सत्याग्रह से क्रांति

बीड़ शिकारगाह पिंजौर में शहीद भगत सिंह की 116 वीं जयंती तथा महात्मा गांधी की 154 वीं जयंती के अवसर पर  तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर कई मायने में ऐतिहासिक तथा स्मरणीय रहा । पूरे देश से इस शिविर में लगभग 35 लोगों ने इसमें भागीदारी की जिनमें सर्व श्री /श्रीमती 
1. डॉ. राजेश कासनिया,करनाल: 2. और्व शर्मा, कैथल:3. इन्दु धवन, गुरुग्राम: 4. अरुण कैहरबा, इंद्री: 5. नरेश दहिया, कुरुक्षेत्र: 6. अम्बरी रहमान, पटना:7. योगेश शर्मा, कुरुक्षेत्र: 8. राममोहन राय, पानीपत: 9. विकास सल्याण, कुरुक्षेत्र: 10. सुरेन्द्र चुघ, कैथल:
11.12. राजन बिन्द्रा, यमुनानगर:
13. राजीव गोदारा
14. प्रिया गोदारा (चंडीगढ़)
15. रामनाथ बंसल, यमुनानगर: 16. बलबीर सिंह एडवोकेट, यमुनानगर: 17. सुखमिंदर सिंह, यमुनानगर: 18. दीन मोहम्मद,
मेवात: 19. तालीम हुसैन,
चंडीगढ़ : 20. नीरज ग्रोवर, पानीपत: 21.  अनु ग्रोवर,
पानीपत: 22. विक्रम मित्तल, हिसार
23. श्रेया, पानीपत 24. गुरदीप भोसले, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, महेंद्रगढ़ : 
25. विनोद कुमार, पानीपत
26. दीपक कथूरिया, पानीपत 27. आरती, पानीपत: 28. डॉ. रानी वत्स, बरनाला:
29. भुवनेश आदि,पानीपत
30.एस  पी सिंह, 31. गीता पाल(पंचकुला) प्रमुख रहे । वास्तव में यह प्रशिक्षण शिविर उन साथियों का था जो प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती , शहीद भगत सिंह जयंती तथा अन्य ऐतिहासिक अवसरों पर एक छोर से दूसरे छोर तक आगाज़ ए दोस्ती यात्रा का आयोजन करते है । सभी साथियों की यह समझ थी कि प्रदर्शन के साथ साथ स्व दर्शन भी करना चाहिए ताकि विचारों में परिपक्वता के साथ आजादी के आंदोलन तथा उसके नायकों के विचार, आदर्श और मूल्यों को समझा जा सके ।
     शिविर का विषय रहा सत्याग्रह से क्रांति। बेशक बैठक से पूर्वइस पर कुछ प्रतिभागियों के विचारों में भी एकात्म भाव नहीं था परंतु प्रोo जगदीश्वर चतुर्वेदी, डॉo सुधा सिंह, प्रोo अजीत झा, प्रोo जगमोहन सिंह और डॉo आरती स्मित ने अपने वक्तव्यों और उसमे उठाए मुद्दों से ऐसा झंझकोरा ,जिससे इस कैंप में गुणवत्ता स्वत: ही प्रगट होने लगी । प्रोo सुभाष सैनी, एस पी सिंह, विक्रम मित्तल और योगेश ने गांधी, भगत सिंह और अंबेडकर के  वक्तव्यों के उद्धरणों का पाठन करते हुए रखा । सम्भवत: कोई ही ऐसा प्रतिभागी होगा जिसने अपने विचारों से इसमें हस्तक्षेप नहीं किया हो।
      सत्य और अहिंसा के विचारों पर आग्रह तथा इसी बुनियाद पर खड़े होकर क्रांति की मंजिल को पकड़ा जा सकता है । वर्तमान में गांधी, भगत सिंह तथा अंबेडकर सत्याग्रह, क्रांति और परिवर्तन के प्रतीक है जिन्होंने अपने जीवन ,विचार और दर्शन से इसे साकार किया , परंतु यह एक ऐसी धारा है अनंत काल से अविरल प्रवाह में है। भगत सिंह का कथन क्रांति की धार विचार की सान पर तेज होती है । बाबा साहब अम्बेडकर का वाक्य शिक्षित बने, संगठित हो और संघर्ष करें । मार्टिन लूथर किंग जूनियर का कथन अहिंसा अथवा विनाश इन दोनों में से एक को चुनना होगा । वास्तव में यह सब महान व्यक्तित्व एक दूसरे के पूरक है । वक्ताओं ने बुद्ध, महावीर की परंपरा का बखान करते हुए श्रीमद राजचंद्र, टॉलस्टाय और डॉo   डब्ल्यू  डी बी बॉयस सहित दुनियां भर के विचारों को अपने अपने ढंग से प्रस्तुत किया ।
     बीड़ शिकारगाह पिंजौर में एस पी सिंह तथा गीता पाल द्वारा मड हाउस में हर प्रकार की सुंदर व्यवस्था की गई थी । शिवालिक की पहाड़ियों की तलछटी में प्राकृतिक सौंदर्य गज़ब का था ,जिसकी सभी ने अपने अपने ढंग से सराहना की ।
    मिल बैठ कर चिंतन मनन और भविष्य की योजनाओं का निर्माण हमारी वैदिक परंपरा का हिस्सा है । ऋग्वेद के संगठन सूक्त का एक मंत्र है :
   "संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्।
देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते"।।
अर्थात- हम सब एक साथ चलें; एक साथ बोलें; हमारे मन एक हों।
राम मोहन राय,
नित्यनूतन ,
बीड़ शिकारगाह, पिंजौर,
(पंचकुला) हरियाणा
02.10.2023

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