My Loving friend
श्री पवन कुमार शर्मा,निवासी जालंधर पंजाब से मेरी दोस्ती पिछले 45 वर्षों से है । वे और मैं दोनों ने जे वी जैन कॉलेज, सहारनपुर में साथ वर्ष 1977 -80 में पढ़ कर लॉ की थी । हम स्टूडेंट्स फेडरेशन के कार्यों में सक्रिय थे जबकि वे हमारे साथ एक अच्छे साथी के रूप में रहते । मैं अपनी बहन अरुणा के घर रह कर कॉलेज आता जबकि पवन कॉलेज हॉस्टल में रहते थे । हम 6-7 दोस्तों जिनमें संजय गर्ग ,अशोक शर्मा, राशिद जमील, राजीव अग्रवाल, अब्बास जैदी ,रंजन सैनी आदि थे , रोज़ाना आपस में कॉलेज के पास ही एक टी स्टॉल,जिसका नाम हम दोस्तों ने जनवादी टी स्टॉल रखा था, वहां मिलते और वैचारिक , सामाजिक एवम आपसी मनोरंजन की घंटो चर्चा करते । पवन शक्ल सूरत से बेहद संजीदा एवम गंभीर था परंतु यह वैसा नहीं था जैसा दिखता था । वह खूब पढ़ाकू होने के साथ साथ खूब मजाकिया भी रहा । अपनी चुलबुली बातों से वह हर किसी को अपना दोस्त बना लेता था ।
उनके हॉस्टल का कमरा ही स्टूडेंट्स फेडरेशन का दफ्तर भी हुआ करता था । साथियों ने एक बार लॉ फैकल्टी का चुनाव लड़ने का निर्णय किया । चुनाव में राशिद जमील को उप प्रधान तथा मुझे सचिव के चुनाव के मैदान में उतारा । पशुबल तथा धनबल के सामने हमारे पास जनबल के नाम पर स्टूडेंट्स फेडरेशन का संगठन ही था और उसका कार्यालय संगठन पवन ही संभालते थे । अनेक चुनौतियों के बावजूद भी हम काफी वोटों से जीते । इसके बाद तो हमारा संगठन कॉलेज का एकमात्र प्रभावी विद्यार्थी संगठन था ।
वर्ष 1979 में लॉ फैकल्टी की ओर से पहली बार एक अधिवेशन आयोजित किया गया और जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी आर कृष्णा अय्यर पधारे और उनके साथ थे वरिष्ठ एडवोकेट तथा हरिद्वार के पूर्व विधायक आर के गर्ग । बेशक यह लॉ कॉलेज का फंक्शन था परंतु हमारे सभी साथियों ने इसे बना दिया था ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का कार्यक्रम । ऐसा तभी संभव हुआ जब पवन जैसे ऊर्जावान साथी साथ थे ।
वर्ष 1980 में वकालत पास करके हम सब अपने अपने शहर में आ गए और व्यवसाय में जुट गए । इस दौरान सबकी शादियां हों गई और सभी बाल बच्चेदार भी हो गए । सब अपनी घर गृहस्थी में इतने मशगूल हो गए कि कुछेक को छोड़ कर आपसी सम्पर्क भी नहीं रहा । परंतु मन में आपसी प्यार तथा मिलने की कसक बनी रही ।
हमारे दोस्तों में संजय गर्ग राजनीति में सक्रिय हो गए । वे विधायक और सरकार में मंत्री बने । अशोक शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की जबकि राशिद ,अब्बास , रंजन ने सहारनपुर में ही प्रैक्टिस शुरू की । मैने भी सामाजिक राजनीतिक काम करते हुए पानीपत में वकालत शुरू की जबकि पवन ने जालंधर में टैक्सेशन में काम शुरू किया ।
वर्ष 2005 में दीदी निर्मला देशपांडे जी ने जालंधर पंजाब में अखिल भारत रचनात्मक समाज का राष्ट्रीय अधिवेशन की जिम्मेदारी हमारे वरिष्ठ साथी रमेश भाई और मुझ पर सौंपी । सम्मेलन जालंधर में आयोजित होना था और इसमें पकिस्तान से भी लगभग एक हजार प्रतिनिधि आने थे । कार्यक्रम तो बड़ा था परंतु संसाधन हमारे पास शून्य थे । परंतु मेरे पास एक आशा की किरण मेरा दोस्त पवन था जिससे संपर्क टूटे 25 वर्ष हो चुके थे । मेरे पास न तो उनका कोई फोन नंबर था और न ही कोई अतापता। शुरुआत में यहां आने पर तो मैं निराश ही हो गया कि कैसे होगा ,परंतु अंत में बार एसोसिएशन ,जालंधर के प्रधान सरदार गुर चरण सिंह तूर ने मेरे दोस्त पवन से मेरी मुलाकात करवा ही दी । और उसके बाद तो पवन का घर ही सम्मेलन कार्यालय था और उनका पूरा परिवार कार्यकर्ता । उनकी पत्नी श्रीमती रजनी शर्मा जो कि स्थानीय डी ए वी स्कूल में अंग्रेज़ी विषय की शिक्षिका थी ने अपनी तीनों बेटियों प्रियंका , अवनी और विभूति जो मेरे तीनों बच्चों की हम उम्र थे, ने मिल कर वॉलंटियर का काम किया । सम्मेलन में हिस्सा लेने आए सभी वी आई पी जिसमें दीदी निर्मला देशपांडे जी, मोहम्मद सलीम और अनेक लोग थे ने पवन के घर आकर उनकी पत्नी के हाथ के स्वादिष्ट भोजन का भी आनंद लिया । और इसके बाद तो संपर्क और सम्बन्ध मजबूत से मजबूत होते गए । अब हम जब भी जालंधर आते तो हमारे यहां आने का मकसद सिर्फ इस परिवार से मिलना ही होता था । वे भी पानीपत हम से मिलने आते और अब यह दोस्ती बच्चों में भी आ चुकी है ।
आज फिर किसी व्यक्तिगत काम की वजह से जालंधर आना हुआ ,बेशक हमारे पास इस काम को करने का एक अन्य स्थान का विकल्प और भी था परंतु उस में इस हरदिल अजीज फैमिली से मिलना नही होता । यहां रहते हुए दो दिन कैसे बीत गए पता ही नही चला । पवन भी अब मेरी तरह सीनियर सिटीजन हो चला है परंतु हम आपस में जब मिले तो 45 साल पुरानी यादों में लौट गए । रजनी भाभी के माता पिता से मिल कर हार्दिक प्रसन्नता हुई और उनके भी आशीर्वाद प्राप्त किए ।
अब मेरे दोस्त श्रीं पवन कुमार शर्मा इस शहर के वरिष्ठ टैक्सेशन एडवोकेट ही नही अपितु एक आध्यात्मिक साधक भी है । अब उनकी साधारण बातें भी धर्म और संस्कृति की व्याख्या करती है ।
मुझे अपने इस मित्र तथा उनकी मित्रता पर गर्व है ।
आभार पवन शर्मा तथा रजनी भाभी ।
( श्री पवन कुमार जी शर्मा को बार- बार पवन लिखने के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं परंतु वे मेरे लिए तो यही है , इसलिए अन्यथा न लें )
राम मोहन राय
कृष्णा कांता ,
जालंधर (पंजाब)
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