बुजुर्ज्ञाने पानीपत (मौलवी लका उल्लाह)

[11/1, 9:49 AM] Mata Sita Rani: होवाल हक पानीपत और बूजरगएने गाने पानीपत सैयदना हजरत  बू अली शाह कलंदर रहमतुल्ला अलेह हजरत हजरत ए ख्वाजा शमसुद्दीन तरफ मखदूम अशरफ शेख जलालुद्दीन कबीर उल्लाह वाली शेख आला चिश्ती पानीपति वघेर हम रहमतुल्लाह अलेह आज मौलाना सैयद मोहम्मद मियां साहब नाजिम अमोनी जमात या उलमा हिंद मुसन्निफ ऑल माय हैंड का शानदार माझी ऑल माय हक तारीख इस्लाम इस्लामी सीकर वगेरा हस्बे फरमाइश हजरत मौलाना लुकाला साहब उस्मानी पानीपति मत बुआ जमा ती या पर्लिस दिल्ली कीमत मिलने का पता हजरत मौलाना अताउल्ला उस्मानी पानीपत जिला करनाल पंजाब कतलम स्थान कथा लव स्थान गली कासिम जान दिल्ली
[11/1, 10:02 AM] Mata Sita Rani: पानीपत और बुजरगाने मस्जिद दरगाह हजरत बू अली शाह कलंदर मकबरा नवाब मकरम खान उस्मानी मरहूम दरगाह हजरत बू अली शाह कलंदर रहमतुल्लाह अल्लाह बर जमीने निशाने काफी पाए तो बूड़ सलाह सजदा साहब मंजीरा वाहिद बुड
[11/1, 10:46 AM] Mata Sita Rani: आम अकीदत के आस बाब
वजह तलीफ
तारीख पानीपत का एक नजर अंदाज़ पहलू
एक दिलचस्प मामला
मामले का हल
तारीखी हकीकत
हजरत कलंदर साहब के जमाने का सियासी माहौल
बादशाह के मुतालिक इन बुजुर्गों के खयालात
हजरत बू अली शाह कलंदर रहमतुल्ला अलेह
खानदान और न  सब 
नानी हाली सिलसिला
साल विलादत
विलादत के बाद कसरत गिर गे और तस्कीन की अजीत गरीब सूरत
तालीम
उसतीजा 
पानीपत से दिल्ली और सिलसिला ए दरस काज़ा
हुकम नामा क्या है
मुशाहिद
मरीडियन 
आज तक ना आए और बेनियाज़ी
नजनीफात्त
एक बुनियादी फर्क
कलंदर और शाने कलंदरी
लफ्ज़ कलंदर के माने
कलंदर और सालिक मैं फर्क
कलंदरी और पाबंदी शरीयत
बुनियादी गलती 
असबाब तारक 
सियासी बेहरान का  असर उलमा ए मशाहिक पर
दीन वाह ईमान के हक में अंदरूनी खत रात हिफाज़त की सूरते और लाई अमन
तबलीग दहशत का लाई अमल मालिक इश्क मोहब्बत का प्रचार
हजरत कलंदर साहब और मालिक इश्क और एक सवाल
हम रंगी क्या है
सवाक निगारो के बयान मैं
तराज और तादाद 
क्या जजाज मकसूस है
[11/1, 11:46 AM] Mata Sita Rani: हम रंगी महबूब की हकीकत और इसकी सही तस्वीर
मजहब इश्क तबलीग वाह इसला का लाए अमल
मसलक इश्क की गलत तफसीर
गुजरी का अफसाना
हजरत कलंदर साहब की वफात और आप का मजार शरीफ
मजार शरीर कहां है
किताब का ताल और वजह खिताब
हम असर असहाब कमाल और हजरत कलंदर रजा हब हजरत ख्वाजा अलाउद्दीन अली अहमद साबरी कलियरी
हजरत ख्वाजा शमसुद्दीन पानीपति मुकदूमुल मुसाहिक जलालुद्दीन कबीरूल उलिया
सुल्तान मुसहिक निजामुद्दीन महबूब इलाही हजरत अमीर खुसरो रहमतुल्लाह अलेह
शेख अहमद या या व शेख अशरफ उल दीन मैजिक रहमतुल्लाह अल्लाह अलाई मां तो नी तूने 786
हजरत कलंदर साहब और साने दिल्ल
बादशाहों के तालुकात
खत्म आए कलाम
हजरत शेख शमसुद्दीन तारक पानीपति
वतन और सिलसिला ए नसीब
तालीम और राहुल
फौजी मुलाजमत
फौजी मुलाजमत कब की
फौजी मुलाजमत क्यों की
खोज मैं कश्यप व करामत का जहूर
पानीपत में तस्वीर आद्री
करामत के जरिए सैयद होने का सबूत
हजरत समसुल्ला रहमतुल्लाह आई खिदमत
हजरत शमस रहमतुल्लाह अलाई की वफात औलाद
मखदूमल मसाहिक हजरत ख्वाजा
मोहम्मद जलालुद्दीन कबीरुल्लाह अवलिया उस्मानी
नाम नामी
वतन और सिलसिला नसब
सिलसिला ई परवरिश
जरिया महास
