घुमकड़ की डायरी-7 My trip to the Chicago
शिकागो ,अमेरिका का तीसरा बड़ा शहर है। पहले नंबर पर न्यू यॉर्क, दूसरा सन फ्रेसिस्को और तीसरे स्थान पर यह है । इसकी स्थापना अब से 243 साल पहले यानी की सन 1780 में लेक मिशिगन के किनारे पर हुई थी और यह झील भी इतनी बड़ी है कि हमारे हरियाणा और पंजाब दोनों जितनी लम्बाई चौड़ाई की । इसकी कुल आबादी 2,74,6,388 के लगभग हैं ।
हम पहले दो दिन संत निरंकारी सत्संग भवन, जो कि शहर के बाहर ही नॉर्थ वेस्ट पर था वहां ठहरे थे । एक विशाल व्यवस्थित तथा आध्यात्मिक शांति से परिपूर्ण भवन । यहीं हमे राजन जी तथा उनकी पत्नी प्रीति जी का आतिथ्य मिला । पहले दिन रात को बहुत हीं सात्विक भोजन,अगले दिन संगत में ही प्रीतिभोज , शाम को संतोष राय हमें प्रसिद्ध भारतीय सिंगर शंकर महादेवन नाइट जो भारतीय स्वतन्त्रता दिवस पर आयोजित थी वहां ले गए । हजारों लोग यहां इकठ्ठा थे और शंकर महादेवन के गीत संगीत पर झूम रहे थे।
राजन जी ने हमें वहीं अमेरिकन पीज़ा का डिनर करवाया । और अगले दिन उनकी पत्नी ने नाश्ते में आलू, गोभी, मूली के गरमागरम परांठे,दही , मक्खन और अचार के साथ भरपेट खिलाए ही नही अपितु साथ भी बांध दिए । उनके किचन गार्डन में उगी सभी सब्जियां बहुत ही स्वादिष्ट रही जो वे बहुत ही मेहनत से बिना कृत्रिम खाद के तैयार करती है ।
इसी दौरान श्री सुखदेव सिंह जी हमें शिकागो घुमाने और हमारे अगले स्थान मेघना चंद्रा के घर पहुचाने के लिए आ गए । वे पिछले 43 वर्षों से शिकागो में रह रहे है । उनके पिता के नाम से ही बुराड़ी चौक ,जी टी रोड , दिल्ली पर संतोख सरोवर बना है ।
अपनी गाड़ी में शिकागो शहर और यहां की जिंदगी की जानकारी देते हुए वे हमें शिकागो के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल मिलेनियम पार्क ले आए जो इस शहर के बिल्कुल मध्य में स्थित है ।
यह पार्क सन 2004 में लगभग साढ़े चौबीस एकड़ में बन कर तैयार हुआ था और यह शिकागो का सबसे दर्शनीय स्थल माना जाता है जहां लगभग अढ़ाई करोड़ पर्यटक प्रतिवर्ष यात्रा करते है। इसी में जय प्रिटजर मंडप है जिसकी छत स्टेनलेस स्टील की बनी है और एक साथ इसमें 11,000 दर्शक बैठ कर कार्यक्रम देख सकते है । जब हम वहां पहुंचे तो तब भी एक बैंड शो चल रहा था । हमारे वहां रहते ही हल्की हल्की बारिश भी शुरू हो गई थी । शिकागो की एक खासियत यह भी है कि यहां जम कर बारिश होती है सर्दी के दिनों में जम कर बर्फबारी भी ।
इसी पार्क में एक क्लाउड गेट के नाम से एक बूंद की आकर की बहुत ही आकर्षक कृति रखी है । देखने में वह ऐसे प्रतीत होती है मानो लिक्विड मर्करी की एक बूंद । जिसका डिजाइन और निर्माण एक भारतीय मूल के ब्रिटिश निवासी अनीश कपूर ने सन 2004 में ही करवाया है । इसकी ऊंचाई 33फीट, गहराई 42 फीट और लंबाई 66 फीट है और यह 168 स्टील प्लेट्स के जोड़ से बनाया है। इसका वजन 110 टन यानी 15 हाथियों जितना है । यह पारदर्शी बूंद पारे की तरह चमकती है और लोग एक तरफ खड़े होकर अपनी छवि इसमें देख पाते है ।
इसके साथ ही सड़क की तरफ क्राउन फाउंटेंस है जहां ऊंची ऊंची बनी दीवार नुमा जगह से पानी गिरता है और इन्ही दीवारों पर लेजर तकनीक से चित्र उभरते है जो हर मिनट में कभी पलक झपकते हुए ,कभी हंसते हुए और कभी बतियाते हुए लगते है ।
बारिश ज्यादा होने लगी थीं और सुखदेव सिंह जी की भी कहीं और व्यस्तता थी ,इसलिए जल्दी ही मेघना और जहान से मिलने उनके घर पहुंचे । अब दोपहर बाद के डेढ़ बजने को थे यानी इंडिया में रात के लगभग रात के साढ़े ग्यारह । मुझे अपने अमन दोस्ती यात्रा के साथियों के वाघा बॉर्डर पर पहुंचने का अंदाजा था ।
हमने अपने साथियों से व्हाट्सएप कॉल की और फिर दीपक ,परवीन ,नितिन, सम्मी और दूसरे साथियों से बात कर यात्रा ज़िंदाबाद के नारे लगाते हुए उनके प्रति एकजुटता और समर्थन व्यक्त किया। तभी जहान पाकिस्तान की t-shirt 👕 पहन आए और मेघना ने अमेरिकी राष्ट्रीय चिन्ह की शर्ट पहनी जबकि मैंने ,मेरी पत्नी कृष्णा कांता और मित्र सुखदेव सिंह ने भारतीय तिरंगा झंडा पकड़ कर देश की आज़ादी में जान न्योछावर करने वाले शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।
हमने अपने साथियों से व्हाट्सएप कॉल की और फिर दीपक ,परवीन ,नितिन, सम्मी और दूसरे साथियों से बात कर यात्रा ज़िंदाबाद के नारे लगाते हुए उनके प्रति एकजुटता और समर्थन व्यक्त किया। तभी जहान पाकिस्तान की t-shirt 👕 पहन आए और मेघना ने अमेरिकी राष्ट्रीय चिन्ह की शर्ट पहनी जबकि मैंने ,मेरी पत्नी कृष्णा कांता और मित्र सुखदेव सिंह ने भारतीय तिरंगा झंडा पकड़ कर देश की आज़ादी में जान न्योछावर करने वाले शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।
क्रमश:
Ram Mohan Rai.
Chicago, USA.
14.08.2023
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