Suhana Safar-33, Cologne, Germany (Need of Visa Free Boarder of SAARC countries as in European Union)
(वीज़ा मुक्त बॉर्डर के लिए आगाज़ ए दोस्ती अमन यात्रा)
यूरोप के अनेक देशों ने मिल कर एक यूरोपियन यूनियन बनाई हुई है जिनके लिए एक मुद्रा , आवागमन के लिए बिना बॉर्डर के आवागमन और अन्य गैर यूनियन विदेशी नागरिकों के लिए एक ही वीज़ा की सहूलियत है । इनके आपसी आर्थिक, सामाजिक और भुगौलिक सहयोग संगठन हैं। ऐसा नहीं है कि कभी भी इनमें आपसी युद्ध नहीं हुए । वास्तव में इनके युद्धों की लगभग दो हज़ार सालों की गाथा है जब नफरत, हिंसा और लड़ाइयां ही इनकी नियति में थी फिर चाहे अपनी सर्वोच्चता की हो अथवा दुनियां के गरीब एशियाई - अफेरिकन देशों के कथित असभ्य लोगों को सभ्य बनाने के लिए गुलाम बनाने की जंग । पर आज ये देश अपने अपने दायरों में सिमटे है । भारत की आजादी ने पूरे विश्व में दासता की बेड़ियों को एक के बाद तोड़ने का काम किया है ।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज हम सुबह ही कार द्वारा जर्मनी के लिए रवाना हुए । यहां आना मेरे लिए अत्यंत रोमांच पैदा करता है। आज से 35 साल पहले मैं एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल में जर्मनी आया था पर तब यह दो हिस्सों में था । उस समय हम ईस्ट जर्मनी आए थे पर तब यह अभिलाषा थी कि कभी हम वेस्ट जर्मनी भी जाएं और आज हमारी यह इच्छा पूरी होने जा रही थी ।
यह देश सम्पन्न और समृद्ध है । इसका एक कारण यह भी है की इन्होंने समझ लिया है कि नफरत और युद्ध तबाही का मंजर बन सकता है परंतु उनकी जनता को रोटी,कपड़ा और मकान नहीं दे सकता ।
दूसरी और दुनियां की जरूरतों को देख कर ही ये सामान बनाते है । इन्हें पता है की भारतीय उपमहाद्वीप के देशों को आपस में लड़ने के लिए हथियारों की जरूरत है ,इसलिए हथियारों के सबसे बड़े निर्यातक है । बीमारी से ग्रस्त लोग बीमारी से ग्रस्त हैं इसलिए दवाइयां बनाएंगे और यात्रा के लिए आधुनिकतम हवाई जहाजों की मांग है ,इसलिए इन्हें बनायेंगे । इन्हें बना कर महंगे दामों पर अपनी शर्तों पर बेचेंगे जबकि उन्हीं खरीददार गरीब देशों से कपड़ा ,खाद्य पदार्थ और दूसरी चीजें सस्ते दामों पर लेंगे । ये बोफोर्स तोप और रफेल युद्ध मरीन फाइटर जेट और स्कॉर्पीन मिलिट्री सबमरीन बनाते है ताकि दक्षिण एशियाई देश इसे खरीद सकें।
हमारी गाड़ी सरपट दौड़ी जा रही थी और हम इंतज़ार में थे कि कब नीदरलैंड की सीमा खत्म हो और हम जर्मनी में दाखिल हों । हम जब बेल्जियम गए थे तो बॉर्डर पर हमारी कोई चेकिंग वगरह नही हुई थी पर हमारी इस बार सोच थी कि हो सकता है वह कोई इतिफाक हो । पर जर्मनी बॉर्डर पर तो पूरा अंदेशा था और वह इसलिए भी की द्वितीय विश्वयुद्ध में ये दोनों देश आमने सामने थे । आपसी लड़ाई में दोनों तरफ के हजारों लोग मारे भी गए थे । मैने अपनी पत्नी कृष्णा कांता को कहा कि पेपर्स तैयार रखे । और हम देखते ही रह गए और बॉर्डर पार कर हम जर्मनी में दाखिल हो गए । कमाल हो गया कि सीमा पार हो गई और हमें पता ही नही चला । मैं अनेक बार अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, एक बार बांग्लादेश गया हूं । वहां पर हमारी जिस तरह से चेकिंग हुई वह बड़ी जिल्लत भरी थी । ऐसे ही हालात वहां से इंडिया आने वाले पाकिस्तानियों के भी होते है । और ऊपर से पूरे देश का नही अपितु शहरों का ही वीज़ा मिलता है और उसमें भी पुलिस रिपोर्टिंग करवानी पड़ती है । आगाज़ ए दोस्ती अमन के दोनों तरफ के साथियों की यह मांग बिलकुल सही और जायज़ है कि सार्क देशों में रहने वाले सभी नागरिकों का आपस में आवागमन वीज़ा मुक्त होना चाहिए ।
और आखिरकार बॉर्डर से 165 किलोमीटर दूर चल कर हम पहुंच गए जर्मनी के एक बहुत ही ऐतिहासिक शहर cologne कोलोन में , जिसकी स्थापना पहली शताब्दी में हुई थी और जो आज भी राइम नदी के पश्चिमी तट पर अपनी उसी शान शौकत से खड़ा है । जिसकी ख्याति एक धार्मिक नगरी के रूप में रही है तथा जो पवित्र शासन का राजकीय नगर रहा है । जहां दुनियां भर से कैथोलिक ईसाई धर्म के लोग तीर्थयात्रा को आते हैं तथा जो मध्यकाल में पूर्व और पश्चिम यूरोप का प्रमुख व्यापारिक नगर था। जिसने अपने निर्माण काल से अब तक फ्रेंच, ब्रिटिश और पैरोरसिया की दासता को झेला है । द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र देशों ने जिसे एक जर्मन प्रमुख शहर होने के कारण अपने निशाने पर रखकर सबसे ज्यादा 💣 बम गिराये थे और जिस वजह से इसकी 93 प्रतिशत आबादी शहर छोड़ कर चली गई थी ।
पर आज यह शहर पुन: अपनी चमक धमक से गुल- ए- गुलज़ार है। यह शहर जिसमें तीस म्यूजियम है , सैंकड़ो दर्शक दीर्घाएं और दर्शनीय स्थल है । शिक्षा के क्षेत्र में पूरे यूरोप में जिसका कोई सानी नहीं है। यहां, इस महाद्वीप की सबसे बड़ी युनिवर्सिटी " University or Cologne" , जर्मनी का सबसे बड़ा टेक्निकल संस्थान "university in Applied Sciences, German Sports University, German Aerospace Centre और European Astronaut Centre हैं ,जहां विश्व भर से हजारों विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते है ।
Cologen पहुंच कर गाड़ी को पार्किंग में खड़ी कर हम निकल पड़े इस शहर से बातें करने ।
राम मोहन राय,
Cologne, Germany.
15.07.2023
Very nice.
ReplyDeleteThanks for your humble compliments
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ReplyDeleteExcellent informative article. Your journey gives us beautiful first hand information. Please continue to enlighten us. Thank you and wish you a very happy and meaningful journeyExcellent informative article. Your journey gives us beautiful first hand information. Please continue to enlighten us. Thank you and wish you a very happy and meaningful journey.
ReplyDelete..... Ranbir Singh Raman.