Padamshri S P Varma हमारी प्रेरणा
श्री एस पी वर्मा जी से मेरे मैत्री संबंध पिछले लगभग 32 वर्षों से है। यह मेरे जीवन का अहोभाग्य भी है और उपलब्धि भी है।
दीदी निर्मला देशपांडे जी के सानिध्य में अन्य अनेक लोगों के साथ हम दोनों को काम करने का अवसर मिला था। वे मिलटेंसी से प्रभावित जम्मू-कश्मीर रियासत के जम्मू शहर के हैं। पेशे से सिविल इंजीनियर उन्होने अनेक वर्षों तक राज्य में एक अधिकारी के रूप में कार्य किया है। पर मन तो मनमौजी है पता नही किस की प्रेरणा मिले और जीवन धारा ही बदल जाए। ऐसा ही वर्मा जी के साथ भी हुआ। जम्मू कश्मीर में हिंसा और रक्तपात का दौर था और दीदी निर्मला जी महात्मा गांधी की एक शान्ति सैनिक बन कर यहां आई थी और यहीं उन्हें एस पी वर्मा जैसे व्यक्ति से उनकी मुलाकात हुई । इस के बाद तो वर्मा जी अपनी सरकारी नौकरी को छोड़ कर निर्मला जी तथा उनके कार्यों को ही समर्पित हो गए। ये वह समय था जब कोई भी यहां आने में डरता था पर यह शान्ति सैनिक निडर हो अपनी जान जौखिम पर रख उस हर जगह जाकर अमन का काम करता जहां आतंक पसरा होता।
उसी दौरान मुझे भी दीदी की मार्फत उन्हें और उनके काम को जानने का अवसर मिला और पाया कि उनमें अद्भुत नेतृत्व क्षमता है। इस पूरे इलाका का हर भाग उनसे परिचित था । वे भी दीदी को लेकर हर उस क्षेत्र में गए जहां भी अमन की दरकार थी । दर्जनों बार वे यहां आई और हर बार उन्हें वर्मा जी का साथ मिला । अनेक बार तो जान भी जौखिम में थी परंतु वे न तो रुके और न ही थके ।
दीदी अक्सर वर्मा जी के बारे में अपने अशिर्वचन के रूप में कहती कि देखना वर्मा जी बहुत बड़ा काम करेंगे। बड़े काम की क्या परिभाषा होगी वह तो दीदी ही जाने परंतु वर्मा जी का काम सदा अतुलनीय एवम प्रेरणाप्रद रहा।
सन 1997 में वह समय भी आया जब दीदी निर्मला जी ने ए बी आर एस का राष्ट्रीय सम्मेलन जम्मू में आहूत किया और इसकी पूरी जिम्मेदारी थी उनके साथी एवम अनुयायी वर्मा जी की । कच्ची छावनी स्थित उनका घर पूरी तरह से शांति सैनिकों एवम रचनात्मक कार्यकर्ताओं की भीड़ से पटा था। घर छोटा था परंतु वर्मा परिवार का मन इतना बड़ा कि वहाँ कोई भी कमी दिखाई नहीं दे रही थी। वहीँ कार्यालय था वहीँ किचन थी जहाँ अन्नपूर्णा के रूप में श्री एस. पी. वर्मा की पत्नी तृप्ता वर्मा स्वयं खाना बनाकर सैकड़ों कार्यकर्ताओं की क्षुधा को तृप्त कर रहीं थीं। उस सम्मेलन में पूरे देश से पाँच हजार कार्यकर्ताओं ने भाग लिया था। यद्यपि सम्मेलन स्थल मौलाना आजाद स्टेडियम था और उनके रहने की समुचित व्यवस्था विभिन्न स्थानों पर की गई थी। परंतु कोई भी ऐसा कार्यकर्ता नहीं बचा होगा जो अपना आभार प्रदर्शन करने इस घर में न आया हो। स्थिति आज भी वही है। वही घर है वही परिवार है और ऐसे ही कार्यकर्ताओं के आने की संख्या। सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री इंद्र कुमार गुजराल सहित अनेक राजनेता आए थे ।रचनात्मक सम्मेलन में यह पहली बार हुआ था कि सम्मेलन में इकट्ठी धनराशि तथा खाद्य सामग्री का भरपूर सदुपयोग होने के पश्चात जो बचा था वह दीदी को सौंप दिया गया। दीदी निर्मला देशपांडे जी भी यह देखकर हर्षित थीं कह उठीं, वर्मा जी अनेक राष्ट्रीय रचनात्मक सम्मेलन हुए हैं पर यह पहली बार हुआ है कि उन्हें बची हुई राशि लौटाई गई । उसके बाद तो वर्मा जी निर्मला दीदी के हमसाए की तरह हमेशा बने रहे। दीदी की मृत्यु के पश्चात यह वर्मा जी का ही पराक्रम था कि उन्होंने स्व. दीदी की इच्छानुसार गांधी ग्लोबल फैमिली की स्थापना की। यह उन्हीं का प्रयास था कि उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद को उसका नेतृत्व करने के लिए सहमत किया।
निर्मला दीदी के जाने के बाद उनकी विरासत के संगठन क्षीण होकर नेतृत्वविहीन हो गए। ऐसे समय में वर्मा जी का कहना था कि हम लोग संस्थाओं की राजनीति में न पड़े अपितु एक लंबी लकीर खींच कर गांधी ग्लोबल फैमिली को मजबूत बनाएं। उनका यह मानना था कि फैमिली का निर्माण करना दीदी का स्वप्न है और हमें इसे साकार करना है। विजयवाड़ा, शिमला, जम्मू और कन्याकुमारी में संपन्न हुए सम्मेलन इस बात के सबूत रहे। यह उन्हीं की दूरदृष्टि रही कि आज गांधी ग्लोबल फैमिली संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित एक स्वैच्छिक संस्था है । सन 2014 में उन्हें उनकी सेवाओं को मद्देनजर रखते हुए पद्मश्री सम्मान से विभूषित किया गया। उन्होंने अपना जीवन गांधी ग्लोबल फैमिली को समर्पित किया है। इसकी वजह से अब वे इसके पर्याय बन चुके हैं। समाज में अक्सर लोगों को यह शिकायत बनी रहती है कि उनका परिवार उनके कार्यों में सहयोग नहीं करता परंतु वर्मा जी का परिवार इसका अपवाद है। उनकी पत्नी, दोनों पुत्र, पुत्रवधूएं, पुत्री और यहाँ तक कि छोटे- छोटे पौत्र- पौत्री भी उनके संस्कारों से ओतप्रोत है।
वर्मा जी, उनका परिवार तथा उनके कार्य सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरक है।
राम मोहन राय,
Jammu and Kashmir.
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