Azaad,An Autography
श्री गुलाम नबी आज़ाद की आत्मकथा "आजाद" (Azaad) विगत 50 वर्षो में देश में घटित घटनाक्रम को जानने एवम समझने के लिए एक जरूरी किताब है ।तीन सौ पृष्ठों की यह पुस्तक उन मेहनत मश्कत, उतार चढ़ाव तथा अनुभवों का पिटारा है जो लेखक ने अपने 50 साल के जीवन में किया । यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है परंतु अपने जीवन का वह खुला दस्तावेज है जिसे राजनीति के प्रत्येक विद्यार्थी को पढ़ना चाहिए ।
जम्मू कश्मीर प्रांत की भद्रवाह तहसील जो लिटिल कश्मीर के नाम से प्रख्यात है, के सोती गांव में जंगल ठेकेदार का बेटा अपनी मेहनत ,निष्ठा एवम समर्पण से अपने ही बलबूते किन ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकता है, यह प्रेरणा दायक है ।
जीवन जीना एक सीधी रेखा नही है अपितु उतार चढ़ाव से जुड़ी है । सुख- दुख, लाभ हानि ,यश अपयश इसके हिस्से है । आज़ाद भी इससे अलग नही रहे है परंतु इन तमाम हालात में स्थितप्रज्ञ रहना ही किसी भी धीर पुरुष की पहचान है । भूख और बीमारी में भी अपने ध्येय की प्रति निष्ठावान रहना आज़ाद के जीवन की खासियत रही । खुद ,पत्नी और अंत में अपनी पिता की अस्वस्थ रहते देखभाल तथा अपने काम का सामंजस्य बनाना कोई आसान बात नहीं है । देश एवम समाज हित सर्वोपरि है इसे समझना तथा करना भी कोई सामान्य बात नही है ।
राजनीतिक जीवन में ईमानदारी और शुचिता आज दुर्लभ है । उस का निर्वहन करना तलवार की धार पर चलना है । उन्हें देश के चार प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में विभिन्न मंत्रालयों, पांच कांग्रेस अध्यक्षों के साथ महासचिव तथा लगभग सभी प्रांतों के प्रभारी के तौर पर काम करने का अवसर मिला। और यदि कोई अपने पचास साल के लंबे राजनीतिक जीवन में इस का पालन करता हो और फिर डंके की चोट पर उसकी उद्घोषणा करता हो तो वह सचमुच प्रशंसनीय एवम अनुकरणीय है । विशेष पर वर्तमान समय में जब राजनीति करना एक धंधे के इलावा कुछ भी नही है ।
आज़ाद उपनाम गुलाम नबी का खुद का लिया है जो उन्हें अपने बड़े अब्बा से मिला । सुविधा और असुविधा दोनो में शिक्षा की ऊंचाइयों तक पहुंच कर महात्मा गांधी की राह को चुनना राजनीति को हासिल करने का टारगेट नही था परंतु गांधी की सत्य और अहिंसा वह रास्ता थी जो उन्हें ऊंचाइयों पर ले गई ।
पुस्तक बेहद सरल अंग्रेजी भाषा में लिखी है। शैली रोचक एवम धारा प्रवाह है । पढ़ते हुए महसूस होता है कि आजाद साहब की इस जीवन यात्रा में पाठक भी सहभागी है ।
आज़ाद साहब का पूरा जीवन वृतांत महात्मा गांधी के विचारों के इर्द गिर्द है । गांधी जन्म शताब्दी में एक युवा गांधी सेवक के रूप में आना फिर दीदी निर्मला देशपांडे जी और डाo आर्यरतने जी के सानिध्य में उसे आगे बढ़ाना और अब गांधी ग्लोबल फैमिली के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना प्रारंभ एवम समापन पुस्तक के वैभव को बढ़ाता है ।
हिंदू पौराणिक कथाओं में श्री हनुमान जी तथा भगवान कृष्ण दो ऐसी विभूतियां है जो सर्वाधिक पूजनीय है । दोनो नीति निपुण है । हनुमान जी अपने प्रभु राम के प्रति अत्यंत आस्थावान है इसलिए अपनी तमाम क्षमताओं का प्रयोग अपने इष्ट देव के लिए करते है । उनका एक अन्य नाम संकट मोचक भी है जो न केवल अपने प्रभु अपितु भक्तो के लिए भी सदैव तत्पर हैं । वे बलशाली होने के साथ-साथ बुद्धिमान भी है और जानते है कि समुद्र लांघते हुए किस प्रकार लघु रूप धारण कर सुरसा से बचा जा सकता और भीम रूप धारण कर लंका को ध्वस्त किया जा सकता है ।
भगवान श्री कृष्ण योगिराज है परंतु धर्म और नीति में पारंगत है ,अपने पार्थ के लिए कोई भी छोटे से छोटा काम करने में भी संकोच नहीं करते । स्वामी दयानन्द सरस्वती ने उन्हें आप्त पुरुष कहा है अर्थात जिसने जीवन पर्यंत कोई पाप नहीं किया । नीतिवान होना तथा कुटिलता पूर्ण होने में एक बड़ा अंतर है । वे इसी श्रृंखला में महात्मा विदुर ,राजऋषि चाणक्य और महात्मा गांधी है जो एक नेता और सेवक बन कर राष्ट्र का नेतृत्व करते है । संभवत: ये सभी दिव्य आत्माएं आज़ाद साहब की भी पथ प्रदर्शक रही है ।
जब कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को पारदर्शी रखता है तभी परिवार के लिए भी आदर्श बनता है । उनकी पत्नी श्रीमती शमीम बेशक एक उच्चकोटि की गायिका रही है और उन्हें जो भी सम्मान मिला वह अपनी बदौलत मिला फिर भी अपने पति की न केवल जीवन संगिनी अपितु साथी और सहायक के रूप में भी खड़ी रही । वह प्रसंग तो बेहद भावुक रहा जब इस पुस्तक के प्रकाशन पर होने वाले खर्च को उन्होंने अपने प्रियतम आभूषणों को बेच कर भी पूरा करने की पेशकश की ।
पुस्तक किसी भी राजनीतिक पूर्वाग्रह से हट कर है । गुरु नानक देव जी के शब्द "न कोई बैरी न कोई बेगाना ,सकल जगत अपनी बन आई " यहां चरितार्थ होते हैं। मीडिया पर किसी एक विशेष चर्चा का जिक्र तो मात्र कारण वश है जिससे पूरी किताब का आंकलन नहीं किया जा सकता ।
पुस्तक की सरलता और रोचकता का प्रमाण यह है कि मेरे जैसे सामान्य अंग्रेजी जानने वाले व्यक्ति को इस तीन सौ पृष्ठों की पुस्तक पढ़ने में मात्र तीन ही दिन लगे और अंग्रेजी शब्दों के अर्थ समझने के लिए सिर्फ दो- तीन बार ही शब्दकोश का सहारा लेना पड़ा ।
राजनीति में इच्छुक विद्यार्थियों तथा शोध कर्ताओं के लिए यह एक आवश्यक और महत्वपूर्ण जानकारियों से भरपूर पुस्तक है ।
राम मोहन राय
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