ति को छोड़कर अपनी मुक्ति के लिए यहां आई और उसे यही मुक्ति मिली ।
यह संपन्नता, ज्ञान एवं मुक्ति का स्थान है।
हम भी यहां विनम्र भाव से उनके सेवक बनकर आए हैं। कुछ मांगने के लिए नहीं क्योंकि वे तो अन्तर्यामी
है और जब कोई भी व्यक्ति यहां पूर्ण समर्पण से आता है तो वे अपने स्तर के अनुसार ही उसे आतिथ्य प्रदान करते हैं। ऐसा ही हमारे साथ हुआ। हम तो ठहरे एक सामान्य व्यक्ति, परंतु ठहरे उस सर्वव्यापक, सर्वांतर्यामी, जगतनियंता द्वारिकाधीश के मेहमान । उन्होंने भी यहां अचरज ही किया कि हमें न केवल राजकीय सम्मान दिया, अपितु अपने सरंक्षण और सानिध्य में पूरी यात्रा को संपन्न करवाया और माध्यम बनाया हमारे परम मित्र जयेश भाई को। इस पूरे क्षेत्र के डीआईजी श्री महेन्द्र सिंह के संरक्षण में सोमनाथ के पुलिस अधीक्षक श्री ओमप्रकाश जाट तथा पोरबंदर के पुलिस अधीक्षक डॉ रवि सैनी और उन के पूरे स्टाफ के सहयोग के माध्यम से यह यात्रा ऐसी हो गई कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते,पूर्णतय: शब्दातीत।
यह यह सब उसकी ही कृपा है । जिस के बुलावे पर हम उनका स्नेहपूर्ण आशीर्वाद प्राप्त करने आए।
जीवन मे अब कोई कामना शेष नहीं है . पारिवारिक, सांसारिक व व्यवसायिक जिम्मेदारी से भी मुक्त हैं . अब बकाया जीवन उन्हीं को अर्पित है. जैसा चाहे वैसी सेवा ले.
"न त्वहं कामये राज्यं न स्वर्गं नापुनर्भवम् ।
कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामार्तिनाशनम्" .
राम मोहन राय,
21.02.2022,
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