Jaipur
मोहब्बत के यादगार शहर में
🤝🤝🤝🤝🤝🤝🤝🤝 जयपुर मेरे लिये एक सौभाग्य व यादगार का शहर रहा है । यह मेरे लिए एक ऐतिहासिक पर्यटक शहर ही नही बल्कि पारिवारिक नगरी भी है । ज्यों ही आज अल सुबह मेरे अज़ीज़ मित्र श्री मुजीब आज़ाद साहब ,जो एक ख्यातिप्राप्त पत्रकार ,लेखक व प्रकाशक है ,मुझे रेलवे स्टेशन पर लेने आये तो मेरी सभी यादें एकदम ताज़ा हो गयी । मुजीब साहब तो ऐसे लगे मानो मेरे कोई नजदीकी रिश्तेदार ही आये हों, बेशक यह मेरी उनसे पहली मुलाकात थी और सोशल मीडिया पर उनसे मात्र हफ्ते पहले ही उनसे सम्पर्क हुआ था । वे आचार्य कुल की गांधी 150 पर बनी समिति के राष्ट्रीय संयोजक है तथा उनकी बातों में इतना स्नेह व सम्मोहन है कि मैं भी उनके निमंत्रण पर यहाँ खिंचा चला आया ।
मेरे माता-पिता दोनों ही स्वतन्त्रता आंदोलन से जुड़े रहे । भारत की आज़ादी के बाद इस शहर में ही कांग्रेस का महाधिवेशन हुआ था और मेरे माता-पिता इस अधिवेशन में भाग लेने के लिये आये थे और रुके थे जयपुर के एक प्रख्यात कांग्रेस नेता श्री राम स्वरूप चंदेल जो वर्तमान मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की पत्नी के मायके पक्ष में थे ,उनके घर । मेरे पिता उन अनुभवों को बहुत ही शान से बताते थे कि श्री चंदेल का घर संगमरमर पत्थर से बना था । इस बात से इस शहर के प्रति मेरा आकर्षण सदा बना रहा था ।
पर ,मैं इस शहर में सबसे पहले 1981 में आया था । अपनी होने वाली पत्नी कृष्णा कांता को देखने का बहाना बना कर मिलने । क्योंकि वह तो मैने उस दिन ही देख ली थी जब सन 1974 में वे नौंवी कक्षा में पढ़ते हुए उदयपुर से पानीपत में एक राष्ट्रीय एकता शिविर में आई थी और मैं बी ए फर्स्ट ईयर का एक विद्यार्थी ,उन्हें अपने घर से उनके शिविर स्थल गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल तक छोड़ने गया था । उस समय न तो वे मुझे जानती थी और मेरा तो पहला परिचय था । मैंने तो उसी दिन उन्हें देख लिया था और पसन्द भी कर लिया था और ठान लिया था कि यदि ये भी मुझे पसंद कर ले तो हम दोनों ताजिंदगी एक डोर में बंध जाए । भगवान में मेरी सुनी और हम दोनों में ही नही बल्कि दोनों परिवारों में सहमति हो गयी । और फिर मैं दूसरी बार सन 1983 में इस शहर में दूल्हा बन कर अपनी दुल्हनियां ब्याहने आया । उन दिनों मेरे श्वसुर श्री गणेश लाल जी माली पूर्व सांसद, राजस्थान बुनकर सहकारी संघ के अध्यक्ष थे तथा उन्हें यही रिहाईश मिली हुई थी । इसके बाद 2-3 बार अपनी ससुराल पक्ष के यहां रहने के कारण आया ।
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