Suhana Safar-18 (Rijks Museum, Amsterdam, Netherlands)

*सुहाना सफर -18*
         एमस्टर्डम में स्थित राइज म्यूजियम 🖼️ (Rijks Museum) नीदरलैंड्स का न सिर्फ सबसे पुराना अपितु सबसे बड़ा भी संग्रहालय है , जिसकी स्थापना 17अप्रैल ,1798 को हेग में हुई थी और जिसे बाद में सन 1808 को राजमहल , एमस्टर्डम में स्थांतरित कर दिया और अब वर्तमान स्थान पर सन 1885 से स्थित है । इसकी भव्यता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इसमें एक पर्यटक के रूप में देखने आने के लिए 10-15 पहले बुकिंग करवानी पड़ती है तब जाकर नंबर आता है । इसको सरसरी निगाह से देखने के लिए ही तीन से चार घंटे चाहिए और विस्तृत जानकारी के लिए पूरे दो दिन । हमारा बेटा उत्कर्ष कि यह हार्दिक इच्छा थी कि हम इस म्यूजियम को देखने जरूर जाएं। उसकी समझ यह भी रही कि यदि किसी को भी डच इतिहास ,संस्कृति और कला को एक स्थान पर ही समझना है तो उन्हें यहां जरूर जाना चाहिए ।इसीलिए उसी के आग्रह एवम प्रेरणा से हम कल यहां मेट्रो से पहुंचे । उन्होंने हमारी बुकिंग हफ्ते भर ही करवा दी थी ।
     हमने इस म्यूजियम में दोपहर बाद पूरे एक बजे प्रवेश किया और चार घण्टे बाद इसके बंद होने के समय पांच बजे तक हम इसे पूरा नही देख पाए। जब हमने प्रवेश किया तो mobile 📲 की चार्जिग 82 परसेंट थी पर इसमें लगे सभी चित्र , वस्तुएं और कला कृतियां इतनी मनमोहक थी कि इनकी मुख्य मुख्य तस्वीर लेने पर ही वह चार बजे तक समाप्त हो गई थी ।
    आप खुद अंदाज़ा लगा सकते है कि लगभग दस लाख ऐसी दर्शनीय वस्तुएं है जो 8,000 विषयों पर केंद्रित है । विश्व विख्यात चित्रकार जैकब वान , रूइसडेल , फ्रैंस हाल्स , जोहन्नेस वर्मीर, जान स्टीन की निजि  तथा रामब्रंड्ट और उनके शिष्यों की ही कुल 2,000 पेंटिंग्स हैं । इसमें एक लाख पच्चीस हजार(1,25,000) हाई रेजोल्यूशन के चित्र हैं और  इनमें हर वर्ष 40,000 चित्रों को जोड़ने को योजना है । इन तमाम संख्या से हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कितना बड़ा संग्रहालय है यह ।
   यह सब चित्रण जीरो स्थल से तीन मंजिलों में प्रदर्शित है । वैसे तो इसका देखने का क्रम है परंतु हमने इसे दूसरी मंज़िल से देखना शुरू किया जहां सन 1600 से 1700 तक के कार्यों एवम इतिहास को चित्रित किया हुआ था । परंतु बेशक हम क्रमानुसार न आए हों परंतु आनंद यह रहा कि इसमें प्रवेश करते ही पहली पेंटिंग बनारस के गंगा घाट की पाई । हमारा मन भाव विभोर हो गया और इसके बाद तो एक एक कर के हम देखते हुए बढ़ते गए । इस कक्ष को ही तीन भागों में बांटा गया था । पहला- नाइट वॉच गैलरी, दूसरी- गैलरी ऑफ ऑनर और तीसरे- ग्रेट हॉल। इसी के दक्षिण में एक लाइब्रेरी है जिसमे 4,50,000 पुस्तकें है । यद्यपि म्यूजियम को देखने का टिकट है परंतु लाइब्रेरी में प्रवेश बिलकुल निशुल्क है ।
    इसके पहले नाइट वॉच हॉल में एक से बढ़ कर एक पेंटिंग्स है जो विभिन्न चित्रकारों द्वारा सन 1600 से 1650 तक उकेरी गई हैं।