निकाह
सिहाहत और हज
बइयत
हजरत शेख कीमत
सन खिलाफत
कमालात और किरामात
मस तजावल दावत होना
आखिरी दौर और इस्तरक्राक
शहजाद गान
खुलफाए
शेख उस्मान जिंदा पीर
शेख निज़जामुल दिन 
शाह अली जस्ती पानीपति
असल नाम
साल विलादत बचपन और इफ्तादाही दौर 
फौजी मुलाजमत क्यों इकतियार की
[11/1, 12:56 PM] Mata Sita Rani: इस्लाह का बेपनाह शौक ताहीद गैबी की अजीब वा गरीब मिशाल
दोबारा तलाश मुलाजमत और नाकामी 
कलंदर राना जिंदगी और सियाहत 
बहार
चला कश्ती
चल्ला किया है
हजरत शेख निजामुद्दीन नूली से राबता और तालुक
कायस्थ 
अजीब वा गरीब आंकशफात 
मुजाहिदा की तोहियत और तो कुल्ला की नादिर मिसाल
सबरो  जब्त और तस्लीम दर्जा
चंद किरामाते 
वफात
मजार मुबारक
एक खास किरामत 
तांबिया
हजरत ख्वाजा अब्दुल रहमान गजरदनी 
सिलसिलाही नसाब हजरत शाह अली न हजरत उस्मान रहमतुल्लाह जियूलनोर दीन बेहावला सेहररुल्लाह किताब
पानीपत के नाम ख्वाजा इस्माहिल अहमद का पैगाम
पानीपत इंकलाब 1947 और  मोहलाना लकौल्लाह उस्मानी
मोहलना लाका उल्लाह साहब का तहरोफ
चंद साबक अहमोज काबिल तकलिया सखसिसी यातिएं 
हाबे वतन
गम किस बात का था
किनाहते 
मोहलना का असर गैर मुस्लिमो पर
हजरत मौलाना लाका उल्ला साहब का बियान
फसाद की इफ्तीदा 
अमन की कोशिश
गांधी जी की अहमद 
मुसलमानों के खिलाफ फैसला
दिहाती मुसलमान और इन का इनखलाए 
कांग्रेसी दोस्तो की गलत बियानी 
4 दिसंबर को महात्मा गांधी की ताशरीफ ओरी
हत्यार
स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम 
फसाद का जिम्मा दर कौन था 
इनखला मस्जिद हजरत मकदूम साहब
एक किरमत
खवातीन की बाज्यानी और मजहबी आजादी 
काम की नोहियत और गांधी जी का हादसा कतल
तंजीम ओहकात
सेक्युलरिज्म का कुशगावर नतीजा
मगोबा औरतों की बदहाली
कतमाये किताब एक सबक जो कभी भी 
फरामोश न होना चाहीये
[11/1, 3:19 PM] Mata Sita Rani: अरज नासिर
बुजरगान दिन और ओलिया किराम का तजकीरा बाहस रहमत वा सकूनत जहां आलिया किराम का तजकिरा होता है वहां अल्लाह की रहमत नाजिल होती है दिलौ की सकून वा राहत नसीब होती है अल्बाता ये जरूरी है की तजकिरा साफ सूत्रा और सही वा दुरस्त होना चाइए और इन तजकीरो मैं ला या ने रूवायत और लगवाई सरो पा हाकायात से  एतराज होना चाइए
इस दौर मैं जहां हर चीज अफरात वा तफरीत का शिकार है बद किस्मती से ओलिया किराम के मामले मैं भी इस रोशन का मुजाहिरा किया जा रहा है।कुछ लोग इस कदर अफ़रात का शिकार हैं की इन्होने ओलिया किराम को तमाम इकतियारात का मालिक जन कर सब कुछ इन्हें समझना शुरू कर दिया है और कुछ लोग इस कदर तफ़रीत का शिकार हैं की वो ओलिया किराम का जो असल मर्तबा वा मुकाम है वो भी नहीं देहने को तैयार नहीं इस्तीकामत की राह वोही है जो अफ़राद तफरीद से हट कर आतेदाल की राह है।हमें चाइए की जड़ों मुस्तकीम पर चलते हुवे हर मामला मैं आहतेदाल की राह को अपनाएं और अफ़रा तफरी से  बचप्पन जेरे  नजर किताब पानीपत और बूजरगाने पानीपत मैं अफरा तफरी से एतराज करते हुए निहायत मत दिल वाह मधवा जन अंदाज़ मैं भारत के मशहूर और तारीखी शहर पानीपत मैं मद फोन स्मार्टफोन काबर वालीउल्लाह हजरत बू अली जस्ती वगेरा का हम तजकिरा किया गया है इस किताब के मसानी जानी पहचाने शख्सियत सैयद अलमलता हजरत मौलाना मोहम्मद सैयद मियां साहब रहमतुल्लाह है
