Posts

Showing posts from October, 2022

पानीपत के बुज़ुर्ग

Image
*पानीपत के बुज़ुर्ग*                   संतो की दूर दृष्टि होती हैं साथ साथ वे त्रिकाल दर्शी भी होते है । हम सामान्य जन अपने जीवन की उठापटक में ही समय बिताते है  जबकि वे हमारे प्रारब्ध को जानते हुए हमारा मार्गदर्शन करते है ।      पानीपत जहां में मेरा जन्म हुआ ऐतिहासिक महत्व का है साथ साथ उसके औद्योगिक विकास ने इसे नए आयाम भी दिए है और अब इसकी पहचान एक निर्यातक क्षेत्र के रूप में भी विश्व पटल पर जाना जाता है ।        पानीपत का कुल क्षेत्रफल 1,268 किलोमीटर है अर्थात 490 वर्गमील । दिल्ली से उत्तर की तरफ चलने पर 90 किलोमीटर सड़क मार्ग पर यह पहला बड़ा कस्बा है । सन 1857 से पहले तक यह जिला मुख्यालय भी हुआ करता था ,परंतु यहां के लोगों ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी के विरुद्ध क्रांति में बढ़ चढ़ कर भाग लिया जिस वजह से यहां से बदल कर करनाल को जिला मुख्यालय बना दिया और पानीपत को उसका उपमंडल। वर्ष 1991 में पानीपत को दोबारा जिला बनाया गया  और इसके साथ 190 गांवों को जोड़ा गया जिसमें से चार बड़े गांव समालखा, इसराना, मडलोडा  और बापौली  उन्हे उप तहसील।      पर इसकी इससे अलग एक रूहानियत पहचान भी है

Hali Apna School

Image
हाली अपना स्कूल, पानीपत में लगभग 3 माह पहले एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने आकर बताया कि स्कूल के निकट ही कुछ घुमंतू मूर्तिकारों के परिवार कच्ची झोपड़ियां बना कर रह रहे है । उनके बच्चे भी 5 से 14 साल के है परंतु कभी भी स्कूल नही गए । पर वे पढ़ना चाहते हैं । स्कूल के कार्यकर्ताओं ने उन्हें संपर्क किया और उन्हें अपने यहां ले आए ।      अपने एडमिशन के पहले दिन से वे सभी बच्चे नियमित रूप से स्कूल मे आ रहे हैं। वे कुशाग्र बुद्धि है। पढ़ाई के साथ- साथ वे अपने पारंपरिक हुनर को भी नहीं छोड़ा है । उन्हीं में से एक बेटी, दिवाली के अवसर पर कच्ची मिट्टी से  राधा-कृष्ण की एक मूर्ति बना कर लाई । उसके स्नेह को देख कर हम अभिभूत है ।     हमारे पास ऐसे ही अनेक बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं जो बहुत ही कुशल चित्रकार है, मूर्तिकार है, गायक है ,डांसर है और हाथों पर मेंहदी सजाते हैं।      ये वे है जो निधन माता पिता की होनहार संतान है ।     मुझे तो यकीन है कि ये जीवन की ऊंचाइयों को हासिल करेंगे और सभ्य समाज के सुयोग्य नागरिक भी ।     दिवाली के इस अवसर पर हम अपने आस पड़ोस में रह रहे ऐसे ही होनहार बच्च

Padamshri S P Varma हमारी प्रेरणा

Image
*हमारी प्रेरणा*                 श्री एस पी वर्मा जी से मेरे मैत्री संबंध पिछले लगभग 32 वर्षों से है। यह मेरे जीवन का अहोभाग्य भी है और उपलब्धि भी है।        दीदी निर्मला देशपांडे जी के सानिध्य में अन्य अनेक लोगों के साथ हम दोनों को काम करने का अवसर मिला था। वे मिलटेंसी से प्रभावित जम्मू-कश्मीर रियासत के जम्मू शहर के हैं। पेशे से सिविल इंजीनियर उन्होने अनेक वर्षों तक राज्य में एक अधिकारी के रूप में कार्य किया है। पर मन तो मनमौजी है पता नही किस की प्रेरणा मिले और जीवन धारा ही बदल जाए। ऐसा ही वर्मा जी के साथ भी हुआ। जम्मू कश्मीर में हिंसा और रक्तपात का दौर था और दीदी निर्मला जी महात्मा गांधी की एक शान्ति सैनिक बन कर यहां आई थी और यहीं उन्हें एस पी वर्मा जैसे व्यक्ति से उनकी मुलाकात हुई । इस के बाद तो वर्मा जी अपनी सरकारी नौकरी को छोड़ कर निर्मला जी तथा उनके कार्यों को ही समर्पित हो गए। ये वह समय था जब कोई भी यहां आने में डरता था पर यह शान्ति सैनिक निडर हो अपनी जान जौखिम पर रख उस हर जगह जाकर अमन का काम करता जहां आतंक पसरा होता।     उसी दौरान मुझे भी दीदी की मार्फत उन्हें और उनक

Sanghmitra

*दूसरी पारी*  मेरी पत्नी पिछले अढ़ाई महीने से तथा मैं पिछले आठ दिन से अहमदाबाद में था । मौका था मेरी बेटी के बेटा होने की खुशी का । आज हम उससे विदा लेकर अपने घर पानीपत वापिस जा रहे है । चलते हुए मैंने अपने नवासे को गोदी में लिया फिर बेटी के सिर पर हाथ रखते हुए आशीर्वाद देते हुए कहा कि हमारे प्रवास के दौरान कोई गलती हुई हो तो माफ करना । मेरी बेटी ने भी जवाब में कहा कि *आपसे नही उनसे कोई गलती हुई तो माफ करना* । इस दौरान मैने पाया कि नवासे का डॉयपर उतरा हुआ है जिसकी वजह से मेरे हाथ पर कुछ गीला सा महसूस हुआ । मैने कहा कि मां -बाप तो बच्चे की हर चीज और बात क्षमा करते है ,कही बच्चे कुछ अलग न महसूस करें ,उन्हें इसकी चिंता रहती है ।      उसके घर से एयरपोर्ट तक आने तक उसकी सारी जीवन यात्रा एक चलचित्र की तरह चलने लगी । यह मेरी दूसरी बेटी है । मुझे याद है कि उसके जन्म पर हमारे तमाम उदार सामाजिक ताने बाने के बावजूद कोई भी हमे बधाई देने में गुरेज करता था । मैंने अपनी इस पीड़ा को दिल्ली जाकर अपनी गुरु व मातृवत दीदी निर्मला देशपाण्डे जी को बताया था । वे भी इससे बहुत ही व्यथित हुई थी और फिर बधाई देने