fitkari (Safar Nama USA-17)
मेरी बाईं तरफ की ऊपरी जाड़ में पिछले काफी दिनों से दर्द चल रहा है । मंज़र यह है कि कभी ठीक हो जाता है कभी बढ़ जाता है । एमस्टरडम में रहते हुए मैने एक डेंटिस्ट को दिखलाया था । उन्होंने तीन सुझाव दिए थे । पहला- क्लीनिंग करवाए , दूसरा - रूट कैनाल और तीसरा जाड़ ही निकलवाए। उनका कहना था कि आखिरी जाड़ उससे साथ लगती जाड़ से ज्यादा ही सट गई है ,जिसकी वजह से चढ़ी हुई जाड़ निकलवानी होगी । फिर किसी भारतीय मित्र ने सुझाव दिया कि हल्दी, फिटकरी , नमक और लॉन्ग को बराबर मात्रा में मिलाकर उसका मंजन बनाए और लगाए । मैने ऐसा ही किया और उससे लाभ भी मिला । इसके साथ साथ Sensodyne टूथ पेस्ट का भी इस्तेमाल कर रहा हूं। दुनियां में सब उत्पन्न वस्तुओं की एक उम्र होती है । सम्भवत: इसके रहते दांत भी हमारे उम्र को बताते हुए वक्त का अलार्म बजा रहे हो । मैं इंडिया में रहते हुए क्लीनिंग करवा कर आया था। उससे काफी कुछ आराम भी हुआ और उसी खुशफेहमी में वह फिटकरी -लोंग वाला मंजन वहीं छोड़ आया । अब दर्द के आलम में मुझे उस मंजन की जरूरत महसूस होने लगी । यहां नमक, हल्दी और लॉन्ग तो मिल गए पर फिटकरी नही मिली। मुझे लगा कि यदि यह भी मिल जाती तो जाड़ का मेरा दर्द ठीक हो जाता । मेरी बेटी ने उसे ढूंढने का हर संभव प्रयास किया परंतु सफलता नहीं मिली ।
मैं अपने नाती को स्कूल पहुचाने और लिवाने की स्वैच्छिक जिम्मेवारी निभाता हूं । वहीं पर मुझे एक अन्य युवा बेटी मासूमा से भी मुलाकात होती है जो अपनी बेटी को स्कूल में छोड़ने और लिवाने आती है । मुझे तो फिटकरी की तलाश थी और मुझे लगा शायद उनके पास हो । मेरे पूछने पर वह तुरंत बोली अंकल उनके घर फिटकरी है और वह कल ला देगी । उनका कहना था कि जब उनकी सासु मां भी आती है और उनकी जाड़ में दर्द महसूस करती है तो ऐसा ही मंजन बना कर लगाती हैं जिससे उन्हें आराम मिलता है ।
मासूमा , हमें 15 अक्टूबर को मिली थी जब वे ,मेरे नाती के बर्थडे पार्टी में अपने बच्चों को लेकर मेरी बेटी के घर आई थी। उनकी ड्रेस और हाव भाव से तुरंत अंदाज़ा हो गया था कि वे हमारी तरफ की ही हैं । घर में घुसते ही मैंने उन्हें सलाम वालेकुम कहा तो उन्होंने तुरंत उसका जवाब दिया । बाद में पता चला कि इस बेटी का परिवार लाहौर (पाकिस्तान) का है । उनकी खुद की पैदाइश और लालन पालन दुबई में हुआ है ,परंतु वे अपनी जड़ों से जुड़े है । उनके पति एक बिजनेस मैन है जबकि वे खुद हाउस वाइफ है । आसपास में अब यह परिवार ही आत्मीय लगने लगा ,जैसे अपने ही परिवार के बच्चें हो । फिटकरी ने इस आत्मीयता को और ज्यादा पुख्ता किया कि हमारी ज़ुबान, रहन सहन और कल्चर ही एक नही है अपितु बीमारियों के देसी नुस्खे भी एक है । फिर हम दो कहां से है ? जमीन पर खींची अप्राकृतिक लकीरों के खिंचने से ही ।
इंडिया में हम जब भी किसी से भी दोनों देशों के हवाले से बात करते हैं तो अनेक लोगों का मासूमियत भरा सवाल होता है क्या पाकिस्तान का वीजा लगने के बाद अमेरिका का वीज़ा लग जाता है ? तो मैं उन्हें कहता कि मेरा पांच बार पाकिस्तान का वीज़ा लगा है और फिर उसके बाद ही अमेरिका का वीज़ा लगा है और वे भी दस साल का । मुझे तो कभी परेशानी नहीं हुई। ऐसे अनेक भ्रम और शंकाएं दोनों देशों के लोगों में एक दूसरे के बारे में है ,जिसे मिल कर ही दूर किया जा सकता है । पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का यह कथन कि "दोस्त बदले जा सकते हैं,पड़ोसी नही" हमें आगाह करता है कि एक मजबूत एशिया ही विश्व शांति की मुकम्मल गारंटी है ।
Ram Mohan Rai,
Seattle, Washington -USA.
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