[11/1, 3:35 PM] Mata Sita Rani: जिनका नाम नामी किताब की सखावत के लिए काफी है हजरत की यह किताब बहुत पहले हिंदुस्तान मैं शाय हुई थी और अर्से से नायाब थी जमीयत पब्लिकेशन की खुश किस्मती है कि पाकिस्तान मैं पहली मर्तबा इससे यह किताब शायरियां करने की साधक हासिल हो रही है।
जमीयत पब्लिकेशन अपनी सबका रवायत के मुताबिक इस किताब को शायरियां कर रही है इस एडिशन की खासियत यह है कि इस के शुरू में मुकदमा का इजाफा किया गया है ब्रदर मुकर्रम मौलाना नईमुद्दीन साहब ने तहरीर फरमाया है मौलाना  नईम उद्दीन दीनी हलकों में किसी तारीफ के मोहताज नहीं। मौसम जामिया मदीना लाहौर मैं हदीस के उस्ताद होने के अलावा तकरीबन एक दर्जन किताबों के मुसन्नीफ भी हैं। इस मुकदमा मैं मौलाना मौसम ने तसूप और सोफिया किराम पर किए जाने वाली एतराज आत का जायजा लेकर इनका शफी जवाब दीया है अल्लाह ताला से दुआ है की वह हमारी इसका वश को भी कबूलियत से नवाजे।
मोहम्मद रियाज द रानी
10 सवाल अल मुकर्रम 1420 ईसवी
[11/2, 9:43 AM] Mata Sita Rani: मुकदमा

हजरत सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने अलामत कयामत में से एक अलामत यह जिगर फरमाए है उम्मत के पिछले लोग अगले लोगों पर लान तान करें गे इस दौर पर फतन मैं जहां हजूर सल्ला वाले वसल्लम की जिगर कर दा दूसरी अलामत का जहूर हो रहा है वही इस लान तान वाली अलामत के अशरफ भी पूरी तरह जाहिद हो रहे हैं मादर फादर आजाद लोग जो दीन से बे बहरा और दीनी एक बार से ना आसना है वह अपने मकासेड  की रा मैं जिस हंसती को अपने खिला पाते हैं इस पर खुल कर ताकीद और तान वाह तशनी करते हैं और इसमें किसी के मर्तबा मुकाम का लिहाज नहीं करते अंबिया किराम हो या सहाबा किराम खलीफा राशि दिन हो या अहलेबैत उज़ाम ताबीज वाह तबाता बीन हां  या आई मां मस्तम दिन अवलिया किराम हां या सोफिया एजम इस दौर में इन मातरम शख्सियत मैं से कोई भी अंकित से  छा हुआ नहीं दुश्मन आन दीन  अगर यह तर्ज़े आमल इस प्यार करें तो इन से क्या गिला शिकवा हैरत वा इस्तेजाब का मुकाम तो यह है कि आज कल तनकिड का अमल वह लोग कर रहे हैं जो आप को दीनदार आशाअत दीन का बिला शिरकत गहरे ठेकेदार समझते हैं सुखिया किराम जो इस उम्मत का मुकद्दस व पाक बाज तब का है जैन के अल्फ़ाज़ कसया से हर दौर नए आलम मस्ती जा व मस्त चीज रहा है जिन के हाथों पर लाखों नहीं करोड़ों अपराध ने इस्लाम कबूल किया है जो हमेशा अमन वाह औषधि और सदाकत वर अस्ति का पैगाम देते रहे हैं जो हमेशा हिसार व हमदर्दी से काम लेते हुए खालिक खुदा की सला व फला मैं लगे रहे हैं अफसोस आज मुकद्दस तब का पर तान वाह तस्निया का बाजार गरम है कोई
[11/2, 10:45 AM] Mata Sita Rani: कोई इन्हें शख्सियत का ईलम बरदार के रहा है तो कोई बा ता नियत की पैदावार किसी को सूफिया के राम के इफकार मैं कुफर वा शिरक की बू महसूस हो रही तो कोई तसवर को इफोवान करार दे रहा है तो कोई इन्हें कोई कोई सोफिया किराम की किताब वाह सनत की अवता से हटा हुआ करार दे रहा है तो कोई इन्हें आशा हट इस्लाम मैं सबसे बड़ी रुकावट बता रहा है   ऑल गरज जितने मुंह इतनी बातें बड़ा अल मियां यह है की जिस सर जमीन मैं तसवर की बुनियाद पड़ी जहां यह परवान चढ़ा जहां से इस का सिलसिला चला वहां के कुछ लोग भी तस्वाफ और सोफिया किराम के खिलाफ दूसरों के बहकावे मैं आकर ऐसी बातें करने लगे हैं जिन की इन से तक का नहीं की जा शक्ति थी छू कूफर आज का बा बरखेड़ी कीजा मंद मुसलमानी।
