Suhana Safar-14,Den Haag (Hague)
आज एक ऐसे शहर में जाना हुआ जिसका नाम तो बहुत सुना था पर सोचा नहीं था कि कभी यहां भी आना होगा । जी हां, हम हेग आए हैं । वहीं हेग जहां इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस एंड आर्बिट्रेशन है । जिस कोर्ट में पूरी दुनियां के देशों के बीच विवादों , शरणार्थी और सीमा समस्या के झगड़ों को निपटाया जाता है । हां वही कोर्ट जिसके अनेक बार हमारी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस नागेंद्र सिंह डूंगर पुर अध्यक्ष रहे और एक बार इसके एक बार मेरे मित्र , मेरी बेटी सुलभा के सीनियर तथा पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट, चंडीगढ़ के न्यायाधीश जस्टिस विजेंद्र जैन सदस्य रहे और आजकल हमारे परम आदरणीय श्री सुज्ञान मोदी जी के परिवारिक सदस्य जस्टिस दलबीर भंडारी सदस्य हैं । वही हेग जो नीदरलैंड्स का लगभग आठ लाख की आबादी वाला बड़ा शहर है तथा इस देश की प्रशासकीय राजधानी है । यहीं राजमहल है, पार्लियामेंट भी और सभी सचिवालयों के साथ साथ सभी देशों के राज दूतावास भी ।
पर हम आज यह सब देखने नही आए और न ही किसी वीआईपी से मिलने । ऐसा संभव भी नही था क्योंकि इतवार की वजह से सब कार्यालय और बाजार बंद थे क्योंकि यहां छुट्टी का मतलब होता है पूरी तरह से छुट्टी।
हेग जिसे डच भाषा में देन हाग के नाम से पुकारा जाता है नॉर्थ बीच के किनारे बसा है । इस दिन यहां देश विदेश से हजारों पर्यटक मौज मस्ती के लिए आते हैं। और आज वह ही दिन था ।
स्लोटर्टिजक (Slotertijkt) रेलवे स्टेशन से रॉटरडैम की ट्रेन पकड़ कर हम तीस मिनट में ही देन हाग पहुंच गए और फिर हम मेट्रो से इस 🏖️ बीच पर पहुंचे । पहुंचते ही इसके सौंदर्य को देख कर हमारी बांछे खिल गई । सड़क से ⛱️ बीच तक समुद्री बालू भरे रास्ते पर चलना कठिन था परंतु हम जैसे तैसे वहां पहुंचे । अभी शाम के लगभग पांच बजे थे । सूर्यास्त तो अभी देर शाम दस बजे होना है इसलिए हमारे पास छै घंटे थे ।
इस तट पर जगह जगह औरते ,आदमी और बच्चे बैठे और कई जगह लेते हुए आराम कर रहे थे । आज धूप खिली हुई थी इसलिए लोग ज्यादा ही मचले हुए थे । अलग अलग देशों के पर्यटक ग्रुप बना कर गीत ,संगीत और नृत्य में मशगूल थे । यूरोप की खासियत यह है कि यहां औरतों और आदमियों के रहन सहन और व्यवहार में समान व्यवहार है । स्त्री पुरुष दोनों ही अधिवस्त्र में सागर तट पर धूप स्नान कर रहे थे। अगर हमारे यहां लोग ऐसी स्थिति देखे तो पता नही इन्हें कितने बेशर्मी के तग्मों से नवाजें। महिला की पहचान यहां वक्ष स्थल और यौनी से न होकर उसके कार्यों से है । मैने ऐसे हालात में स्थानीय जानकर लोगों से क्राइम अगेंस्ट वूमन के बारे में भी जानना चाहा जिसका जवाब था इक्का दुक्का और वह भी किसी मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति के द्वारा । यहां लड़की कोई वस्तु न होकर एक मनुष्य है।
मेरे इस प्रश्न का भी यहां उत्तर था कि लड़कियों के कम कपड़े पहनने से पुरुषो की यौन उत्तेजना बढ़ती है जो अपराध को जन्म देती है । यह एक मूर्खतापूर्ण सोच ही है तो क्या बुर्के, पर्दे अथवा घूंघट में रहने वाली महिलाएं यौन अपराध की शिकार नही है अथवा छोटी बच्चियों और बूढ़ी औरतें इसकी शिकार नही है । बिल्कुल है चूंकि ये अपराध मनुष्य की मानसिक स्थिति से संबंधित है । कानून इन्हें दूर नहीं कर सकते क्योंकि जब जब सख्त कानून बने तब तब महिलाओं के विरुद्ध अपराध भी बढ़े ही हैं। हम पश्चात्यता के नाम पर सिर्फ महिलाओं की आज़ादी का विरोध न कर उनके खुलेपन का स्वागत करें । ऐसा नहीं हो सकता कि चेहरा हमारा दूषित हो और हम आईने को दोषी ठहराएं।
समुद्र की लहरें भी बार बार आ जा रही थी जिसे देख कर हम भी अपने को उनके बीच जाने से रोक न सके बेशक हम ट्रैक सूट ले कर नही गए थे । सामने ही ट्रैक था जिसमे एक सिरे से दूसरे सिरे तक लगभग चार सौ मीटर तक तार पर लोगों को ले जाने और ले लाने का क्रम चल रहा था और उसके साथ ही चरखी वाला झूला था ।
शाम 9 बजे हम यहां से बाज़ार की ओर चले अब भूख भी लग रही थी और बेटे उत्कर्ष की समझ थी कि किसी अन्य देश का शाकाहारी भोजन किया जाए । पर यहां ऐसा मिलना मुश्किल होता है । हमारे जैसे शाकाहारियों के लिए नॉन वेजिटेरियन रेस्तरां पर वेज खाना खाने के लिए समझौता करना पड़ता है । और आखिरकार हमे मुख्य बाज़ार की एक गली में फ्लाफल रेस्टोरेंट के नाम से शुद्ध शाकाहारी भोजन मिल ही गया। खाने में बैंगन का भरता, ड्राई राजमा, दही भल्ले - पापड़ी और रोटी थी । बेशक यह हमारा इंडियन खाना है पर रेस्टोरेंट विदेशी था । अब यह भोजन किस देश का है , ऐसा पूछना यहां पसंद नही किया जाता। अब कैसे पूछे क्योंकि हमारे देश में तो हम किसी अन्य से खुल कर बात भी करते है जब हमें दूसरे व्यक्ति की जाति न पता चल जाए । अब उत्कर्ष ने अपनी समझदारी बरती और उसने रेस्त्रां मालिक से पूछा कि ऐसा स्वादिष्ट भोजन तो इंडिया में बनते है क्या यह इंडियन है ? इस पर मालिक बोला नही ये सीरियाई खाना है । भर पेट भोजन कर अब हम वापिस बाजार में स्थान स्थान पर फोटोग्राफी करते हुए हम ट्रेन से ही देर रात अपने घर लौट आए ।
Ram Mohan Rai,
Den Haag (Hague),
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