विद्रोही महादेव
महादेव विद्रोही नाम से ही नहीं अपितु वैचारिक रूप से नाम के अनुरूप है. मेरा उनका कोई पुराना परिचय तो नहीं परन्तु बजरिया श्री महावीर त्यागी जानकारी रहीं. स्वर्गीय भाई जी अक्सर उनका जिक्र करते रहते थे. उनका कहना था कि विचार में वे हमारे निकट है. मैं इसी भाव से उनसे मिलने का इच्छुक भी रहा और आखिरकार य़ह तमन्ना अखिल भारतीय नशा बंदी परिषद की दिल्ली मे हुई बैठक मे उनसे मिलने पर पूरी हुई. तब मैंने पाया कि वे वैसे ही हैं जैसा उनके बारे मे सुना था.
नशा बंदी परिषद के सम्पन्न हुए अधिवेशन में आदरणीय सुब्बाराव भाई जी को अध्यक्ष चुन लिया गया. सर्व सहमति की अपनी आदत के अनुसार श्री सुब्बाराव जी ने परिषद के अन्य पदाधिकारियों तथा कार्यकारिणी की बैठक के निर्वाचन करने की प्रक्रिया को करने के लिए आगरा में हो रहे सर्वोदय समाज के सम्मेलन के दौरान ही बैठक आहूत की. यह बैठक ही नशा बंदी परिषद को अपहृत करने का आधार साबित हुई. उसके बाद इलाहाबाद में होने वाली बैठक मे भाई जी ही को अपदस्थ करने की नापाक क्रिया हुई और फिर कुछ अति महत्वाकांक्षी लोगों ने परिषद पर ही अपने कब्जे में लेकर अपनी मनमानी शरू कर दी. इस बात से जहां हम दुखी व परेशान थे वही महादेव भाई भी पीड़ित थे. सर्वोदय विचार में होने वाली इस लीला से हम तो नावाकिफ थे परन्तु विद्रोही जी इस पर आक्रोशित थे और वे बार बार महावीर त्यागी जी को कह रहे थे कि एसा करना सम्पूर्ण आंदोलन को ही आघात देने जेसा है परंतु वे इसमे सफल न हो सके. पर इस वाक़या के बाद मैं उनका कायल हो गया. महावीर त्यागी एक बहुत ही सरल व्यक्ति थे पर उनके साथ विश्वासघात कर इस छल को किया गया जिसके कारण वे जीवनपर्यंत दुखी रहे.
अब अक्सर उनसे मोबाइल पर बात भी होती थी .
महादेव भाई जी ने सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष रहते हुए उन तमाम मुद्दों पर अपनी आवाज़ मुखरता से रखी अक्सर जिस पर सर्वोदय जगत चुपी साधे था फिर वह चाहे कश्मीर में शांति का मसला हो या बाद में जबरन धारा 370 को हटाने की कार्यवाही, नागरिकता कानून पर तो वे इतने विद्रोही थे कि अपना विरोध जताने शाहीन बाग व अन्य धरना स्थलों पर अपनी एकजुटता प्रकट करने गए. दिल्ली में दंगे करवाने की कोशिशों के खिलाफ भी जंतर-मंतर पर एक दिवसीय धरने व अनशन पर भी बैठे. मुझे खुशी है कि इनकी तमाम पहलकदमी में मैं उनके साथ रहा.
सौभाग्य से मेरी सुपुत्री संघमित्रा की शादी के बाद वह अहमदाबाद रहने लगी. इसके बाद तो जब भी हम बेटी के घर जाते तो भाई जी के घर जाकर भी विशुद्ध गुजराती भोजन के साथ-साथ वैचारिक चर्चा का स्वाद भी चखते.
उनकी पत्नि नीता महादेव भी गुजरात में प्रमुख रचनात्मक नेत्री है जो हर समय किसी न किसी आंदोलन में जुड़ी रहती है. सुपुत्री मुदिता विद्रोही तो अपने माता-पिता से भी चार हाथ आगे है .पुत्र निरद भी रचनात्मक कार्यो तथा किसानों द्वारा उत्पादित सामान को सीधे ग्राहक को पहुंचाने का काम करता है. यानी पूरा का पूरा परिवार गांधी विचार को समर्पित है. नीता बहन तो प्रसिद्ध गांधीवादी तथा महान स्वतंत्रता सेनानी श्री चुन्नी भाई की बेटी है.
एसा परिवार हम सब के लिए प्रेरणा स्त्रोत है. हमे गर्व है कि हम उनका हिस्सा है.
राम मोहन राय,
गांधी जी का अहमदाबाद
🙏🙏🙏🙏👍
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