     दूसरे हॉल में सन 1650 से 1700 तक की सुन्दर प्रस्तुति है , विशेषकर डॉल्स हाउसेस, डेलफ्टवेयर की खूबसूरत चीजें । Delftware  यानी चीनी मिट्टी पर गहरे नीले रंग से चित्रित  बर्तन और सामान। अनेक जहाजी बेड़ों के छोटे बड़े मॉडल यहां रखे गए हैं। एक एक वस्तु का वर्णन करने में तो कई पुस्तके तैयार हो सकती है और अंत में आए ग्रेट हॉल में बाईबल की कथाओं की खिड़कियों की बड़े बड़े शीशों पर तराशा गया है । इस मंज़िल पर ही लाइब्रेरी, नाइटवॉच तथा गैलरी ऑफ ऑनर की सभी कृतियों को 17 कमरों में संजोया है ।
   दूसरी मंजिल को देख कर हम लिफ्ट से तीसरी मंजिल पर पहुंचे जहां सन 1950 से 2,000 तक की कृतियों को संजोया है । यहीं एक विशेष भाग में यौन शिक्षा  आंदोलन , नीदरलैंड्स में गुलाम प्रथा की समाप्ति का इतिहास एवम इंडोनेशिया के स्वतंत्रता के इतिहास को भी संजोया है । बेशक नेडरलैंड्स एक अमेरिका परस्त देश है इसके बावजूद भी इंडोनेशिया में सुकर्णो की सरकार को अमेरिकी सीआईए की करतूतों से गिराने की करतूतों को भी बखूबी दर्शाया है ।
   म्यूजियम की अपनी यात्रा के तीसरे चरण में हम पहली मंजिल पर लिफ्ट से उतरे जहां एक भाग में सन 1700 से 1800 तथा दूसरे भाग में सन 1800 से 1900 तक की कृतियों को संजोया है। जिसमें इस विश्व के अनेक मशहूर व्यक्तियों की विशालकाय पेंटिंग्स लगी है । ज्यादातर यूरोपियन लोगों की है परंतु उनमें से एक हमारे भारत के अदम्य योद्धा वीर शिवाजी की भी एक पेंटिंग है। इससे अगले कक्ष में  युद्ध  की  दुर्दशा वॉटरलू पर पेंटिंग आदि है । इसी मे वान गौ जैसे महान कलाकारों के काम को भी दर्शाया है ।
   और अंत में हम आए ग्राउंड मंजिल पर जहां चीनी मिट्टी के बर्तनों और अन्य शो पीस पर गहरे नीले रंग की चित्रकारी, जेवरात, हथियारों , शिप मॉडल्स, भगवान शिव, मंजूश्री और मंदिर के द्वारपाल सहित ज्ञानी की विविध मेटल्स से बनी मूर्तियां , शराब पीने तथा खाना खाने के अनेक बर्तन और फिर अनेक ऐतिहासिक जानकारी से भरी चमचमाती कलाकृतियां हैं।  मजे की बात यह है की जेवरात में यदि गले में हार की कोई कृति है अथवा कर्णफूल है उन सब की अलग अलग सैंकड़ो अनुकृतियां हैं।
इसी तल पर एक कैफे, सुविनियर्स तथा किताबों की दुकान, क्लॉक रूम और सभा कक्ष हैं ।
  चार घंटे तक खड़े रह कर एक एक वस्तु को निहारना बेशक नयनाभिराम दृश्य है पर इसके साथ- साथ  कुछ थका भी देता है । थकावट की वजह बढ़ती उम्र भी होगी , पर प्रसिद्ध शायर हफीज  जालंधरी की वह नज़म जिसे पाकिस्तानी  गायिका मल्लिका पुखराज हमेशा उत्साह देती है जब वे तरन्नुम में गाती है :-
हवा भी ख़ुश-गवार है 
गुलों पे भी निखार है 
तरन्नुम-ए-हज़ार है 
बहार पुर-बहार है
अभी तो मैं जवान हूं।
Ram Mohan Rai,
Amsterdam, Netherlands.
21.06.2023
Some glimpses of Ground Floor:-





























Painting on Banaras below

Veer Shivaji
View of First Floor 



















































































Second Floor view below 

































Some glimpses 





















































































Library view below

Asia corner 

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