सोफिया किराम की मत लिख यह इल्जाम आर्ट वाह अतः मात हमारे लिए कोई नए और परेशान किंग नहीं हैं जो लोग तसवाफ की मय्यत से ना आसना और सोफिया किराम के फेस मोहब्बत से बे बहरा हैं वह अल्लाह अहदाई लामा जलवा के मस्तक यह इल्जाम वा अहथेमत लगाते  रहे हैं आज भी के कुछ बकाया और अकबर और ना अंदेश मकलर्रीन इन इल्जामात के परचार लगे हुए हैं और सादा लवर आवाम के कल बुक व अजान को खराब कर रहे।
हकीकत यह है की यह सब इल्जामात वा आत्मात तसूफ की हकीकत वाह माही यत और सूफिया किराम की आल्हा इकलाखी तालिमात से जहां का नतीजा है सुफियान किराम का दामन इन इल्जामात वा आत्मात से पाक है और ना ही सूफी आए किराम कभी बी ईशाहात पाक है वह ना शाईअथ के ईलंबरदार हैं ना बा तन्यत की पैदावार ना तासूफ किसी इफेवान का का नाम है और ना ही सोफिया किराम कभी भी अशहात इस्लाम मैं रुकावट बने हैं बल्कि अगर दे नजर इंसाफ देखा जाए तो मालूम होता है की बर सगीर मैं मुसलमानों की इल्मी  फिकरी और समाजी बेदारी सुफियान किराम ही की तबलीग दावत और इन्हें की रशदो हिदायत रहीन मिनट है उन्होंने बर सगीर की तहजबीं और मजहबी लोग जिस चीज से जाहिल होते इस के दुश्मन  होते हैं
[11/2, 4:31 PM] Mata Sita Rani: मैं फरमान राहों से कहीं बढ़कर नुमाया खिदमत अंजाम दे और सीरत किरदार का ऐसा मिनारा रोशन किया जिस की रोशनी से पूरी कायनात जगमग आ उठी सोफिया किराम ने तोहिद वा रसालत पर ईमान रखने की दावत दी इश्क इलाही को सरमाये पहली नजर बनाया उन्होंने सादात इंसानी का इलाज किया अनपरा दियत की अजमत अजमत कायम की रवा दारी अखवात व नेक नफ्से की तालीम दी जो लोग संजीदगी से अ गई बसीरत और खुदा शानासी के जवाब बात थे उन्होंने सोफिया ए किराम के अवतार खयालात का पुर जोश खेल मकदम किया और के आगोश रहमत और दामन तबीयत मैं खुदा शानसी की मंजिलें तह की।
अफसोस का मुकाम है की तहसूफ वाह सोफिया ए किराम के नकद्दीन ने यूरोप की तकलीफ मैं मस्का सुधा तासवुफ और सोफिया ए खास के सामने रख कर तान वाह तस्निया का बाजार गर्म किया हकीकी तस्वुफ और सच्चे सोफिया से आंखें मूंद ली इन्होंने ना सोफिया के कीराम की ताली मुताला किया और ना इन के तरीक कार का जायजा लिया बला तहकीकी जुस्तजू इन पर आयत कार दिए हालांकि बा ता नियत की पैदावार हिंदू फकीरों जोगियों पीरों का दर्जी अमन और सोफिया किराम का तारीख का रूम दोनों आया है दोनों का नवाज ना किया जाए तो जमीन आसमान का फरक नजर आता है ऐसी ही शेययत का जायजा लिया जाए तो सोफिया किराम की तालिमात वाह आकाहीद आज कार अश्गल और श्रेया हजरत की ताली मात वो नजर याद और अफकारो बड़ा खयालात मैं रॉन बाहीड दिखाई देता है दौर मैं मजहिब के साकाबिल्ली जायजा मैं कोई दुश्वारी भी नहीं की तमाम तबकात का लिट्रेचर आम मिलता है हैरत है सोफिया के नकद्दीन ने सच्चे दिल और टांडे दिमाग से रहमत तहकीकी कियू गवार नहीं की और सोफिया किराम को कियू न हक बदनाम करना शुरू कर दिए हमें यकीन है की जो शक्श भी सोफिया किराम हकीक़ी तहलीमत और इन के सच्चे अफकर का जैयेजा ले गए वो कभी भी इन महानिंदीन वा मकालीफ के दाम तनरूर का शिकार नहीं होता।
