घुमकड़ की डायरी- 2 Namaste Moline, Illinois- USA. Suhana Safar-41
एमस्टरडम के शिपॉल एयरपोर्ट से फ्लाइट पकड़ कर हम साढ़े आठ घंटे में शिकागो एयरपोर्ट पहुंचे । यह हवाई अड्डा दुनियां भर के विशाल अड्डों में से एक है । यहां सभी सुविधाएं आधुनिकतम है अत: बाहर निकलने में बहुत भीड़ होने की वजह से कतई देर नही लगी । जब हमारी सुरक्षा जांच चल रही थी तभी मैंने देखा कि सामने से संत निरंकारी मिशन की मुखिया सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवम राजपिता जी अड्डे की निकासी के लिए आगे बढ़ रहे हैं । मैने उन्हें साक्षात नमस्कार कर मानसिक आशीर्वाद प्राप्त किया । संतों के दर्शन सुखद एवम शुभ होते है जो इस बात का सूचक है कि अमेरिका में प्रवास अच्छा रहेगा । वे एक अमेरिका ,कनाडा और दूसरे देशों में "इंसानियत संग संग रूहानियत" समागम के सिलसिले में पधारी है । कल से उनका कार्यक्रम शिकागो में है । मैने अपने इस आनंद की सूचना अपने अनेक मित्रों को व्हाट्सएप पर दी तो संदेश आने शुरू हो गए । अनेक मित्रों ने कहा कि वे भी यहीं हैं हम उनके पास आ जाय ।
फ्लोरिडा की आदरणीय बहन प्रीत साही का मैसेज आया कि वे भी शिकागो में ही है हम उनसे मिलने आ जाए। मैं अपने मन को मसोस कर रह गया क्योंकि आने वाले कल में आकांक्षा का बर्थडे है और उन्होंने इसको लेकर हमारे साथ कहीं दूर जाने का प्रोग्राम बनाया हुआ है। उनके आग्रह का मुझे सम्मान था परंतु हमारा पूर्व निर्धारित इवेंट मजबूरी थी ।
हमें यहां लेने के लिए हमारी पुत्रवधु आकांक्षा भारद्वाज अपनी गाड़ी से लेने आई थी । आठ महीने बाद हम उससे मिले थे । भारतीय परंपरा के अनुसार उसने हमारा अभिनंदन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। बहुत ही भावुक क्षण थे और हमारी आंखे इसका इज़हार छलछला कर, कर रही थी । और शिकागो में बिना रुके 250किलोमीटर दूर, वे हमें अपने घर मोलिन ले गई । रास्ता लंबा था परंतु रास्ते में पड़ने वाला पग- पग अपनी प्राकृतिक छटाओं से भरा होने के कारण दर्शनीय था । अढ़ाई घंटे कब बीत गए इसका पता ही नही ।
अमेरिका में हमारे पहुंचने की खबर हमारे मित्रों और शुभचिंतकों को पहुंच गई थी । विशेषकर जहान चौधरी( शिकागो) , विश्व धर्म संसद के दौरान जिनसे मिलने और उनके पास ही रुकने का हमारा प्लान है। दिव्या आर नायर, जो की Saturday Free School, Philadelphia ki सरगर्म नेत्री और आजकल Moline से अढ़ाई सो किलोमीटर दूर ही Champaign में शिफ्ट हो गई हैं ,ने भी इच्छा जाहिर कि हम उनसे मिलने उनके घर आए ।
आर्य प्रतिनिधि सभा ,अमेरिका के मंत्री विश्रुत आर्य का भी संदेश आया कि आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती की 200 वीं जन्म जयंती पर ह्यूस्टन में सम्मेलन हो रहा है ,हम वहां भी अवश्य आए ।
मेरी मुंह बोली बेटी फिज़ा जो की अब सीएटल से टेक्सास शिफ्ट हो गई है के भी पति औरंगजेब अहमद का भी आमंत्रण है कि वे हमारे अमेरिका आने का इंतजार पिछले कई महीनों से कर रहे है इसलिए उनके घर तो आना ही होगा ।
