Buzurgaan-e -Panipat Lala Deshbandhu Gupta

*लाला देशबंधु गुप्ता*
       पानीपत शहर के बडी पहाड मोहल्ले के एक छोटे से घर में पिता प्रसिद्ध वैदिक विद्वान लाला शादी राम एवम माता श्रीमती राजरानी के यहां दिनांक 14 जून, 1921 को जन्मे स्वतंत्रता सेनानी, भारतीय संविधान सभा के सदस्य ,पत्रकार और कांग्रेस के नेता लाला देशबंधु गुप्ता एक ऐसी महान विभूति हैं जिन्होंने इस छोटे से शहर पानीपत में जन्म लेकर पूरे देश भर में अपना, अपने परिवार ,समाज व नगर का नाम प्रसिद्ध किया।
     लाला देशबंधु गुप्ता के बचपन का नाम रतिराम गुप्ता था । बचपन में ही वे बहुत ही कुशाग्र मेधा के व्यक्तित्व थे । उनकी प्रारंभिक शिक्षा एक मदरसे में हुई तत्पश्चात उन्होंने उच्च शिक्षा सैंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली में प्राप्त की । उसी समय में वे महर्षि दयानंद और उनके मिशन आर्य समाज से प्रभावित हुए और उनके सदस्य बन गए । वे गली मोहल्ले में 'महर्षि दयानंद की जय, और 'आर्य समाज अमर रहे' के नारे लगाते हुए विद्यार्थियों और युवाओं को संगठित करते थे। मात्र 17 वर्ष की अवस्था में ही उनका विवाह श्रीमती सोना देवी से हुआ जिससे उनके चार पुत्र सर्व श्री विश्वबंधु, प्रेमबंधु, रमेश तथा सतीश तथा पांच पुत्रियां सर्व श्रीमती विमला, निर्मला, उर्मिला, सरला और मंजुला उत्पन्न हुए ।  
    13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग अमृतसर में अंग्रेजी हुकूमत की कार्यवाही से घृणित नरसंहार हुआ। जनरल डायर के इस कृत्य ने पूरे देशवासियों को झकझोर दिया। पूरे देश में इसके प्रतिरोध में संपूर्ण जनता खड़ी हो गई। ऐसे में लाला 
देशबंधु गुप्ता कब पीछे रहने वाले थे। उन्होंने अपने शहर में लोगों को एकत्रित किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में जुलूस और मोर्चे संगठित किए। अब तो उनकी ख्याति पंजाब भर में कांग्रेस के एक अग्रणी नेता के रूप में होने लगी। इसी दौरान वे लाला लाजपत राय और महात्मा गांधी के निकटस्थ सहयोगी बन गए। एक समय ऐसा आया कि उन्होंने दिल्ली में आयोजित कांग्रेस की एक जनसभा में इतना ओजस्वी भाषण दिया कि ब्रिटिश सरकार हिल गई और उसने उनकी अभिव्यक्ति पर रोक लगा दी । आर्य समाज और कांग्रेस के आंदोलनों में वे नेतृत्वकारी भूमिका में रहे और इसीलिए स्वामी श्रद्धानंद ने उनका नाम बदलकर रतिराम गुप्ता से देशबंधु गुप्ता कर दिया । 
       इसी दौरान वे पंजाब विधानसभा के सदस्य रहे और बाद में दिल्ली विधानसभा के सदस्य भी रहे। संविधान सभा के सदस्य के नाते उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पत्रकारिता को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष बनाने के लिए सदा अपने पक्ष को रखा। पार्लियामेंट में अपने विचारों को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि अखबार कोई उद्योग नहीं है। यह तो एक मिशन है जो समर्पण एवं त्याग पर आधारित है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि भारत के समाचार पत्र अपने दायित्वों को बखूबी निभा रहे हैं। दिल्ली को और लोकतांत्रिक शक्तियां दिलवाने के लिए भी उन्होंने अद्भुत प्रयास किए।  
      स्वतंत्रता सेनानी होने के अतिरिक्त वे एक पत्रकार भी थे। आर्य समाज और कांग्रेस के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए उन्होंने स्वामी श्रद्धानंद के साथ तेज समाचार पत्र का प्रकाशन किया। इसके बाद इस समूह में वरिष्ठ पत्रकार श्री रामनाथ गोयनका भी जुड़ गए और उन्होंने मिलकर चेन्नई से The Indian News Chronicle समाचार पत्र शुरू किया।
      श्री देशबंधु गुप्ता की मृत्यु के बाद श्री गोयनका ने इस समाचार पत्र का नाम बदलकर The Indian Express रखा।
         21 नवंबर 1951 को दिल्ली से कलकत्ता जाते हुए एक विमान दुर्घटना में इस क्रांतिवीर की मृत्यु हो गई। दिल्ली ने इस विभूति के नाम को सदा सम्मानित किया है । दिल्ली में देशबंधु कॉलेज एवं देशबंधु गुप्ता मार्ग इसका प्रमाण है। सन 2010 में भारत सरकार ने उनकी स्मृति में एक डाक टिकट भी जारी किया है।
पानीपत के अनमोल रत्न बुजुरगान ए पानीपत पुस्तक से साभार। लेखक : राम मोहन राय 

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