घुमकड़ की डायरी 1 USA trip 2023-1

यायावर की डायरी
-1
         यह मेरी पांचवी अमेरिका यात्रा है । कुल मिला कर हम यहां एक साल से भी ज्यादा समय गुजार चुके है । यहां की संपन्नता ,विकास और आधुनिकता की चका चौंध दुनियां के पिछड़े देशों के लोगों को अपनी और आकर्षित करती है, विशेषकर हम भारतीयों को।
 मुझे भी यहां आने का आकर्षण रहा है । मैं कभी पहले सोचता था कि यूरोप तथा एशिया के अनेक देशों में तो जानें का सुअवसर मिला पर क्या कभी ऐसा भी संभव होगा कि यहां भी जा पाएं? मैं सभी उपरोक्त देशों में अपने खर्च पर न जाकर किसी न किसी आमंत्रण पर किन्हीं प्रतिनिधिमंडल में गया हूं क्योंकि खुद की तो कभी भी ऐसी आर्थिक स्थिति नही थी कि वहां जाया जाए पर शायद यह प्रारब्ध और प्रभु कृपा ही रही है । अब इस अमेरिका में दो अलग अलग छोरों पर घर हैं,जहां जाओ और सुविधा पूर्वक रहो।
        मेरी राजनैतिक विचारधारा अमेरिका परस्त नही थी । वे दुनियां में तमाम खुराफात की जड़ इसी देश की नीतियों जिसे वे साम्राज्यवादी कहते थे ,उसे ही मानते थे । मेरा परिवार एक पूर्ण राष्ट्रवादी , गांधीमय तथा आर्य समाजी विचारों से परिपक्व रहा है । इस लिए राजनीतिक रूप से समृद्ध विचार से सम्पन्न रहा हूं । हमने देश की आज़ादी के बाद तीन युद्ध देखे । इन सभी में अमेरिका हमारे खिलाफ दुश्मन के साथ खड़ा था । इसने हर प्रकार से हमारी घेरे बंदी करने में भी कभी कोई कसर नहीं की फिर चाहे वह हमारे ही पड़ोसी देशों के साथ मिल कर दुराभिसंधि ही क्यों न हो । हिंद महासागर में डियागो गार्सिया नामक टापू पर भी इसके नौसैनिक अड्डे हमारे नही तो किसके खिलाफ है ?
       हम अपने देश में हमेशा नारे लगाते रहे कि जो अमरीका का यार है ,वह देश का गद्दार है । इस देश का बांग्लादेश मुक्ति का विरोध, अफगानिस्तान और इराक़ में नाजायज दखलंदाजी हमारी वैश्विक नीति के विरोध में थी । वियतनाम, कोरिया और क्यूबा के संघर्षों में भी हम भारतीय सदा इन देशों के पक्ष में और अमेरिका के खिलाफ रहे है । हम फिलिस्तान की आज़ादी के पक्ष में है और अमेरिका खिलाफ । कश्मीर को हम अपना अभिन्न हिस्सा मानते है जबकि यह देश भारत पाकिस्तान के बीच इस बेवजह तथाकथित विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थ बनने की पेशकश करता है । हम सुरक्षा परिषद के सदस्य बनने के अपने प्राकृतिक अधिकारों के लिए प्रयत्नशील है इसके विपरीत अमेरिका ,चीन और अन्य नाटो देश हमारी मुखालफत करते हैं । हमारी गुट निरपेक्ष नीति के कारण हम यूक्रेन- रशिया युद्ध में तटस्थ है जबकि अमेरिका इसमें छद्म युद्ध लड़ रहा है ।
      अनेक मसलों में हमारी और यहां की नीतियों का कोई मेल नहीं है परंतु इसके बावजूद भी यह हमारे देश विशेष तौर पर युवाओं के लिए पसंदीदा देश है । एक सर्वे के मुताबिक यहां रह रहे कुल 47 लाख भारतीय मूल के लोगों में से लगभग 27 लाख लोग यहां नागरिकता प्राप्त कर, रह रहे है जबकि 6.30 लाख अनाधिकृत रूप से रह रहे हैं ।
       अमेरिका की अपनी विगत अधिकांश यात्राओं में मैने अपने पारिवारिक रिश्तों का ही निर्वाहन किया है । अपनी पिछली यात्रा में कुछ उद्देश्य प्राप्त किया और अब उस पर कार्य करने का इच्छुक हूं । मैं अपनी इस बार की यात्रा को अपने शब्दों में उतारना भी चाहता हूं ।
 इसलिए आपकी शुभकामनाओं तथा आशीर्वाद का प्रार्थी हूं।
सादर,
Ram mohan Rai,
Moline, Illinois, USA.
29.07.2023

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