हमारी बेटी सुलभा ,दामाद उल्लास जी तथा दोहती और दोहते तो हमारे पिछली बार उनके यहां से वापिस लौटने के दिन से हमारा इंतजार कर रहे है ।
हम जाना तो सभी जगह चाहेंगे । और यह सब प्रभु कृपा और इच्छा पर निर्भर है । अमेरिका हमारे भारत से तीन गुणा बड़ा देश है । इन सभी स्थानों पर आने जाने के लिए चार से छह घंटे हवाई जहाज से लगते है ।
हमें प्राप्त वीज़ा शर्तो के अनुसार हम एक बार में कुल छह माह तक ही यूएसए में रह सकते है और इस हिसाब से हम यहां जनवरी -2023 तक रुक सकते है पर इस दौरान दिवाली भी है और हमारे प्रिय साथी रवि नितेश का विवाह समारोह भी है । हम अपने देश में ही दिवाली 🪔 मनाना चाहते है और शादी में शामिल होना भी । जिंदगी की इस वानप्रस्थ अवस्था में अनेक मामलों में हम स्वतंत्र भी है और कई में परतंत्र भी । अब जो भी होगा अच्छा ही होगा ।
खासतौर से मैं अपने हाली अपना स्कूल के बच्चों का मोह नहीं छोड़ पाता । मुझे अनेक बार लगता है कि अब जीवन उन्हीं को समर्पित होना चाहिए । इन बच्चों में साधनों के अभाव के बावजूद भी अनेक क्षमता है । हमारे कार्यरत साथी भी अनुभवी और ऊर्जावान है अत: कोई दिक्कत भी नही है और मैं भी इन बच्चों से लगभग रोज ही वीडियो पर बातचीत करता ही रहता हूं । आगाज़ ए दोस्ती यात्रा भी दोस्तों ने संभाल ली है और वकालत ,FCC और दूसरे काम भी ।
और अब हम अपना जीवन जीने को स्वतंत्र हैं जिसे हमारे पूर्वजों ने वानप्रस्थ आश्रम कहा है अर्थात अध्ययन ,लेखन , भ्रमण और परोपकार का जीवन । यह भावना और इच्छा शक्ति बनी रहे ऐसी कामना और परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है ।
इसी तरह की सभी बातों को गुनते-बुनते कब आकांक्षा का घर आ गया इसका पता ही नही चला । यह छोटा सा घर कई बीघा जमीन में फैले सुंदर और व्यवस्थित गार्डन में है ।
आकांक्षा एक अत्यंत मृदु स्वभाव की सुशिक्षित प्रतिभाशाली एवम संस्कारित लड़की है । इनका जन्म पटियाला,पंजाब में एक सुसंस्कृत परिवार में हुआ । इनके पिता बृज भूषण भारद्वाज, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस स्पोर्ट्स एकेडमी में अधिकारी रहे जबकि मां अरुण भारद्वाज एक शिक्षिका रही । नानी पुष्पा जोशी जिनके संरक्षण और स्नेह में आकांक्षा और भाई कर्ण विकसित हुए ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है । उत्कर्ष और आकांक्षा की ही आपसी सहमति और विश्वास पर उन्होंने अपने वैवाहिक संबंध बनाए। और आज हम उनके घर आए हैं।
मोलीन एक Illinois राज्य का एक कस्बा है ,जिसकी स्थापना सन 1843 में नदी के किनारे हुआ । लगभग 44,,000 आबादी का यह स्थान जोंडियर कंपनी का मुख्यालय, मोंटगोमरी एलिवेटर, कोन आदि सहित अनेक बड़ी इंडस्ट्रीज है जहां अनेक भारतीयों समेत हजारों लोग काम करते है ।
हमारे इन दिनों में यहां आने का कारण आकांक्षा के जन्म दिवस का होना है जो वह हम सभी पारिवारिक सदस्यों के साथ मनाना चाहते हैं ।
Happy birthday to Akanksha.
तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हो पचास हज़ार।
राम मोहन राय,
Moline, Illinois, USA.
21.07.2023
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