हमारे आकाबार हमेशा से नकादीन तावुफ वा सोफिया के जवाबात देहते हैं।
[11/3, 3:41 PM] Mata Sita Rani: बुजरगानी पानीपत।                    14
इसलिए नए सिरे से जवा बात की जरूरत ना थी लेकिन जदीद दूर के तका के पेश नजर अकमूल हारोफ मुनासिब समझता है की इस मौके पर तसवर की हकीकत व महियत तासवुफ की एहसास व बुनियाद तासूफ के सही खादो खाल सोफिया ए किराम इनका अब्ता शरीयत अमन बिल सुन्नत और अशांत इस्लाम के सिलसिले मैं जाने वाली इनकी कुछ खिदमत का तजकिरा करें ताकि आवाज अलमास असल हकीकत तक पहुंचने की कोशिश करें और मानते व मकलीफ तासूफ के फैलाए हुए जाल का शिकार होने से बच्चे।
तासवूफ की है
तसवूफ ऐसा ईलम है जिसके जरिए नफूस का तजकिरा इकलाक का ताफिया और जाहिर  वाह बा तन की तमीर के अहवाल पहचाने जाते हैं जिसकी गरज एंडी सहादत की तहसील है।
गौर फरमाए इसमें कौन सी चीज गलत है नफस का टच किया गलत है या एक लाख का  तस्फिया बुरा है जाहिर वा बा तन

की तमिल लघवी है ? या सहादत अवर यह की तहसील बे कार है? एस इस तरह तक वेन इकलाक़ तहजीब नफास नजर ना फस को अहमाल सर या का को घर बनाया और सर दियत को ना फस के हक मैं वाह ज दान बनाया लेना इन अमर मैं कौन सी शाए मक्का सड़ सरे के खिलाफ है जाहिर है की कोई डी नहीं बल्कि इन मैं हर एक किताब व सुन्नत के आयन मुताबिक और अल्लाह वाह रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नशा वाह मर्जी को पूरा करने वाली है।
गरज जिस तसूफ असबात के के हम काहिल हैं वह वही है जिसको इस तला शुरू मैं एहसान कहते हैं या जिस को इलम अल्लाह कहा जाता है या अमीरुल साहिब वाह ऑल बातें के नाम से याद किया जाता है और एक बा नजम वाह बा असूल चीज है इस मैं मुरीद यान के लिए बी शरारत हैं और शेख शेख के लिए भी असूल वाह आदाब है जिनकी
[11/3, 4:15 PM] Mata Sita Rani: इन शरारियत वाह आदाब खा ले हाल ना किया जाए बल्कि गैर तासूफ की तासूफ करार दीया जाए तो फिर वह तरीक नहीं रहा जो हमारे मौजू बाहस है इस लिए के इनकी खराब यू और इन पर अमल करने की वजह से सालक में जो खराब या पैदा हो इस को जिनमें दर किस तरह भी हकीकी तसूफ और असल तरीक को करार नहीं दीया जा सकता।
अब अगर जदीद मुफ्करीम  को तासूफ से महेश इस बिना पर चढ़ा वर इनकार है इन के नजदीक इस का नाम मेहदस वाह दुनिया है तो इसमें तासूफ ही ही मनफ्रेड नहीं कितनी ही चीजें इस वक्त मौजूद हैं और इन हजरत का इन से ताल्लुक भी है हालांकि वह इफ्तादा इस्लाम मैं इन नामों से नेहरू ना थी अगर आप को तासूफ को मेहदास मालूम होता है और यह आप को पसंद नहीं तो बे शक आप को एहसान से ताबीर कर लीजिए इलम और इकिलाक इसका नाम लीजिए और जो शक्स इस सिफत से मत सब हो इस को मोहसीन मोत्तकी और मुखलिस के लीजिए एहसान व मोहसीन और मोत्तकी हुआ मुखलिस के जिगर से कुरान भरा हुआ है और हदीस मुबारक की मैं बी इस का जिगर आया है।
तासूफ का मकाज और इस की एहसास वा बुन्याद
तसवू का मकद किताब वा सुनेट।
कुरान पार्क मैं अल्लाह ताला ने हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के मन आसिफ मैं एक मनसेब तजकिया जिगर फरमाया है। इरशाद है:
रबाना वा वाबस फेहम रसुल्ला मिन्हम यातलो अलैहुम आयातक वा यालामहुम मुल्कितब वल हिक्मत वा बजकीहुम०
(129:2)
