घुमकड़ की डायरी-20. Panipat Zindabad

सीएटल में हमारी बेटी- दामाद के घर के नजदीक ही स्थित James Baldwin Elementary school में हमारा नाती पढ़ता है अत: हमारी इच्छा थी कि हम इस स्कूल को विजिट करें । स्कूल की नई बिल्डिंग है जो बहुत ही आकर्षक एवम सुंदर है । हम चाहते थे कि इस को अंदर से भी देखें और यह भी जाने कि जिस तरह का वातावरण रहता है । इसके लिए अपॉइंटमेंट चाहिए थी और इसके लिए हम स्कूल के प्रशासकीय ब्लॉक में गए ।
   वहां एक महिला अधिकारी जो कि अमेरिकन थी और जिनका नाम निकोल सूद था,से मिले तथा उन्हें अपना प्रयोजन बतलाया । उन्हें यह भी बताया कि हम इंडिया में दिल्ली के ही नजदीक एक शहर के हैं । पानीपत का नाम इसलिए नही लिया कि लगा राजधानी होने की वजह से दिल्ली ज्यादा ठीक रहेगा ।
   उस महिला ने हमारी तरफ देखा और वह बोली कि उनका पति भी एक भारतीय है और वह भी दिल्ली के ही निकट के एक शहर पानीपत के है । यह सुनते ही हम भाव विह्वल हो गए । हम भी पानीपत के ही है यह सुन कर तो उनकी खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं रहा । उन्होंने बताया कि वे पानीपत आते रहते हैं । पांच साल पहले ही वे अपने बेटे के मुंडन संस्कार के लिए वहां गए थे। मैने जब उन्हें हमारे शहर की बहु कहा था वह बहुत ही प्रसन्न हुई ।
    तयशूदा अपॉइंटमेंट के अनुसार हम स्कूल पहुंचे तो वहां हमारी इंतजार हो रही थी । स्कूल घूमने के बाद उन्होंने अपने पति वरुण सूद और सासु मां श्रीमती रमन सूद को भी घर से बुलवा लिया । अब तो पानीपत का पानी एक दूसरे में मिल गया और हम सभी घुल मिल कर पानीपत की बातें करने लगे । उनका घर मॉडल टाउन ,पानीपत में है और अब विगत 24 वर्षों से Seattle, Washington -USA में ही रह रहे है । बातचीत काफी लंबी चली तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी और आखिर में फिर मिलने का तय करने के बाद विदाई ली । हमने भी उन्हे पानीपत की आध्यात्मिक- सांस्कृतिक विरासत की प्रतीक एक चादर और मेरी किताब "बुजुरगान ए पानीपत" की एक प्रति भेंट की । 
    दुनियां का छोर असीम है परंतु वह इतनी भी छोटी है कहां किस से मुलाकात हो जाए , पता नही ।
पानीपत जिंदाबाद

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