Suhana Safar-11
आज हमारे बेटे उत्कर्ष ने एमस्टल नदी पर नौका चलाने जाना था ,इसलिए उसने हमें भी कहा कि हम भी चले । नदियों ,समंदर , तालाबों और पानी के पास जाना मुझे शुरू से ही अच्छा और आनंददायक लगता है अत: उनके कहने को हम दोनों उसके माता पिता ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और हम निकल पड़े यात्रा के लिए । इस बार हमने एमस्टल जाते हुए पहले 🚃 ट्राम ,फिर 🚆 मेट्रो और फिर 🚌 बस का इस्तेमाल किया और हम पहुंच गए एमस्टेल नदी के घाट पर ।
इस नदी के पाट सागर की तरह चौड़े है और इसके दोनों और घाट बने हुए है । हां वैसे ही जैसे हमने हरिद्वार में गंगा नदी के घाट देखे है । बस फ़र्क इतना है कि वहां श्रद्धालु तर्पण करते है और पूजा अर्चना कर स्नान करते है । यहां लोग दोनों और मौज मस्ती कर रहे होते है । यह नदी भी अलकनंदा और मंदाकिनी के मेल से निकली गंगा की तरह ही दो नदियों आर्कनाल(Aarkanaal) और ड्रेच्ट(Drecht) के संगम से बनी है । इसी नदी के किनारे बसने की वजह से इस शहर का नाम एमेस्टरडैम है । ऋषिकेश तथा हरिद्वार की तरह ही यहां भी उसका जल साफ तथा शुद्ध है और इसे पीने के प्रयोग में भी लाया जा सकता है ।
मेरे शहर पानीपत से कुल 18 किलोमीटर पर यमुना नदी प्रवाहित होती है। यह नदी भी गंगा की तरह ही पवित्र मानी जाती है । विगत वर्ष मथुरा के हमारे एक साथी सौरभ चतुर्वेदी ने अपनी टीम के साथ यमुना के उद्गम स्थल से मथुरा तक नदी के किनारे किनारे यात्रा आयोजित की थी और थोड़ी थोड़ी दूर के पड़ावों पर यमुना जल एकत्रित कर उसका परीक्षण करवाया था । नतीजा यह था कि हिमाचल में यमुना की शुद्धता की जो मात्रा है अब वह मथुरा तक कतई नहीं रही है और अब वह गदले कीचड़ के अलावा कुछ नही बचा है। हम नदी उपासक है उन्हें अपनी मां कह कर पुकारते हैं परंतु उसके साथ साथ गंदी नालों, कारखानों से निकले केमिकल तत्वों को भी इसमें डालने से नही हिचकिचाते ,परंतु यहां स्थिति दूसरी है ।
एमस्टेल नदी के पास आना ऐसा लगा मानो गंगा- यमुना नदियों के पास जाना । मैं अनेक मामलों में सौभाग्यशाली हूं कि मैंने देश भर की ही नही अपितु बांग्लादेश और पाकिस्तान की नदियों के भी दर्शन किए है ।
Amstel नदी के किनारे किनारे पर लगभग पांच किलोमीटर पैदल ही चले । इसके साथ साथ चलना बहुत ही आनन्ददायक रहा । कहीं नदी में ही बने मकान थे , कहीं इस पर लंबे और मजबूत पुल और कहीं बहुत बड़े 🏡 गार्डन । गार्डन भी इतने बड़े की इनका एक चक्कर कई किलोमीटर का । ऐसे ही बीच में पड़े एक स्लोटरप्लास गार्डन के एक रेस्तरां में हमने इटालियन शाकाहारी खाना खाया । इसका चीज़ तो बहुत ही मजेदार था और पेय पदार्थ के तो कहने ही क्या और आखिर हम पहुंचे हमारे आखिरी पड़ाव पर जहां नदी एक दूसरी और मुड़ गई और हम अपने घर की तरफ । इसी जगह एक सीमेंटेड अक्षरों में लिखा था *I love Amsterdam
इस यात्रा का कोई भी ऐसा क्षण नही था जिसका तस्वीर लेने का लोभ न हो परंतु उसकी भी एक सीमा होती है । और इन सभी क्षणों को अपने मन के 📸 कैमरा में कैद कर घर वापिस आ गए ।
Ram Mohan Rai.
Amstel River.
Amsterdam, Netherlands
Comments
Post a Comment