ए ए हमारे पर्व वर दीवार इस जमात के अंदर इन्हें मैं एक पैगंबर बी मकर कीजिए जो इन लोगों को आयात पढ़ कर सनाया करें और इन को किताब की और
[11/3, 4:40 PM] Mata Sita Rani: हिकमत वाह दान आई की तालीम दीया करें और इन को पार्क करें इस आयत करीमा में राजकीय का का जिगर है टच किया पार्क करने को कहते हैं हैं और यह जाहिर व बादल बटन दोनों की पाकी को मशाल है।
एक मुकाम पर अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं हद असला टर्की ०
यकीनन वह शाक्स कामयाब होगा जिसने पाकी हासिल की।
इस मैं जाहिद जाहिर वा बटन दोनों की पाकी मुराद है इसी तजकिय जाहिर वाह बातन को सोफिया किराम तासुफ कहते हैं।
हदीस शरीफ मैं आता है कि हजरत जब जबररहील आमीन ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सहाबा किराम की तालीम की गरज से बहुत से सवालात किए जिनमें एक अहम सवाल यह था की अकबर नी अन हेलो एहसान काला ताबाद अल्लाह कनिक तरह फैन लाम ताकिन तरह फैनाहा तारक _
(1)
मुझे एहसान के बारे में बताएं की एहसान किसे कहते हैं आप आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया एहसान यह है की तुम अल्लाह ताला का की इस ख्याल वाह ध्यान से इबादत करो गोया तुम अल्लाह को देख रहे हो और अगर तुम इसे नहीं देख रहे तो वह तुम्हें देख रहा है।
इसी इसी कैफियत एहसानी पैदा करने को सोफिया की राम तासूफ से से ताबीर करते हैं।
तासूफ की की जरूरत वाह अहमियत
आयात करीमा और हदीस शरीफ से मालूम हो रहा है के जाहिर वाह बा तन का ताज़किया करना और कैफियत एहसानी का पैदा करना शरीयत मैं मतलूब वाह मकसूद है सवाल यह है कि ताज किया ना फर्स्ट जिस का कलाम अल्लाह में जिगर है और कैफियत एहसानी जिस का हदीस शरीर मेंजीकर है । इन का असूल क्यों कर होगा? एस का जवाब सीधा साधा है की हजूर अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम के जमाने मैं तो आप के फेस मोहब्बत से एक लम्हा में कलब का तजकीरा हो कर कैफियत एहसानी हासिल हो जाति थी और वसूल इला अल्लाह हो जाता था लेकिन बाद मैं जमाना ए रिसालत से जिस कदर बाद होता गया इसी सदर किया कलअब और कैफियत एहसानी का असूल मतलूब सर है जैसा कि जिगर किया गया इस लिए मसला हीन मत सोफिया किराम ने इन असूल और बकाए के लिए जब दो शहद और कोशिश फरमाए और इसी अधिकार वाह अश्गल और मरा कबात वाह मजा हदाद तजवीज फरमाए जो तजकिरा कल अब कलम और कैफियत एहसानी के असूल में मोहम्मद मार्वल वन सके यह अजगर व आशिका और मरा कबात व मजा हदाद खुद मकसूद नहीं है बल्कि असूल मकसूद का जरिया और वास्ता हैं पर क्योंकि यह अधिकार वाह असगर और मरा कबार बघेरा शेख से सीखें बघेल और इन की सहमत में रहने बगैर सही तरह किए नहीं जा सकते इसलिए शेख की मय्यत वार स्वरा दत्त और इन की मोहब्बत जरूरी हुई जिसके लिए पीढ़ी मरी दी और खान का ही निजाम अपना ना पढ़ा और क्यों की तालीम वाह तबीयत के लिए हमेशा एक ही शेख काफी नहीं हो सकता लिए इस की नेहा हट व खिलाफत का सिलसिला चला फिर क्योंकि इस फन के आए मां और माता दी अपने अपने जमाने में मत अदर और मुख्तलिफ हुए जो अपने अपने अजदाद के मुताबिक टच किया कल अब और कैफियत एहसानी के असूल के तारक बतलाते रहे इसलिए अंतरेस की इनकी तरक निस्बत की वजह से इनके सिलसिले मुख्तलिफ और मत अदर हो गए और चिश्तिया कादर यह शहरों या नक्शा बंद या वगैरह नाम से मौसम हुए फिर जिस तरह हर एलम व फल की अपनी अपनी इस तला हाथ है जिन में से हर एक न जाहिर किताब वाह सुन्नत में मौजूद हैं कोई अमर भी ऐसा नहीं जो किताब व सुन्नत के खिलाफ तहसील के लिए मुलाहिजा फरमाए[11/4, 4:10 PM] Mata Sita Rani: अलशर्रफ बीमारता अहदीस आलनासूफ और अल्कास एन आलनासुफ मसनफा हजरत मौलाना अशरफ अली थानवी रहमतुल्ला अलेह।
