Suhana Safar-13, Utrecht, Netherlands
सुहाना सफर -13
देन बॉश से लौटते हुए एक और कस्बे में रुकना हुआ जिसका नाम यूतरेच्त (Utrecht) है । हम यहां कुछ ही घंटो के लिए रुके परंतु यकीन मानिए यदि आप इसे शहर की नजाकत और खूबसूरती को देखना और जानना है तो कम से कम दो तीन दिन तक तो रुकना चाहिए । पर आज चूंकि मेरे बेटे उत्कर्ष की इतवार की वजह से छुट्टी थी तो उन्होंने एक ट्रेलर की तरह हमें यहां मुनासिब समझा और कहा भी कि फिर किसी भी वीकडेज में आप यहां आकर पूरा आनंद ले ।
नेदरलैंड में अपरिचित लोगों के घूमने फिरने में कोई बाधा नहीं है बशर्ते आपको जी पी एस समझने की जानकारी हो और काम चलाऊ अंग्रेजी भी आती हो । वरना हमारे पास इशारे की भाषा तो होती ही है । आप यहां अपनी सहूलियत के लिए ट्रांसलेशन ऐप भी अपने मोबाइल पर लोड कर डच से हिंदी अथवा अंग्रेजी अनुवाद कर सकते है । हमारे पास ये सभी विधा है इसलिए कोई भारी दिक्कत नही है ।
Utrecht पहुंचते ही हम सबसे पहले वहां खूबसूरत और खुशबूदार गलियों से पैदल गुजरते हुए सेंट्रराल (central) के पास ही एक बहुत ही ऊंची मीनार नुमा बिल्डिंग पर पहुंचे । इसके सामने ही एक चर्च है और मीनार और चर्च के बीच अनेक मनमोहक मूर्तियां लगी है । यहीं एक महिला जिसने अपने हाथ में एक मशाल ली हुई है कि प्रतिमा है जो संभवत: महिला जागरण एवम सशक्तिकरण का प्रतीक है । हमें अक्सर देखने में आया है कि यहां औरतें भी किसी से भी कमतर नहीं है । मीनार लगभग 165 मीटर ऊंची है और इसे एक बार में ही न बना कर किश्तों में बनाया है । इसका निर्माण वर्ष
सन 1352 में शुरू हुआ और इसको इस मंज़िल तक बनाते हुए लगभग 580 साल लगे यानी कि यह 1932 में पूरा हुआ । यह मीनार भी सैंट मार्टिन कैथेड्रल (चर्च) का ही हिस्सा है जिसे गोथिक स्टाइल में बनाया है । पूरे उतरेच्त में कहीं भी घूमते हुए आपको समय को बताती हुई चर्च की घंटियों की आकर्षक और मधुर आवाजे सुनाई देंगी । वास्तव में वे सभी इसी 🗼 टावर पर लगी है । जानकारी से पता चला कि यहां कुल 32 टन की 13 घंटियां लगी है और इसके बीच में चौदहवीं घंटी जो खुद 8,200 किलो की है इन सभी की आवाज गुंजाएमान करती है । मीनार के शिखर पर जाने के लिए भी सीढियां बहुत ही प्राचीन वास्तुकला को दर्शाती है । ऐसा मानना है कि यह 2,000 वर्ष पुराने किसी ऊंचे स्थान पर बनाई गई है। यह टावर नीदरलैंड्स का सबसे ऊंची इमारत है।
वास्तव में उतरेच्त शिक्षा का शहर है । इस शहर में ही विश्व की सबसे बड़ी कृषि यूनिवर्सिटी है। इसके इलावा भी अनेक शिक्षण संस्थान है जहां देश विदेश से हजारों विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते है । यहां के पार्कों मे इन छात्रों के झुंड के झुंड आपको बैठे मिलेंगे विशेषकर छुट्टी वाले दिन।
हमें भी यहां यूनिवर्सिटी ऑफ उरेच्त जाने का मौका मिला । इतवार की वजह से छुट्टी थी परंतु इसके प्रशासकीय विभाग की भव्यता इसका बखान कर रही थी । और अब हम चले घर वापिसी के सफ़र पर । टावर की कलात्मक गलियों को पार करके सेंट्राल होते हुए हम रेल्वे स्टेशन की तरफ बढ़ रहे थे । यहां से सवारी भी मिल सकती है परंतु हम अपने थोड़े समय में ही आकर्षक स्थानों का हर संभव दर्शन उठाना चाहते थे । इसी बीच नहरों पर बने पुलों के ऊपर से गुज़रे। वहां लोगों की नौका विहार करते तस्वीरें खींच कर उन्हें भी में अपने साथ ले लिया । रास्ते में ही एक 🍦 आइसक्रीम की दुकान से मजेदार एक वाफेल कॉन खाया और रास्ते में पलों को चित्रों में कैद करते हुए वापिस एमस्टेरडेम वापिस आ गए ।
प्रसिद्ध उर्दू शायर अकबर हैदराबादी ने फरमाया है:- "मुसाफ़िरत का वलवला सियाहतों का मश्ग़ला
जो तुम में कुछ ज़ियादा है सफ़र करो सफ़र करो"।
Ram Mohan Rai,
Utrecht, Netherlands.
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