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Showing posts from May, 2023

Hali Panipati -Buzurgaan e Panipat

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हाली पानीपती  नवजागरण के अग्रदूत मौलाना अल्ताफ हुसैन 'हाली' हरियाणा के ऐतिहासिक शहर पानीपत के रहने वाले थे। 'हाली' उर्दू के शायर व प्रथम आलोचक के तौर पर प्रख्यात है। हाली का जन्म 11 नवम्बर 1837 ई. में हुआ । इनके पिता का नाम ईजद बख्श व माता का नाम इमता-उल- रसूल था। जन्म के कुछ समय के बाद ही इनकी माता का देहान्त हो गया। हाली जब नौ वर्ष के थे तो इनके पिता का देहान्त हो गया। 1856 में हाली ने हिसार जिलाधीश के कार्यालय में नौकरी कर ली। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अन्य जगहों की तरह हिसार में भी अंग्रेजी शासन व्यवस्था समाप्त हो गई थी, इस कारण उन्हें घर आना पड़ा। दिल्ली निवास (1954-1956) के दौरान हाली के जीवन में जो महत्त्वपूर्ण घटना घटी वह थी उस समय के प्रसिद्ध शायर मिर्जा गालिब से मुलाकात व उनका साथ। हाली ने जब गालिब को अपने शेर दिखाए तो उन्होंने हाली की प्रतिभा को पहचाना व प्रोत्साहित करते हुए कहा कि 'यद्यपि मैं किसी को शायरी करने की अनुमति नहीं देता, किन्तु तुम्हारे बारे में मेरा विचार है कि यदि तुम शेर नहीं कहोगे तो अपने हृदय पर भारी अत्याचार करोगे&

Suhana Safar-3

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सुहाना सफर -3.    एमस्टर्डम,  नीदरलैंड्स में आए आज तीन दिन हो गए और हम थे  कि पहले दिन से ही बिना कोई आराम किए घूमने फिरने में लग गए । इसका एक कारण यह भी रहा की वीक एंड था और सोमवार की प्रभु यीशु मसीह के विशेष दिन की वजह से छुट्टी थी और हमारा सुपुत्र उत्कर्ष इन दिनों का सदुपयोग करना चाहता था । हम भी इस बात के इच्छुक थे कि इन तीन दिनों में इतनी जगह चाहे सरसरी नज़र से ही देख ले ताकि अगले पांच दिनों में यहीं फुरसत से आए और पूरा दिन यहीं व्यतीत कर इन जगहों के बारे में जानकारी हासिल करें । इस  ढंग को मेरी उस्ताद निर्मला देशपांडे दीदी जुगाली कहती थी कि एक बार सरसरी निगाह से किसी भी वस्तु के बारे में पढ़े और देखें और फिर इतमीनान से उस पर चिंतन करें । बेशक जुगाली दूध देने वाले पशु करते हैं परंतु उनसे यह खूबसूरत चीज सीखने की है ।  " *ग्राम स्वराज* " आज हम एमस्टर्डम के नजदीक कस्बे जाडम (Zaandam) के एक गांव जांसे स्कांस (Zaanse Schans ) आए है ।    हमारे गांवो की तरह यहां भी खेती है, पशुधन है और अल्हड़पन भी । परंतु यहां की स्वच्छता और शुद्धता का कोई सानी नहीं है ।     इस गांव

सुहाना सफर -2 Giethroon -Dutch Venice (Venice of Netherlands)

