Suhana Safar-18+
Suplimentry.
दो दिन पहले हमने Rijks Museum Amsterdam का अपने अनुभवों के आधार पर अपना अनुभव साझा किया था । मेरा मानना है कि इस म्यूजियम को एक दिन के चार पांच घंटों में पूरी तरह से देखना अपर्याप्त है । इसके सरसरी तौर पर ही देखने में पूरा दिन चाहिए । इसलिए आज फिर इसको देखने के लिए आना पड़ा ।
आज का हमारा ध्येय था एशिया कॉर्नर , प्रभु यीशु के चित्रों ,स्पेशल कलेक्शन तथा लायब्रेरी को देखना जिनका जिक्र हमने पहले लेख में किया था ।
म्यूजियम के भू तल (बेसमेंट) में एशिया कॉर्नर है डच समराजय की एशिया में उपनिवेश देशों की कलाकृतियां संजोई है , खासतौर से भारत, इंडोनेशिया तथा जापान की लोक संस्कृति की कृतियां जिनमे भगवान शिव, गणेश , विष्णु, ब्रह्मा , नंदी , द्वारपाल सहित भगवान बुद्ध की प्रतिमाए है । बुद्ध तो सबके है अत: विभिन्न देशों के लोगों की आकृति में बुद्ध भी हूबहू हूं है ।ज़ीरो तल पर ही प्रभु यीशु मसीह के जन्म से लेकर सूली पर चढ़ने तक के अनेक वृतांतों को सुन्दर कलाकृतियों में संजोया है । यहां पेंटिंग्स ,मूर्तियां आदि रखी है । बाईबल की कलात्मक प्रतियों को यहां रखा है ।
स्पेशल कलेक्शन में महिलाओं के आभूषण, वस्त्रों ,रसोई के विभिन्न पात्र रखे हैं वहीं युद्धों में प्रयोग आने वाली छोटी बड़ी तलवारों, बंदूकों, पिस्तौल तथा अन्य हथियारों को दर्शाया गया है ।
पुस्तकालय जो तीन मंजिल तक क्रम वार रखी किताबों से सुसज्जित है का तो कहना ही क्या ? ज़ीरो तल पर अनेक विद्यार्थी एवम शोधकर्ता पाठक अपने अध्ययन में तल्लीन थे जहां दर्शकों का प्रवेश वर्जित था और पहले और दूसरे तल पर दर्शक दृघा से ही पुस्तकों के महासागर के दर्शन किए जा सकते थे । हमने न केवल यहां के अनेक फोटो खींचे वहीं एक वीडियो भी बनाया । आज हम पूरे दो बजे यहां आए थे और अब पांच बजने को थे । माइक से बार बार इसके बंद होने के समय की सूचना दी जा रही थी अत: अब मजबूरी के हालात में हम वहां से बहुत ही बेमन से निकले ।
स्पेशल कलेक्शन में महिलाओं के आभूषण, वस्त्रों ,रसोई के विभिन्न पात्र रखे हैं वहीं युद्धों में प्रयोग आने वाली छोटी बड़ी तलवारों, बंदूकों, पिस्तौल तथा अन्य हथियारों को दर्शाया गया है ।
पुस्तकालय जो तीन मंजिल तक क्रम वार रखी किताबों से सुसज्जित है का तो कहना ही क्या ? ज़ीरो तल पर अनेक विद्यार्थी एवम शोधकर्ता पाठक अपने अध्ययन में तल्लीन थे जहां दर्शकों का प्रवेश वर्जित था और पहले और दूसरे तल पर दर्शक दृघा से ही पुस्तकों के महासागर के दर्शन किए जा सकते थे । हमने न केवल यहां के अनेक फोटो खींचे वहीं एक वीडियो भी बनाया । आज हम पूरे दो बजे यहां आए थे और अब पांच बजने को थे । माइक से बार बार इसके बंद होने के समय की सूचना दी जा रही थी अत: अब मजबूरी के हालात में हम वहां से बहुत ही बेमन से निकले ।
बाहर के गलियारे में अनेक म्यूजियम और छोटी बड़ी दुकानें हैं। खान पान के अनेक खोखे भी है पर हम तो अपने घर से परांठे बांध कर लाए थे । हमने भी उस हॉट डॉग की दुकान के सामने ही अपने परांठे आम के अचार के साथ खाए और अब हम वापिस घर ट्राम में बैठ कर चल दिए ।
Ram Mohan Rai,
Rijks Museum Amsterdam Netherlands.
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