सुहाना सफर -1
सुहाना सफर-1
रात के 10:00 बज चुके हैं परंतु चांद भी निकला हुआ है और अंधेरा भी शुरू नहीं हुआ है। एमस्टरडम में रात के 10:00 बजे से ही सुहाने दिन की शुरुआत होती है। इस दौरान हमने पाया लोग उन्मुक्त होकर विचरण कर रहे हैं। शहर की खूबसूरती का आनंद यह है कि हर जगह पेड़, पौधों ,नहरों जलाशय दृष्टि गोचर है।
हमसे हमारे मेज़बन बेटे उत्कर्ष ने कहा वैसे तो आप अपनी मर्जी से कहीं भी आ जा सकते हो और ऐसा भी संभव नहीं है कि वह ही हमें सभी जगह लेकर चले परंतु आज एक ऐसी जगह अवश्य ले जाना चाहेगा जहां न तो कोई लाएगा और ना ही आप खुद आ सकेंगे। हम आश्चर्यचकित थे वहां जाकर, जिस जगह को हमारे भारत में रेड लाइट एरिया कहा जाता है और बहुत ही घृणित ढंग से उसकी व्याख्या की जाती है। इस देश की विशेषता यह भी है उन्मुक्त वातावरण है और वेश्यावृत्ति को इस देश में 18वीं शताब्दी में कानूनी रूप से मान्यता दे दी थी । एक घुमावदार बड़ी गली में लगभग 200 घर बने होंगे जहां प्रवेश द्वार पर ही शीशे के बने शो केस में विभिन्न मुद्राओं में अपने ग्राहकों को आकर्षित करती नव यौवनाएं खड़ी थी । उनकी हरकतें अश्लील तो नहीं थीं परंतु नग्नता में कहीं कोई कमी नही थी । इस शहर की विशेषता यह भी है कि यहीं एक म्यूजियम ऑफ प्रॉस्टिट्यूट है जहां इनके इतिहास की जानकारी हासिल की जा सकती है । मैं इस म्यूजियम में भी जाना चाहूंगा तथा इस पर एक पूरा लेख ही लिखूंगा ।
हां एक बात और जब हम हवाई जहाज से उतरे तो मेरी पत्नी के लिए व्हील चेयर बुक थी जो काफी देर में लाई गई । जबकि अन्य लोग जा चुके थे जिससे मुझे कुछ झुंझलाहट हुई और मैंने एयरपोर्ट कर्मचारी को कहा कि वह हमसे क्यों भेदभाव कर रहा है । मेरी इस बात ने संभवत: उसको आहत किया और वह रुआसे स्वर में इसका कारण बताते हुए बोला कि हमारे इस देश में किसी भी प्रकार के भेदभाव नहीं किया जाता। कारण पता होने पर मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ और मैंने अपनी बात का खेद प्रकट किया।
शाम को घूमने जाते हुए जब ट्राम पर चढ़ने लगे तो ड्राइवर ने हमें संबोधित करते हुए हमें नमस्ते बोला और कहा "आप कैसे है"। मुझे अच्छा लगा और फिर मैंने नमस्ते का जवाब देते हुए कहा कि वह हिंदी कैसे जानते है? तो उसका कहना था कि उसका एक घनिष्ठ मित्र मद्रास का है ,उससे वह सीखा है । भारत की विविधता को पहचान हमें हर जगह सम्मान देती है । एक तमिल भारतीय किसी विदेशी को हिंदी सिखाए इससे अच्छी क्या बात हो सकती है । पर क्या ऐसा कभी हिंदी भाषी लोगों के साथ भी होता है कि वे तमिल सीखे और सिखाए । उस हिंदी शिक्षक को सलाम करते हुए मैने भी ड्राइवर की भाषा में "बेदांक्त" अर्थात धन्यवाद कहा जिससे वह बेहद प्रसन्न नजर आए।
प्रथम दृष्टया में यह पूरा नगर इतना खूबसूरत है कि इसको जानने समझने के लिए काफी समय चाहिए पर आगाज़ यह है कि यहां एक खुला समाज है । न केवल सामाजिक रूप से अपितु राजनैतिक तथा धार्मिक तौर पर भी । इसे समझने की जरूरत है ताकि कथनी में ही नही करनी में भी दोगलापन न हो । अब रात के एक बजने को है परंतु सड़को पर पूरी चहल पहल है । युवा अपने ही ढंग से वीक एंड सेलिब्रेट कर रहे है । यह सब बहुत ही अनुशासित ढंग से हो रहा है। चाहने पर भी कोई पुलिस कर्मी नही दिख रहा है और यही है किसी भी लोकतंत्र की मजबूती । घर आते आते रात का डेढ़ बज गया है और मैं देख रहा हूं कि दो महिलाएं बेधड़क अपना पालतू कुत्ता घुमाने निकली है ।
मैं और मेरी पत्नी आज ही सुबह की फ्लाइट से दिल्ली से एम्स्टर्डम पहुंचे है । थकावट से तो चकनाचूर थे परंतु इस नए पन ने हमे ऊर्जा एवम स्फूर्ति से भर दिया ।
राम मोहन राय
27.05.2023
Kya baat hai aapke saath hum bhi ghum liye Netherland bahut sunder lekh likha 🙏🙏💗❤️🌹
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