Suhana Safar-19 (Antwerpan, Belgium)
नीदरलैंड की सीमाएं बेल्जियम और जर्मनी से लगी हुई है और इन सभी देशों में आना जाना भी ऐसा ही आसान है जैसे कि हम अपने ही प्रदेश के एक से दूसरे शहर में घुसते हैं। पूरे यूरोप के इन देशों को यूरोपियन यूनियन कहा जाता है अत: इनका वीजा और मुद्रा भी एक ही है ।
आज हम सड़क मार्ग से एम्स्टर्डम से बेल्जियम की ओर रवाना हुए । हमने अपने पासपोर्ट रख लिए थे क्योंकि हमारा अनुभव यह है कि जब भी किसी एक देश से दूसरे देश में जाएंगे तो बॉर्डर पार करते हुए इसकी जरूरत पड़ेगी । चेकिंग होगी एक बार इधर और फिर एक बार उधर । अभी पिछले दिनों जब हम करतारपुर (पाकिस्तान) तीर्थयात्रा पर गए थे तो बेशक हमने वीज़ा न लेकर अनुमति ली थी परंतु जांच पड़ताल ऐसे ही हुई थी । ऐसा ही अंदेशा हमें यहाँ भी रहा। मेरा बेटा कार ड्राइव कर रहा था और उसके साथ उसका मित्र अभिजीत बैठा था। मैंने उन्हें कहा कि बॉर्डर आने से पहले ही बता देना ताकि हम पेपर्स पहले ही तैयार रखें ताकि इमिग्रेशन चेकिंग में देरी न हो पर हमारी बात सुन कर वे मुस्करा रहे थे और थोड़ी देर बाद ही वे बोले कि पापा हमने बॉर्डर क्रॉस कर लिया है और अब हम बेल्जियम में है । मुझे काफी अचरज हुआ कि यह कैसा बॉर्डर जिसमे कोई भी तो न चेकिंग , न कोई चौकी और न ही कोई बड़ा साइन बोर्ड । हमारे यहाँ तो अगर हम पानीपत से दिल्ली अथवा कैराना भी जाएं तो बॉर्डर बने हुए है ।
क्या इनको एक दूसरे से खतरा नहीं है? क्योंकि सीमा सुरक्षा के नाम पर न तो हमें कोई फ़ौजी टुकड़ी तो छोड़े पुलिस का एक भी जवान नहीं मिला । यानी सुरक्षा बजट नदारद। क्या इन्हें आपस में कोई खतरा नहीं है? मेरे सवाल का जवाब मेरे बेटे ने देते हुए कहा कि इन्होंने आपस में जितने भयंकर युद्ध लड़े है वैसे तो दुनियाँ में कहीं नही हुए । पहले और दूसरे विश्व युद्ध की तो शुरुआत और अंत ही यहाँ से हुआ जिसमें इन देशों के लाखों लोग मारे गए पर अब ये आपसी लड़ाइयों के हश्र से सबक ले चुके हैं और पुरानी लड़ाइयों को माफ़ कर अपने विकास में लगे है । क्या हमारे दक्षिण एशियाई देशों में भी वीज़ा फ्री सीमा हो सकती है ? यदि हम ऐसा कर सके तो अमेरिका सहित दूसरे पश्चिमी देशों के लूट के चंगुल से बच पाएंगे और अपने 30 से 40 प्रतिशत सुरक्षा बजट घटा कर नए- नए स्कूल , हॉस्पिटल , कारखाने लगा सकते हैं और जिससे भूख, बेकारी और बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
मुझे इस बात का गर्व है कि पिछले अनेक दशकों से मैं वीज़ा फ्री बॉर्डर मुहिम का हिस्सा रहा हूँ। मेरा यह सौभाग्य है कि स्व. दीदी निर्मला देशपांडे ,कुलदीप नैय्यर, स्वामी अग्निवेश, डाo मुबाशिर और अब मोहिनी गिरि और सईदा हमीद जैसे लोगों के नेतृत्व में आगाज़- ए- दोस्ती आन्दोलन से जुड़ा हूँ जो न केवल भारत - पाकिस्तान अपितु दक्षिण एशियाई देशों में जनता के स्तर पर अमन और दोस्ती का काम कर रहे हैं । मुझे यह भी खुशी है कि मैं दक्षिण एशिया के अनेक देशों में गया भी हूँ पर सीमाओं पर यूरोपियन यूनियन के देशों जैसा माहौल न होकर बहुत ही उत्तेजक हालात है । पर ऐसा नहीं है कि हम इन हालातों से न उबरे और नई सुबह के दीदार हम न करें।