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सुहाना सफर -2      *ईएथरून Giethroon -  डच वेनिस* ।     एमेस्ट्रडॉम से लगभग 150 किलोमीटर दूर सड़क मार्ग पर एक बहुत ही खूबसूरत गांव ईएथरून में जाने का मौका मिला । प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर यह जगह पर्यावरण की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है । यहां लोग रहते है परंतु बिना किसी कार ,गाड़ी तथा अन्य किसी भी तरह के प्रदूषण मुक्त यंत्र के बिना । गांव एक तंग नहर के दोनों ओर बसा है और इस नहर में चलती है अनेक किश्तियां जिस पर  सैंकड़ों पर्यटक दुनियां भर से आकर आनंद का अनुभव करते है ।    नहर के दोनों और खास तौर से घास से बनी मजबूत छत के बने बहुत ही सुंदर मकान है जहां संग्रहालय , शॉपिंग सेंटर, कला केंद्र एवम रेस्त्रां बने है । पूरे दिन नावों की एक लंबी श्रृंखला चलती रहती है मानों की कोई शोभा यात्रा निकाल रही है । इन नौकाओं को चलाने वाले हमारे जैसे नौसिखिए भी होते है जो कभी बोट से बोट टकराते है और कभी किनारों पर घर्षण पैदा करते है । इस विहार का भी पैकेज है । हमने तो एक घंटे का पैकेज लिया जिसमें लगभग 10 किलोमीटर तक यात्रा का आनंद लिया ।  आधा रास्ता नहरों में नावें चलती है और आधे में एक विशाल

सुहाना सफर -1

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सुहाना सफर-1       रात के 10:00 बज चुके हैं परंतु चांद भी निकला हुआ है और अंधेरा भी शुरू नहीं हुआ है। एमस्टरडम में रात के 10:00 बजे से ही सुहाने दिन की शुरुआत होती है। इस दौरान हमने पाया लोग उन्मुक्त होकर विचरण कर रहे हैं। शहर की खूबसूरती का आनंद यह है कि हर जगह पेड़, पौधों ,नहरों जलाशय दृष्टि गोचर है।     हमसे हमारे मेज़बन बेटे उत्कर्ष ने कहा वैसे तो आप अपनी मर्जी से कहीं भी आ जा सकते हो और ऐसा भी संभव नहीं है कि वह ही  हमें सभी जगह लेकर चले परंतु आज एक ऐसी जगह अवश्य ले जाना चाहेगा जहां न तो कोई लाएगा और ना ही आप खुद आ सकेंगे। हम आश्चर्यचकित थे वहां जाकर, जिस जगह को हमारे भारत में रेड लाइट एरिया कहा जाता है और बहुत ही घृणित ढंग से उसकी व्याख्या की जाती है। इस देश की विशेषता यह भी है उन्मुक्त वातावरण है और वेश्यावृत्ति को इस देश में 18वीं शताब्दी में कानूनी रूप से मान्यता दे दी थी । एक घुमावदार बड़ी गली में लगभग 200 घर बने होंगे जहां प्रवेश द्वार पर ही शीशे के बने शो केस में विभिन्न मुद्राओं में अपने ग्राहकों को आकर्षित करती नव यौवनाएं खड़ी थी ।

Buzurgaan-e -Panipat Lala Deshbandhu Gupta

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*लाला देशबंधु गुप्ता*        पानीपत शहर के बडी पहाड मोहल्ले के एक छोटे से घर में पिता प्रसिद्ध वैदिक विद्वान लाला शादी राम एवम माता श्रीमती राजरानी के यहां दिनांक 14 जून, 1921 को जन्मे स्वतंत्रता सेनानी, भारतीय संविधान सभा के सदस्य ,पत्रकार और कांग्रेस के नेता लाला देशबंधु गुप्ता एक ऐसी महान विभूति हैं जिन्होंने इस छोटे से शहर पानीपत में जन्म लेकर पूरे देश भर में अपना, अपने परिवार ,समाज व नगर का नाम प्रसिद्ध किया।      लाला देशबंधु गुप्ता के बचपन का नाम रतिराम गुप्ता था । बचपन में ही वे बहुत ही कुशाग्र मेधा के व्यक्तित्व थे । उनकी प्रारंभिक शिक्षा एक मदरसे में हुई तत्पश्चात उन्होंने उच्च शिक्षा सैंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली में प्राप्त की । उसी समय में वे महर्षि दयानंद और उनके मिशन आर्य समाज से प्रभावित हुए और उनके सदस्य बन गए । वे गली मोहल्ले में 'महर्षि दयानंद की जय, और 'आर्य समाज अमर रहे' के नारे लगाते हुए विद्यार्थियों और युवाओं को संगठित करते थे। मात्र 17 वर्ष की अवस्था में ही उनका विवाह श्रीमती सोना देवी से हुआ जिससे उनके चार पुत्र सर्व श्री विश्वबंधु, प्रेम