Still We Rise:The Passion and Compassion of Mohini Giri
श्रीमती मोहिनी गिरि के जीवन एवम कार्यों पर बनी फिल्म "Still We Rise:The Passion and Compassion of Mohini Giri" के विमोचन पर शामिल होने का अवसर मिला । बहुत ही भावनात्मक एवम हृदय स्पर्शी प्रस्तुति है । जिसके लिए फिल्म लेखक निर्माता और निदेशक सुश्री मीरा दीवान तथा उनकी पूरी टीम को हार्दिक बधाई।
मैं Dr Mohini Giri से तब से जुड़ा हूं जब वे अपने श्वसुर डाo वीo वीo गिरि के राष्ट्रपति रहते उनकी प्रोटोकॉल अधिकारी थी । उसी दौरान भारत पकिस्तान युद्ध के समय शहीद सैनिकों की विधवाओं तथा बच्चों के लिए किया गया काम अनुकरणीय है । उन्होने लड़ाई की विभीषिका को समझा इसीलिए वे युद्ध विरोधी प्रखर शांति सैनिक बनी और दोनों देशों के बीच अमन दोस्ती की पहल करने वाली अग्रिम पंक्ति की नेत्री। राष्ट्रीय महिला आयोग के उनके अध्यक्ष बनते ही हमने माता सीता रानी सेवा संस्था,पानीपत के अंतर्गत हरियाणा के पानीपत और कुरुक्षेत्र में दो महिला पारिवारिक लोक अदालतें आयोजित की । उन्होने वृंदावन में विधवाओं के संरक्षण एवम सम्मान के लिए मां धाम की स्थापना की । इसके उदघाटन के अवसर पर भी मैं उपस्थित रहा । Women's Initiative for Peace in South Asia द्वारा श्रीनगर, कश्मीर यात्रा में भी उन्होंने, निर्मला देशपांडे जी और Syeda Hameed आपा ने मुझे भी शामिल किया और संभवत: प्रेरणा थी कि उन्होने वहां विधवाओं तथा अनाथ बच्चों के दुखदर्द को पहचाना और एक मां घर की स्थापना की । निर्धन परिवारों की लगभग 50,000 लडकियों की उनकी धार्मिक आस्था के अनुसार शादियां एक रिकॉर्ड है। अनेक असक्त बालिकाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाने वाली मोहिनी गिरि स्वयं मां जगदम्बा का रूप है । उनके सभी काम अलौकिक और प्रेरणास्पद है । उनके ऐसे ही अनेक कामों को इस फिल्म में दर्शाया है ।
वे कितनी दूरदर्शी है इसका अंदाजा इस बात से भी है कि उन्होंने पद प्रतिष्ठा की हर प्रकार की लिप्सा को त्याग कर अपनी सभी संस्थाओं में अपने उतराधिकारियों को काम सौंपा है । एक लंबे समय से उनकी कर्मठ सहयोगी श्रीमती मीरा खन्ना को उन्होंने अपनी संस्था Guild of Service का अध्यक्ष बनाया है ।
बेशक शरीर भाव से मैं पुरुष हूं परंतु उन्होंने मुझे भी Women's Initiative for Peace in South Asia का ट्रस्टी बनाया है ।
डाo सईदा हमीद और प्रसिद्ध सूफी गायिका रेने सिंह ने हाली पानीपती की इस नज़्म को उनके लिए गाना बिलकुल वाजिब है , जिसके बोल हैं:
ऐ माओं, बहनों, बेटियो, दुनिया की ज़ीनत तुमसे है
मुल्कों की बस्ती हो तुम्ही, क़ौमों की इज्ज़त तुमसे है
तुम हो तो गुरबत है वतन, तुम बिन है वीराना चमन
हो देस या परदेस जीने की हलावत तुम से है
मोनिस हो ख़ाविन्दों की तुम, ग़म ख्वार फऱजन्दों की तुम
तुम बिन है घर वीरान सब, घर भर की बरकत तुम से है
तुम आस हो बीमार की, ढारस हो तुम बेकार की
दौलत हो तुम नादार की, उसरत में इशरत तुम से है।
Ram Mohan Rai .
Delhi/11.02.2023.
(Nityanootan Broadcast Service)
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