खुलासे कलाम यह है की असल मकसूद तज्किय वाह एहसान है जिससे तासूफ का नाम दिया गया है और क्योंकि तज्किरा एहसान शरीयत में मालूब वा वा मकसूद है इस लिहाज तासूफभी मतलूब वा मकसूद हो और शरी नखत नुक्ता से इसकी जरूरत वा इमेज अहमियत हुई। 
सोफिया किराम के मकसद:
खंकाए निजाम से सोफिया किराम के मकसद इस के शिवा और कुछ नहीं की इंसान अपने कलम का ऐसा तकिया कर ले कि इस के दिल में अल्लाह अल्लाह की मोहब्बत के अलावा छे ना और वलनाज़ीना अमानो असद हाईयुल्लह (125:6) एल ईमान को अल्लाह ताला के साथ सब से बढ़ कर मोहब्बत है। का सच्चा मुस्तग बाल जाए इस का ओढ़ना बिछोना अल्लाह की मोहब्बत का उठना बैठना चलना फिरना मरना जीना सब अल्लाह की मोहब्बत में हो वह जिससे तो अल्लाह के मारे तो अल्लाह के लिए फल आन चलाता हुआ नस की व मायावी व मीना ती अल्लाह राबुल आलमीन(126:6) मनीष काटकर फरमा दिजाये के बेशक मेरे नमाज मेरी जिगर तमाम अब आदत मेरा जीना मेरा मरना खाल चिल्ला प्रभुलाल मिनी है सोफिया ग्राम चाहते हैं कि इंसान का हर काम अल्लाह की रजा के लिए हो वह खुदा आगा खुदा शहनाज हो इससे अल्लाह सवार कबार काला राजी हो जाए अल्लाह के जेब हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो राजी हो जाए और और अल्लाह की मखलूक नारी हो जाए और रिक्की दुनिया जनक नजरें बन जाए बता लाइन इन मकसद मैं से कौन सा मस्त है जो किताब वसंत के खिलाफ और शरीयत से हटा हुआ है और कौन सी ही है जो बांका नियत से मत और और शायद सेना खुद है
[11/7, 3:00 PM] Mata Sita Rani: तासूफ की हकीकत और सोफिया किराम के मकसद हंसना से मालूम हुआ की हकीकी तासूफ तज्किया क्लब और कैफियत एहसान की पैदा करने का नाम है जो मजहब की रो इकलाक् की की जान और ईमान का कमाल है इस की एहसास शरीयत है इस का सर चश्मा किताब व सुन्नत है तसूफ मसनद कुतब मसलन हया अलालून कातिल कल्लू रिसाला कसीरिया कसप बालमेहमूब अवरूफ फल महारूफ तजकिरा अवलिया फोवाहिड फोड़ खरुलमुजालिस वगेरा के साफ के साफ उलट जाएं सिर्फ जबान से ही नहीं नहीं बल्कि अमलन सूफी आए किरण की किताबों से ऑफ आजत शरीयत और अब तक आ सनत की तकीन के के चंद हवाले जात नजर कराइए जाते हैं।
सोफिया ए किराम का ऑफ आजत शरीयत और अब्तिघा सुन्नत की कल की करना। तीसरी सदी हिजरी के बुजुर्ग सैयद ताफिय हजरत चुनाव बगदादी रहमतुल्ला काला इरशाद फरमाते हैं आयन कैसे या वध के किताब खुदाई बर्दाश्त राशि गिरफ्तार गरबा भाषण सुन्नत मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बाय दस्त छप डोर रोशना में रोज दादर महक शरीयत अफ्तान्ना दर जुल्मत बाद अत 
यह रा सिर्फ वही पा सकता है जिस के सीधे हाथ मैं किताब ल हो और बाय हाथ में सुन्नत मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हो और इन दोनों चिरागों की रोशनी में रास्ता करें ताकि ना तो शायद के घड़ों में गिरे और ना बिद्दय के अंधेरे में सबसे हजरत ए अली रोजबरी हजरत जुनैद रहमतुल्ला ले से नकल करते हैं कि आप ने फरमाया