एमस्टर्डम से बेल्जियम के पहले शहर Antwerpan (अंतवरपन) की दूरी महज 165 किलोमीटर है जो हमने महज सवा घंटे में तय की । हमने अपनी गाड़ी यहाँ के मशहूर चिड़ियाघर (Zoo) की पार्किंग में लगाई और पैदल चल दिए जू से सटे रेलवे स्टेशन की ओर । मेंने सोचा कि शायद अब 🚂 ट्रेन से जाना होगा पर दरअसल बात यह थी कि हम इस शहर के रेलवे स्टेशन को ही देखने आए थे जो खुद में ही एक दर्शनीय स्थल है। स्टेशन का हॉल मूर्तियों, दीवार पर उकरे चित्रों , छत पर टंगे फारनूस से इस तरह सुसज्जित था मानो किसी राजमहल का सभागार हो । सन 1905 में निर्मित यह स्टेशन यूरोप के सर्वोत्कृष्ट स्थानों में से एक है । दिल चाह रहा था की घंटों यहाँ रुक कर इसके सौंदर्य का आनंद लें । इसी स्थान पर हर कोने और स्थानों से हमने इतने फोटो लिए की डर रहा कि कहीं हमारी फोटो गैलरी में जगह न भर जाए ।
इससे बिल्कुल सटा हुआ ही चिड़ियाघर है जिसकी गिनती पूरी दुनियाँ के प्राचीनतम ज़ू के रूप में की जाती है । इसमें लगभग 5,000 छोटे- बड़े जानवर है जो 769 प्रजातियों से हैं । कुछ खूंखार, कुछ मित्र-अमित्र और कुछ पालतू । इस चिड़ियाघर को देखने में ही कई घंटे चाहिए जिसका हमारे पास अभाव था। अत: अन्य स्थान देखने के लिए आगे बढ़ चले।
कुछ दूरी पर ही एक बहुत आलीशान गिरिजाघर है जिसका शिखर आकाश को छूने वाला है । इसके सामने ही शहर का मुख्य चौराहा है। इस पूरे शहर में इसी तरह की चार चर्च है जो बड़ी - बड़ी आयताकार पत्थर की शिलाओें से निर्मित हैं और इसके ऊंचे- ऊंचे दरवाजों के बाहर खूबसूरत चित्रकारी है।
शहर के सेंट्रल जिसे यहाँ सेंट्रम कह कर पुकारा जाता है , के बिल्कुल बीचों - बीच एक विशालकाय मूर्ति लगी है जिसमें अनेक लोगों को दर्शाया गया है और जिन सभी के मुख ,हाथ और पैरों की अंगुलियों से फव्वारे छूट रहे हैं । इस मूर्ति को समझने के लिए एक कहानी को समझना होगा कि एक पुराने समय में शहर की schedlt नदी के किनारे एक विशालकाय दैत्य रहता था जो नदी पार करने वाले हर व्यक्ति से गैरकानूनी ढंग से जबरन पैसा वसूल करता था और किसी के न देने पर उसका हाथ काट लेता था । उसके इस आतंक से सभी भयभीत और पीड़ित थे और एक रोज़ एक रोमन नौजवान लड़का आया । उसने भी नदी पार करनी चाही पर टैक्स देने की मनाही की तो उस भीमकाय व्यक्ति ने उसका हाथ काटना चाहा पर यह क्या नौजवान ने ही खूंखार लुटेरे को दबोच लिया और उसे नीचे गिरा कर उसके दोनों हाथ काट दिए जिनसे वे
आज यह मूर्ति का संदेश ही इस शहर का नाम बन गया है । Antwerpan का अर्थ है कि अन्याय का हाथ काट कर उसे नदी में फेंक कर नदी की मुक्ति का शहर ।
इसके बाद हम इसके बाजारों में से होते हुए आगे बढ़े जहां इसकी भव्यता के दर्शन हुए । यह नगर नॉर्थ सी (उत्तर सागर) के तट पर बसा होने के कारण तथा एम्सटर्डम तक खुला सागर होने से इसकी बंदरगाह यूरोप की एक प्राचीनतम प्रमुख बंदरगाह के रूप में जानी जाती है जहाँ पर व्यापारियों का आवागमन लगभग एक हजार साल पहले हो गया था और यह शहर सोने और हीरे की मंडी के रूप में विश्व भर में जाना जाता रहा है। यहाँ के बाजारों की संपन्नता आज भी इसके पुराने वैभव से अछूती नहीं है ।
वैसे तो यहां सूरज रात के साढ़े दस बजे तक ढलता है पर अब दोपहर बाद के तीन बजने को आए थे । हमे भूख लगी थी और लंच के लिए किसी बेहतरीन रेस्टोरेंट की तलाश थी जो की 5-7 किलोमीटर पर था । पैदल चलना थकावट भरा होता इसलिए हमने मेट्रो स्टेशन पहुंच कर मेट्रो पकड़ी और दो स्थान बाद तीसरे पड़ाव पर उतर कर एक बेल्जियम रेस्तरां पर स्थानीय खाना खाया और फिर पैदल ही पार्किंग से अपनी गाड़ी ली और चल पड़े एक दूसरे नगर की ओर ।
Ram Mohan Rai,
Antwerpan, Belgium.
25.06.2023
#antwerpen
Netherlands - Belgium Boarder
Railway station
Antwerpan centrum
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