[11/7, 3:17 PM] Mata Sita Rani: मजबना हाज़ा मकीद बा सोल तुल वा सुनता वा काला लल जुनैदुल इलमना हजा मसीद बा हदीस रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हदीस से मजबूत होता है हजरत जुनैद रहमतुल्ला ले यहां तक फरमाते हैं कि
मन लम या हाफिजुल कुरान वा लम यकताबुल हदीस ला यकतादी भी फि हजा ला मार लान इलामना हाजा माकीद बिल्किताब वा सिनत
क्योंकि हमारा फिल्म किताब वाह सुन्नत का पाबंद है लिए जिस शख्स ने ना कुरान याद किया हो ना हदीस लिखी हो यकस मैं इसकी पैरवी नहीं की जाएगी मुलाहिजा फरमाए हजरत जुनैद बगदादी रहमतुल्ला किशोर दार तरीके से फरमा रहे हैं कि हमारा मजहब किताबोसुन्नत का सावंत है और श्लोक तरीकत की राह वही शख्स सत्ता है के दाएं हाथ में किताब अल्लाह और बाएं हाथ में सुन्नत रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो वसल्लम हो गई शख्स मकतबा बनने के काबिल और जिससे किताब व सुन्नत से खत हासिल ना हो हो मुक्त दी बनने के काबिल नहीं है हजरत बशर बिल हारिस सुन हाफिज रहमतुल्ला ले जिनके फेस मोहब्बत से हजरत इमाम अहमद जमील रहमतुल्ला मस्त फेस हुए और जिनकी तारीफ मैं अकाबर अल्मा हलवा तेलुगू लिसन हुए फरमाते हैं
जैयातुल नबी saw फि फूल मिनाम फकला ली या बशीर तालरी लम रफत तुला बाएं अफरानक क्लब ला या रसूल्लाला काला ला नैया हक सनाती वा हरमताकुल सलाहीनवा नसीहत लबखावानक
[11/7, 3:28 PM] Mata Sita Rani: मजतक ला सहाबी वा असल बैटी हुवा वाल लाजी बलहक मानजिल अलबरार
 मैं एक मर्तबा ख्वाब में नवी saw की की जारत से मशरख हुआ आपने इरशाद फरमाया कि बशर तुम जानते हो कि तुम्हें अल्लाह ताला ने सब कुरान पर फोकी अत फजीलत की वजह से दी है मैंने अर्ज किया की क्या रसूल सल्ला वसल्लम मुझे मालूम नहीं फरमाया असलियत की वजह यह है कि तुम मेरी सुन्नत का ईदगाह करते हो और लोगों की इज्जत करते हो और भाइयों की खैर खवाई करते हो और मेरे सहाबा और मय्यत से मोहब्बत रखते हो हजरत इमाम मुल्क रहमतुल्ला अली के शागिर्द आरिफ बिल्ला हजरत जुनून मसूरी रहमतुल्ला अली निषाद फरमाते हैं अल्लाह ताला के मोहब और इश्क होने की अलामत यह है की अपने इस्लाम वाह रहमान और तमाम अमूर व सनम में जेब खुदा हजरत मोहम्मद सल्ला वसल्लम की पैरवी करें चौथी सदी हिजरी के एक शेख का हजरत अबू बकर संतानी रहमतुल्ला ले मैं बाद 5034 इरशाद फरमाते हैं
[11/7, 3:34 PM] Mata Sita Rani: रास्ता खुला हुआ है और किताब व सुन्नत हमारे सामने मौजूद हैं और सहाबा किराम की फजीलत भी मालूम है के उन्होंने सप्त की और हजूर सल्लल्लाहो वाले वसल्लम की मोहब्बत में रहे लिहाजा हम मैं जो शख्स किताब सुन्नत का साथ दे और अपने नफरत और मखलूक से दूर रहे और दिल से अल्लाह की तरफ हिजरत करें वही सच्चा और शरारा पर है बंदे की नेट बक्शी की अलामत यह है कि इस पर खुदा और रसूल की किताब आसान हो जाए और पाल सुन्नत के मुताबिक हो जाए और इसको ने लोगों से मोहब्बत हो जय और अपने बाप वाह अलवान के साथ एस एस को हुसैन पिछला की तौफीक और खलक कुल्ला के लिए इसका ने सलूक आम हो मुसलमानों कि गम ख्वारी इसका शिवा हो और अपनी औकात की निगाह दास करें

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